Chhattisgarh Coal Scam : छत्तीसगढ़ में कोयला घोटाले और मनी लांड्रिंग केस में दो साल से जेल में बंद सौम्या चौरसिया को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है। भूपेश बघेल की सरकार में मुख्यमंत्री की उपसचिव रही सौम्या चौरसिया को 2 दिसंबर 2022 में गिरफ्तार किया गया था। सौम्या चौरसिया रायपुर सेंट्रल जेल में बंद हैं।
हालांकि, बताया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद भी उनकी रिहाई नहीं हो पाएगी, क्योंकि जांच एजेंसियों द्वारा उन्हें कई केस में आरोपी बनाया गया है। रानू साहू को भी सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी थी, लेकिन वे भी जेल से बाहर नहीं आ सकीं।
मनीष सिसोदिया के मामले को बनाया आधार
मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि सौम्या चौरसिया की जमानत याचिका में आप पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया के मामले को आधार बनाया गया था। सौम्या की याचिका में कहा गया था कि वह एक साल 8 महीने से जेल में हैं, लेकिन अब तक केस का ट्रायल ही शुरू नहीं हुआ है। ट्रायल शुरू होने की फिलहाल संभावना भी नहीं है।
ज्ञात हो कि सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसोदिया को जमानत देते हुए यह कहा था कि ट्रायल में देरी होना संविधान की धारा 21 की अवहेलना है। ट्रायल में देरी को आधार मानते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसोदिया को जमानत दे दी थी। सौम्या चौरसिया की जमानत याचिका में भी मनीष सिसोदिया के मामले का उल्लेख किया गया था, जिसे आधार मानते हुए उन्हें जमानत दे दी गई।
रिश्तेदारों के नाम से खरीदी संपत्ति
ईओडब्ल्यू ने सौम्या चौरसिया पर आरोप लगाया है कि संपत्ति को छिपाने के लिए उन्होंने रिश्तेदारों और परिचितों के नाम से संपत्तियों को खरीदा है। इसे गलत ठहराते हुए सौम्या ने अपने पक्ष में अदालत में एफआईआर को निराधार बताया है। अभियोजन पक्ष ने जमानत आवेदन का विरोध करते हुए कहा था कि शासकीय सेवा में रहने के दौरान आय से अधिक चल-अचल संपत्तियां खरीदी गई। इसके संबंध में अभी तक पूछताछ नहीं की गई है।छापेमारी के दौरान तलाशी में इसके दस्तावेज मिले हैं। इसके संबंध में उप पंजीयक और अन्य विभागों से जानकारी जुटाई जा रही है। जमानत दिए जाने पर साक्ष्य को प्रभावित कर सकती है।
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सौम्या की संपत्ति अटैच
बता दें कि ईओडब्ल्यू इस समय सौम्या चौरसिया के आय से अधिक संपत्ति की जांच जार रही है। इस कार्रवाई में अधिकारियों ने सौम्या की कुछ सम्पत्तियों को अटैच भी किया है। इसे देखते हुए जमानत नहीं दिए जाने का अनुरोध किया। विशेष न्यायाधीश ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद जमानत आवेदन को खारिज कर दिया।
वहीं महादेव सट्टा में जेल भेजे गए निलंबित आरक्षक भीम सिंह यादव के जमानत आवेदन पर बचाव पक्ष की ओर से समय मांगने पर सुनवाई को एक दिन के लिए आगे बढ़ा दिया गया है। बता दें कि अब इस मामले में दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद अदालत अपना फैसला सुनाएगी।
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