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छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में भू-अर्जन के नाम पर किया गया लगभग 4.78 अरब रूपए का महाघोटाला आखिरकार सामने आ ही गया। 13 अलग-अलग जांच कमेटियों की रिपोर्टों ने इस बात का खुलासा किया है कि कैसे राजस्व अधिकारियों ने योजनाबद्ध तरीके से मुआवजा प्रकरणों में भारी भ्रष्टाचार को अंजाम दिया।
हैरानी की बात यह है कि इस घोटाले की जांच पांच महीने पहले पूरी हो चुकी थी और रिपोर्ट संबंधित विभागों को सौंपी जा चुकी थी, लेकिन इसके बाद फाइल ठंडे बस्ते में डाल दी गई थी। अब कलेक्टर के सख्त निर्देशों के बाद यह मामला दोबारा खुला है और घरघोड़ा एसडीएम को एफआईआर दर्ज कराने का आदेश जारी किया गया है।
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ऐसे रचा गया करोड़ों का घोटाला
जांच रिपोर्ट के अनुसार, अफसरों ने भूमि अधिग्रहण के नाम पर फर्जी दस्तावेज, झूठे वृक्षों की गिनती, बंद नलकूपों को चालू बताकर और बंजर जमीन को सिंचित दिखाकर मुआवजा प्रकरण बनाए और करोड़ों रुपये की गड़बड़ी की।
कुछ मुख्य गड़बड़ियों में शामिल हैं
बंद नलकूप को चालू दिखाकर ₹1,75,100 का मुआवजा प्रकरण बनाया गया। पक्के मकान को गोदाम और कार्यालय बताकर ₹3.59 करोड़ का भुगतान किया गया। एक ही जमीन पर दो बार मुआवजा (₹2.81 करोड़ और ₹3.15 करोड़) निकाला गया। फसल और वृक्षों का एक साथ मुआवजा बनाकर अनियमित भुगतान किया गया। बंजर भूमि को सिंचित बताकर करोड़ों का मुआवजा दिलाया गया।
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वृक्षों की झूठी गिनती और कीमतों का खेल
जांच रिपोर्ट में बताया गया है कि कुछ वृक्षों की संख्या और आकार बढ़ा-चढ़ाकर दिखाए गए, जिससे लाखों की अनियमितता की गई:
वृक्ष का नाम संख्या दर (प्रति नग) कुल मुआवजा
सागौन 2 ₹24,221 ₹99,791
जामुन 4 ₹2,000 ₹16,480
इमली 3 ₹6,000 ₹37,080
कोसम 2 ₹2,310 ₹9,517
बेहरा 4 ₹960 ₹7,910
महुआ 4 ₹6000 ₹4,944
तीन किसानों के नाम पर 34 करोड़ का मुआवजा
रिपोर्ट में सबसे चौंकाने वाला मामला तब सामने आया जब तीन खातेदारों - खेमानिधि, टुकलाल और नान्हीलाल के नाम पर लगभग 34 करोड़ रुपये का मुआवजा दिखाया गया। इन किसानों के नाम जिन खसरों में दर्ज हैं, उन पर फर्जी वृक्ष, फसल और सिंचाई सुविधाएं दर्शाकर प्रशासनिक मिलीभगत से करोड़ों की हेराफेरी की गई।
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फर्जी नलकूप और झूठे वृक्षों के नाम पर पैसा उड़ाया
खसरा नंबर 13 के अंतर्गत:
नीम, महुआ और आम के वास्तविक वृक्ष पाए गए, लेकिन रिकॉर्ड में 66 आम के वृक्ष दर्शाकर ₹8,15,760 का मुआवजा लिया गया।
सागौन के पेड़ों की गोलाई कम होने के बावजूद ₹11,48,986 की राशि जारी कर दी गई।
एक नलकूप के स्थान पर दो दिखाकर ₹3,50,200 का फर्जी भुगतान किया गया।
आगे की कार्रवाई
कलेक्टर के निर्देश पर अब इस मामले में पूर्व एसडीएम, तहसीलदार और अन्य अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। एफआईआर दर्ज करने के आदेश जारी हो चुके हैं, और जल्द ही पूछताछ की प्रक्रिया भी शुरू होगी।
रायगढ़ जिले का यह भू-अर्जन घोटाला राज्य में प्रशासनिक भ्रष्टाचार की गहराई को उजागर करता है। जहां जनता की जमीन और सरकारी योजनाओं के नाम पर करोड़ों रुपये का दुरुपयोग किया गया। अब देखना यह है कि क्या दोषियों पर सख्त कार्रवाई होती है या यह मामला भी अन्य घोटालों की तरह समय के गर्त में दब जाएगा।
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