रायपुर : संविधान बचाओ रैली के जरिए कांग्रेस अपने शक्ति प्रदर्शन की कवायद कर रही है। इस रैली में कांग्रेस के सभी दिग्गज नेताओं के साथ साथ प्रदेश प्रभारी सचिन पायलट भी शामिल हो रहे हैं। इस रैली से कांग्रेस लोगों के मन में यह संदेश पहुंचाना चाहती है कि कांग्रेस में गुटबाजी नहीं है बल्कि सारे नेता एक हैं। संविधान बचाओ रैली का आगाज करने के लिए कांग्रेस ने जांजगीर चांपा को चुना। अब यहां पर सवाल है कि आखिर कांग्रेस ने रायपुर, दुर्ग या बिलासपुर में रैली रद्द होने के बाद इन जगहों को छोड़कर जांजगीर-चांपा को ही क्यों चुना है। दरअसल कांग्रेस अपने से छिटक रहे कोर वोटर्स को साधने की कोशिश कर रही है। इसीलिए जांजगीर को चुना गया है। यहां पर एससी वोटर्स की संख्या सबसे ज्यादा है।
'ये खबर भी पढ़ें...संविधान बचाओ रैली' के बीच कांग्रेस नेताओं के बीच तनाव
विधानसभा में जीती लोकसभा में हारी
ये खबर भी पढ़ें...छत्तीसगढ़ में जासूसी और सट्टे का खतरनाक गठजोड़
जांजगीर चांपा में पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने एकतरफा जीत हासिल की। जिले की सभी सीटों पर कांग्रेस के नेता विधायक बने। पूरे प्रदेश में कांग्रेस हारी लेकिन जांजगीर जिले में उसने बीजेपी को क्लीन स्वीप कर दिया। यह लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। यहां पर एससी वोट ही निर्णायक हैं। यह वर्ग कांग्रेस का कोर वोटर माना जाता है। लेकिन कांग्रेस का कोर वोटर उससे छिटक रहा है। 2023 में कांग्रेस ने यहां की 8 में से 8 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की, और वो भी बड़े अंतर से। विधानसभा के लिहाज से सबसे मजबूत होने के बावजूद 2024 में कांग्रेस यहां लोकसभा चुनाव हार गई। अब रैली से जमीनी वापसी की तैयारी है। कांग्रेस के सीनियर नेता शिव डेहरिया की हार से इस क्षेत्र में संगठन पर बड़ा असर पड़ा था, अब कांग्रेस इस मौके पर उसे एकजुट करना चाहती है।
ये ख्रबर भी पढ़ें...सरकारी दवाइयां मरीजों को न देकर नाले में फेंका, 3 कर्मचारी सस्पेंड
कांग्रेस की सोशल इंजीनियरिंग
ये खबर भी पढ़ें...रायपुर में देह व्यापार गिरोह का भंडाफोड़: 11 युवतियां और 4 पुरुष गिरफ्तार
छत्तीसगढ़ के अनुसूचित जाति बेल्ट में कांग्रेस की पैठ रही है। भूपेश बघेल की सरकार ने भी अपने कार्यकाल में कई योजनाएं एससी वर्ग को केंद्र में रखकर चलाई थीं। अब जब संवैधानिक संस्थाओं पर हमले और आरक्षण जैसे मुद्दों को लेकर कांग्रेस सरकार सवाल उठा रही है, तब इस रैली को जांजगीर में करने का मतलब सीधे सामाजिक न्याय और संविधान के मूल सिद्धांतों को हाईलाइट करना है। कांग्रेस इस ने इस रैली को सिर्फ एक सांकेतिक सभा नहीं बनाया बल्कि यह 2028 विधानसभा और अगली लोकसभा चुनाव की नींव रखने की तैयारी है। एससी वोटरों को एक बार फिर एक्टिव करना, बूथ लेवल पर संगठन को खड़ा करना और कार्यकर्ताओं में जान फूंकना यही असली मकसद है।