'संविधान बचाओ रैली' के बीच कांग्रेस नेताओं में तनाव

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी की 'संविधान बचाओ रैली' के बीच पार्टी की आंतरिक राजनीति ने नया मोड़ ले लिया है। पार्टी के दो वरिष्ठ नेताओं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज और पूर्व मंत्री अमरजीत भगत के बीच बयानबाजी ने पार्टी की एकता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

author-image
Krishna Kumar Sikander
एडिट
New Update
Tension between Congress leaders during Save Constitution Rally the sootr
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी की 'संविधान बचाओ रैली' के आयोजन के बीच पार्टी के भीतर आंतरिक राजनीति ने एक नया मोड़ ले लिया है। इस रैली के लिए छत्तीसगढ़ कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव सचिन पायलट दो दिवसीय दौरे पर राज्य में हैं। इस महत्वपूर्ण आयोजन के बीच, पार्टी के दो वरिष्ठ नेताओं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज और पूर्व मंत्री अमरजीत भगत के बीच तीखी बयानबाजी ने पार्टी की एकता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह घटनाक्रम कांग्रेस के लिए नई मुसीबत बनता दिख रहा है, खासकर तब जब पार्टी 'संविधान बचाओ अभियान' के जरिए जनता के बीच अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश में है।

ये खबर भी पढ़ें... छत्तीसगढ़ में जासूसी और सट्टे का खतरनाक गठजोड़

बयानबाजी का दौर, बैज बनाम भगत

हाल ही में दीपक बैज ने एक बयान में तंज कसते हुए कहा था, "जिनके पास कोई नहीं होता, वे दिल्ली जाते हैं।" यह बयान स्पष्ट रूप से उन नेताओं पर निशाना था जो बार-बार दिल्ली का दौरा कर हाईकमान से मुलाकात करते हैं। इस बयान का जवाब देते हुए पूर्व मंत्री अमरजीत भगत ने पलटवार किया। दिल्ली से दो दिन के दौरे के बाद लौटे भगत ने कहा, "हम टेंशन लेते नहीं, बल्कि टेंशन देते हैं। जहां चार यार मिलते हैं, वहां बातें होती ही हैं।" भगत का यह बयान न केवल बैज के बयान का जवाब था, बल्कि यह पार्टी के भीतर चल रही गुटबाजी और नेतृत्व के बीच तनाव को भी उजागर करता है।

ये खबर भी पढ़ें... सरकारी दवाइयां मरीजों को न देकर नाले में फेंका, 3 कर्मचारी सस्पेंड

इस दौरान यह तथ्य भी महत्वपूर्ण है कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी उसी समय दिल्ली में थे। भगत और बघेल के दिल्ली दौरे को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं कि क्या यह दौरा पार्टी हाईकमान के साथ किसी रणनीति या असंतोष को लेकर चर्चा के लिए था। बघेल, जो छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक हैं, पहले भी कई बार पार्टी के भीतर और बाहर विवादों में रहे हैं। हाल ही में उनके आवास पर सीबीआई की छापेमारी और अन्य मुद्दों ने भी पार्टी के भीतर तनाव को बढ़ाया है।

ये खबर भी पढ़ें... पीएम आवास योजना में घोटालेबाजी, फर्जी जियो टैगिंग से करोड़ों की हेराफेरी

'संविधान बचाओ रैली' और आंतरिक राजनीति

'संविधान बचाओ रैली' का आयोजन जांजगीर-चांपा में है, जिसमें सचिन पायलट, दीपक बैज, भूपेश बघेल, नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत, टीएस सिंहदेव जैसे दिग्गज नेता शामिल होंगे। यह रैली पहले दो बार 25 अप्रैल को दुर्ग और 8 मई को बिलासपुर में स्थगित हो चुकी थी, जिसका कारण जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले और भारत की ओर से पाकिस्तान में एयर स्ट्राइक जैसी घटनाएं थीं। अब जांजगीर-चांपा में होने वाली इस रैली को कांग्रेस एक बड़े जनसंवाद अभियान के रूप में देख रही है, जिसके जरिए पार्टी संविधान, लोकतंत्र, सामाजिक न्याय और आर्थिक असमानता जैसे मुद्दों को जनता तक ले जाना चाहती है। लेकिन इस महत्वपूर्ण अभियान के बीच नेताओं की आपसी बयानबाजी ने पार्टी की एकता पर सवाल उठा दिए हैं। 

ये खबर भी पढ़ें... 10वीं-12वीं की पुनर्गणना, पुनर्मूल्यांकन... स्टूडेंट्स फटाफट करें आवेदन

कांग्रेस की आंतरिक चुनौतियां

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पहले ही हाल के पंचायत और निकाय चुनावों में हार का सामना कर चुकी है, जिसके बाद सचिन पायलट के दौरे और उनकी सक्रियता पर भी सवाल उठे थे। बीजेपी ने आरोप लगाया था कि कांग्रेस कई धड़ों में बंटी हुई है भूपेश बघेल, टीएस सिंहदेव, चरणदास महंत और दीपक बैज के अपने-अपने गुट। इस स्थिति में नेताओं के बीच सार्वजनिक बयानबाजी पार्टी की छवि को और नुकसान पहुंचा सकती है।

पिछले कुछ समय से भूपेश बघेल के खिलाफ लगे आरोप और जांच एजेंसियों की कार्रवाई ने भी पार्टी के भीतर तनाव को बढ़ाया है। सचिन पायलट ने मार्च 2025 में बघेल के समर्थन में बयान दिया था, जब उनके आवास पर सीबीआई की छापेमारी हुई थी। पायलट ने इसे राजनीतिक द्वेष से प्रेरित कार्रवाई करार दिया था। लेकिन अब, जब पार्टी एक बड़े अभियान की तैयारी में है, तब नेताओं के बीच इस तरह की बयानबाजी से कार्यकर्ताओं का मनोबल प्रभावित हो सकता है।

दिल्ली दौरा और सियासी अटकलें

अमरजीत भगत और भूपेश बघेल के दिल्ली दौरे ने सियासी हलकों में कई सवाल खड़े किए हैं। कुछ का मानना है कि यह दौरा पार्टी हाईकमान के साथ आगामी रणनीतियों, खासकर 'संविधान बचाओ अभियान' और 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद की स्थिति को लेकर चर्चा के लिए था। वहीं, कुछ इसे छत्तीसगढ़ में नेतृत्व परिवर्तन या संगठनात्मक बदलाव की कोशिश के रूप में देख रहे हैं। दीपक बैज के बयान को भगत और बघेल के दिल्ली दौरे से जोड़कर देखा जा रहा है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि पार्टी के भीतर सब कुछ ठीक नहीं है।

कांग्रेस में आगे की राह

कांग्रेस की 'संविधान बचाओ रैली' न केवल छत्तीसगढ़ में, बल्कि पूरे देश में पार्टी के लिए एक महत्वपूर्ण अभियान है। पार्टी ने इसे सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय के मुद्दों को जनता तक पहुंचाने का माध्यम बनाया है। लेकिन इस अभियान की सफलता तभी संभव है, जब पार्टी के नेता एकजुट होकर काम करें। दीपक बैज और अमरजीत भगत के बीच ताजा बयानबाजी और भूपेश बघेल के दिल्ली दौरे ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या कांग्रेस अपनी आंतरिक कलह को सुलझा पाएगी?
पार्टी के लिए यह समय एकजुटता दिखाने का है, लेकिन नेताओं के बीच इस तरह की सार्वजनिक बयानबाजी से बीजेपी को मौका मिल सकता है, जो पहले ही कांग्रेस की गुटबाजी पर तंज कस चुकी है। 

 

Tags : tension | CONGRESS | leaders | save constitution | rally | Raipur | कांग्रेस नेताओं का बयान | रायपुर

tension CONGRESS leaders save constitution rally Chhattisgarh Raipur संविधान बचाओ रैली कांग्रेस नेताओं का बयान तनाव छत्तीसगढ़ रायपुर