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छत्तीसगढ़, भारत का एक शांत और प्राकृतिक संपदा से भरपूर राज्य, आज एक गंभीर संकट का सामना कर रहा है। हाल के वर्षों में, खासकर 2017 के बाद, यहाँ अवैध गतिविधियों का एक ऐसा जाल फैल चुका है, जो न केवल देश की आर्थिक व्यवस्था को चोट पहुँचाता है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी गंभीर खतरा बन गया है। इस जाल का केंद्र है पाकिस्तानी जासूसों और अवैध सट्टेबाजी का नेटवर्क, जो सोशल मीडिया और यूट्यूब जैसे डिजिटल मंचों की आड़ में फल-फूल रहा है।
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जासूसी का नया चेहरा : सोशल मीडिया और यूट्यूब
सोशल मीडिया के इस युग में, जासूसी का तरीका भी बदल चुका है। हरियाणा के हिसार की यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा और कुरुक्षेत्र के हरकीरत सिंह जैसे मामले सामने आने के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि कुछ लोग देश की गोपनीय जानकारी को विदेशी ताकतों तक पहुँचाने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का दुरुपयोग कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ में भी ऐसी गतिविधियाँ जोर पकड़ रही हैं। सूत्रों के अनुसार, यहाँ 300 से अधिक ऐसे तथाकथित "इन्फ्लुएंसर" सक्रिय हैं, जो यूट्यूब चैनल्स और सोशल मीडिया के जरिए न केवल जासूसी कर रहे हैं, बल्कि अवैध सट्टेबाजी को भी बढ़ावा दे रहे हैं। ये लोग रायपुर के अवंती विहार, खम्हारडीह, तेलीबांधा, रिंग रोड, महावीर नगर, वीआईपी रोड, टाटीबंध, भनपुरी, गोगागाँव, गुढ़ियारी और समता कॉलोनी जैसे इलाकों में सक्रिय हैं।
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सट्टे का कारोबार : जासूसी की आड़
छत्तीसगढ़ में क्रिकेट सट्टेबाजी का कारोबार विश्व स्तर पर चर्चित हो चुका है। यहाँ के सट्टा नेटवर्क का सीधा संबंध पाकिस्तान, दुबई, यूएई, सिंगापुर, मलेशिया और हांगकांग जैसे देशों से है। सट्टे के लेन-देन में भारी मात्रा में धन का हवाला और डिजिटल ट्रांजैक्शन के जरिए विदेशों में स्थानांतरण हो रहा है। यह धन न केवल सट्टेबाजों की कमाई का स्रोत है, बल्कि जासूसी गतिविधियों को फंड करने का भी जरिया बन चुका है। रायपुर में हाल ही में एक ऑनलाइन सट्टा रैकेट का भंडाफोड़ हुआ, जिसमें निर्दलीय पार्षद बब्बन लालवानी और उनके पिता नंदलाल लालवानी को गिरफ्तार किया गया। इस रैकेट का सीधा कनेक्शन पाकिस्तान और दुबई से पाया गया, जो इस बात का प्रमाण है कि सट्टा और जासूसी का गठजोड़ कितना गहरा है।
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अवैध घुसपैठ और जासूसी का नेटवर्क
छत्तीसगढ़ में अवैध रूप से रह रहे पाकिस्तानी और बांग्लादेशी नागरिकों की मौजूदगी भी चिंता का विषय है। हाल ही में भिलाई के सुपेला से एक बांग्लादेशी महिला, पन्ना बीवी उर्फ अंजली उर्फ काकोली घोष को गिरफ्तार किया गया, जो फर्जी दस्तावेजों के सहारे भारत में रह रही थी। वह इमो ऐप के जरिए बांग्लादेश में अपने परिवार से संपर्क में थी और कई बार वहाँ की यात्रा भी कर चुकी थी। इसी तरह, अप्रैल 2025 में सुरक्षा एजेंसियों ने छत्तीसगढ़ में तीन घरों से 80 से अधिक अवैध घुसपैठियों को पकड़ा, जिनके पास पश्चिम बंगाल से बने फर्जी आधार कार्ड और वोटर आईडी थे। यह स्पष्ट संकेत है कि अवैध घुसपैठिए न केवल यहाँ छिपकर रह रहे हैं, बल्कि जासूसी और सट्टे जैसे गैरकानूनी कार्यों में भी लिप्त हैं।
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केंद्र और राज्य सरकार की कार्रवाई
केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय ने हाल के दिनों में सुरक्षा एजेंसियों को अवैध गतिविधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की छूट दी है। हरियाणा में ज्योति मल्होत्रा और हरकीरत सिंह जैसे जासूसों की गिरफ्तारी के बाद छत्तीसगढ़ में भी ऐसी गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है। हरियाणा पुलिस और एसटीएफ ने हाल ही में कुरुक्षेत्र से हरकीरत सिंह को गिरफ्तार किया, जो पाकिस्तान जाने वाले सिख श्रद्धालुओं के वीजा की व्यवस्था करता था और संदिग्ध रूप से पाकिस्तानी एजेंसियों के संपर्क में था। इसी तरह, गुजरात में प्रवीण कुमार मिश्रा को भारतीय वायुसेना की गोपनीय जानकारी पाकिस्तान भेजने के आरोप में पकड़ा गया। छत्तीसगढ़ पुलिस और दुर्ग जिले की एसटीएफ ने भी अवैध प्रवासियों के खिलाफ सर्चिंग अभियान शुरू किया है, जिसके तहत कई इलाकों में छापेमारी की गई। यदि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) या केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) इस मामले की गहराई से जाँच करे, तो सैकड़ों चौंकाने वाले खुलासे हो सकते हैं।
एक सख्त कार्रवाई की जरूरत
छत्तीसगढ़ में जासूसी और सट्टेबाजी का यह गठजोड़ न केवल राज्य की शांति को भंग कर रहा है, बल्कि देश की सुरक्षा के लिए भी खतरा बन गया है। केंद्र और राज्य सरकार को इस मामले में तत्काल और सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है। एनआईए और सीबीआई जैसी एजेंसियों को गहन जाँच के लिए तैनात किया जाना चाहिए ताकि इस नेटवर्क का पूरी तरह से भंडाफोड़ हो सके। साथ ही, सोशल मीडिया और यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म्स पर निगरानी बढ़ाने की आवश्यकता है, ताकि जासूसी और अवैध गतिविधियों को बढ़ावा देने वालों पर नकेल कसी जा सके।
छत्तीसगढ़ की जनता को भी सतर्क रहने की जरूरत है। यदि कोई संदिग्ध गतिविधि दिखे, तो उसे तुरंत पुलिस या संबंधित एजेंसियों को सूचित करना चाहिए। यह समय है कि देश की संवेदनशीलता और सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए, ताकि इस तरह के खतरनाक नेटवर्क को जड़ से उखाड़ फेंका जाए।
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