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छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के ग्राम गिधाली में नए शिक्षा सत्र 2025-26 के पहले दिन प्राथमिक शाला में उस समय हंगामा मच गया, जब गुस्साए ग्रामीणों और स्कूली बच्चों ने स्कूल के मुख्य द्वार पर ताला जड़ दिया। यह तालाबंदी युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया के तहत स्कूल से हटाई गई एक सहायक शिक्षिका को वापस नियुक्त करने की मांग को लेकर की गई। ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन की इस कार्रवाई से स्कूल में शिक्षकों की कमी हो गई है, जिसका सीधा असर बच्चों की पढ़ाई पर पड़ रहा है।
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यह है पूरा मामला
गिधाली के प्राथमिक शाला में पहले तीन शिक्षक कार्यरत थे, जिसमें से एक सहायक शिक्षिका को हाल ही में छत्तीसगढ़ सरकार की युक्तियुक्तकरण नीति के तहत स्कूल से हटा दिया गया। इस नीति के तहत शिक्षकों की संख्या को स्कूलों में छात्रों की दर्ज संख्या के आधार पर समायोजित किया जा रहा है। हटाई गई शिक्षिका के जाने के बाद अब स्कूल में केवल दो शिक्षक बचे हैं, और दोनों ही शारीरिक रूप से अक्षम (विकलांग) हैं। स्कूल में वर्तमान में 53 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं, और ग्रामीणों का कहना है कि दो शिक्षकों के भरोसे इतने बच्चों की पढ़ाई संभालना असंभव है।
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ग्रामीणों का आक्रोश और तालाबंदी
नए शिक्षा सत्र के पहले दिन सुबह जब स्कूल खुलने का समय हुआ, तो ग्रामीण और स्कूली बच्चे स्कूल के सामने एकत्रित हो गए। उन्होंने प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए स्कूल के मुख्य द्वार पर ताला लगा दिया। ग्रामीणों का कहना था कि सहायक शिक्षिका को हटाने का निर्णय एकतरफा और अनुचित है। एक ग्रामीण, रामलाल साहू (काल्पनिक नाम), ने कहा, "हमारे बच्चों का भविष्य दांव पर है। दो शिक्षक, जो खुद विकलांग हैं, 53 बच्चों को कैसे पढ़ाएंगे? हमारी मांग है कि हटाई गई शिक्षिका को तत्काल वापस नियुक्त किया जाए।" स्कूल के सामने बैठे बच्चों ने भी अपनी नाराजगी जाहिर की। कक्षा पांचवीं की छात्रा रानी (काल्पनिक नाम) ने बताया, "हमारी मैडम बहुत अच्छे से पढ़ाती थीं। उनके जाने से हमें बहुत दिक्कत हो रही है। हम चाहते हैं कि वे वापस आएं।"
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युक्तियुक्तकरण नीति और शिक्षक की कमी
छत्तीसगढ़ सरकार की युक्तियुक्तकरण नीति का उद्देश्य शिक्षकों की नियुक्ति को स्कूलों में छात्रों की संख्या के अनुपात में संतुलित करना है। इसके तहत अतिशेष शिक्षकों को उन स्कूलों में स्थानांतरित किया जा रहा है, जहां शिक्षकों की कमी है। बालोद जिले में इस प्रक्रिया के तहत 2 और 3 जून को अतिशेष शिक्षकों की काउंसलिंग भी आयोजित की गई थी, जिसमें 414 सहायक शिक्षकों को समायोजित किया गया। हालांकि, गिधाली के मामले में ग्रामीणों का आरोप है कि युक्तियुक्तकरण के नाम पर स्कूल से एक सक्रिय शिक्षिका को हटा दिया गया, जिससे शैक्षणिक गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। ग्रामीणों ने बताया कि स्कूल में पहले से ही संसाधनों की कमी है, और अब शिक्षकों की संख्या कम होने से स्थिति और गंभीर हो गई है।
विकलांग शिक्षकों पर अतिरिक्त दबाव
स्कूल में बचे दो शिक्षकों के शारीरिक रूप से अक्षम होने के कारण उन पर अतिरिक्त जिम्मेदारी का बोझ पड़ गया है। ग्रामीणों का कहना है कि दोनों शिक्षक अपनी ड्यूटी पूरी मेहनत से निभाते हैं, लेकिन 53 बच्चों की पढ़ाई, प्रशासनिक कार्य, और अन्य जिम्मेदारियों को संभालना उनके लिए चुनौतीपूर्ण है। एक अभिभावक, श्यामलाल (काल्पनिक नाम), ने कहा, "हम शिक्षकों का सम्मान करते हैं, लेकिन प्रशासन को यह समझना चाहिए कि इतने बच्चों को दो शिक्षक अकेले कैसे पढ़ाएंगे? यह बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है।"
प्रशासन का रुख
जिला शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने इस मामले पर तत्काल कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। हालांकि, सूत्रों के अनुसार, युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया को पारदर्शी और नियमों के अनुसार लागू किया गया है। बालोद जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय ने पहले ही स्पष्ट किया था कि अतिशेष शिक्षकों की काउंसलिंग और स्थानांतरण प्रक्रिया जिला पंचायत सभागार में पूरी की गई है। फिर भी, गिधाली के ग्रामीणों की शिकायतों को देखते हुए प्रशासन पर इस मामले की जांच और समाधान का दबाव बढ़ रहा है।
शिक्षक साझा मंच ने भी उठाए सवाल
शिक्षक साझा मंच, जो युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया में अनियमितताओं के खिलाफ लगातार आवाज उठा रहा है, ने गिधाली के इस मामले को गंभीर बताया। मंच के एक पदाधिकारी ने कहा, "युक्तियुक्तकरण के नाम पर मनमानी हो रही है। कई स्कूलों में शिक्षकों की संख्या जरूरत से ज्यादा है, जबकि गिधाली जैसे स्कूल शिक्षक विहीन होने की कगार पर हैं। हम मांग करते हैं कि इस मामले की उच्चस्तरीय जांच हो और हटाई गई शिक्षिका को वापस नियुक्त किया जाए।"
ग्रामीणों ने दी चेतावनी
ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं, तो वे आंदोलन को और तेज करेंगे। स्कूल के सामने तालाबंदी और धरना प्रदर्शन के कारण पहले दिन स्कूल में पढ़ाई पूरी तरह ठप रही। अभिभावकों और ग्रामीणों ने प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग की है, ताकि बच्चों की पढ़ाई शुरू गिधाली प्राथमिक शाला का यह मामला युक्तियुक्तकरण नीति के अमल में व्यावहारिक चुनौतियों को उजागर करता है। एक ओर जहां सरकार का लक्ष्य शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करना है, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षकों की कमी जैसे मुद्दे बच्चों के भविष्य पर सवाल उठा रहे हैं। प्रशासन को इस मामले में संवेदनशीलता के साथ त्वरित कदम उठाने की जरूरत है, ताकि गिधाली के बच्चों का शैक्षणिक नुकसान रोका जा सके।
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