अंबिकापुर के विनोद गुप्ता और उनकी मां सीता देवी की कहानी संघर्ष, समर्पण और सफलता की प्रेरणादायक मिसाल बन गई है। सीतादेवी ने अपने बच्चों को पढ़ाने चाय बेची। आर्थिक परेशानियों के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और हर संभव प्रयास किया कि बच्चे अच्छी शिक्षा प्राप्त कर सकें। मां की इसी मेहनत और बेटे विनोद की लगन का परिणाम है कि विनोद ने कंप्यूटर साइंस से राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली है।
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मां ने दिन-रात मेहनत कर बेटे को पढ़ाया
नेट में उन्हें पीएचडी और असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए क्वालीफाई किया गया है। शहर के गांधीनगर थाना क्षेत्र में बनारस रोड कमोडा विहार के पास रहने वाले 25 वर्षीय विनोद का कहना हैं कि मां ने दिन-रात मेहनत कर मुझे पढ़ाया। जब घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं तब भी उन्होंने मेरी पढ़ाई के लिए कोई कमी नहीं होने दीं।
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संघर्ष से नेट जेआरएफ परीक्षा पास की
आज अगर मैंने नेट जेआरएफ परीक्षा पास की है, तो यह उनकी तपस्या और संघर्ष का ही परिणाम है। अब विनोद का सपना असिस्टेंट प्रोफेसर बनने का है, ताकि वह शिक्षा के क्षेत्र अपना योगदान दे सकें। उनकी इस उपलब्धि से न केवल उनका परिवार, बल्कि पूरा क्षेत्र गर्व महसूस कर रहा है। सीता देवी की यह कहानी बताती है कि सपनों को पूरा करने की यदि चाह हो तो राह अपने आप ही बनने लगती है।
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