जीएसटी छापे के बाद  दुकान सील, अधिकारियों पर 45 लाख रिश्वत मांगने का आरोप

छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में शहर के प्रतिष्ठित छड़-सीमेंट कारोबारी मेसर्स अरिहंत स्टील पर GST विभाग की टीम ने छापा मारा। इस दौरान दस्तावेजों की गहन जांच की गई, लेकिन व्यापारी श्रेयांश जैन ने GST अधिकारियों पर रिश्वत मांगने का सनसनीखेज आरोप लगाया।

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Krishna Kumar Sikander
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Shop sealed after GST raid, officials accused of demanding Rs 45 lakh bribe the sootr
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छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में 1 जून 2025 को एक सनसनीखेज घटनाक्रम ने स्थानीय व्यापारियों को हिलाकर रख दिया। शहर के प्रतिष्ठित छड़-सीमेंट कारोबारी मेसर्स अरिहंत स्टील पर GST विभाग की टीम ने छापा मारा। यह छापेमारी करीब 10 घंटे तक चली। जीएसटी टीम ने दस्तावेजों की जांच की। मामला उस समय विवादास्पद हो गया जब व्यवसायी श्रेयांश जैन ने GST अधिकारियों पर रिश्वत मांगने का सनसनीखेज आरोप लगाया।

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छापे की कहानी और व्यापारी का आरोप

श्रेयांश जैन के मुताबिक, GST अधिकारियों ने दस्तावेजों की जांच के बाद उनसे ₹45 लाख की भारी-भरकम राशि की मांग की। जैन का कहना है कि उन्होंने सभी जरूरी दस्तावेज—E-way बिल, टैक्स रजिस्ट्रेशन, बिल बुक अधिकारियों को उपलब्ध कराए, फिर भी उन पर दबाव बनाया गया। आरोप है कि अधिकारियों ने दो अलग-अलग खातों में 5-5 लाख रुपये के ट्रांजैक्शन, एक 10 लाख का ब्लैंक चेक और बाकी 25 लाख रुपये नकद देने को कहा। मना करने पर धमकी दी गई कि धारा 67 के तहत उनकी दुकान को छह महीने के लिए सील कर दिया जाएगा। 

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केवल अरिहंत स्टील ही नहीं, अन्य दुकानों पर भी छापा

GST विभाग की कार्रवाई केवल अरिहंत स्टील तक सीमित नहीं थी। फरसगांव के K.V. जनरल स्टोर्स पर 7 लाख रुपये की कार्रवाई और जगदलपुर के मोती जनरल स्टोर्स पर भी छापेमारी की गई। इन कार्रवाइयों ने क्षेत्र के व्यापारियों में हड़कंप मचा दिया। अरिहंत स्टील के मामले में जब संदिग्ध लेन-देन का हवाला देकर दबाव बढ़ा, तो श्रेयांश जैन ने अन्य व्यापारियों और स्थानीय मीडिया को सूचना दी। देखते ही देखते मौके पर व्यापारियों की भीड़ जमा हो गई, जिससे माहौल तनावपूर्ण हो गया। 

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पुलिस की मौजूदगी और दुकान सील

सूचना मिलते ही थाना प्रभारी सुरेश चंद्र यादव मौके पर पहुंचे और GST अधिकारियों की मौजूदगी की पुष्टि की। इसके बाद, अधिकारियों ने मेसर्स अरिहंत स्टील की दुकान पर नोटिस चस्पा कर उसे सील कर दिया। यह नारायणपुर में GST विभाग की पहली ऐसी कार्रवाई थी, जिसने व्यापारियों में भय और आक्रोश पैदा कर दिया। 

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व्यापारियों में असंतोष, निष्पक्ष जांच की मांग

इस घटना ने स्थानीय व्यापारी समुदाय में गहरी नाराजगी फैलाई है। व्यापारी संगठनों ने इसे "अधिकारियों की मनमानी" करार देते हुए जिला प्रशासन और राज्य सरकार से निष्पक्ष जांच की मांग की है। उनका कहना है कि ऐसी कार्रवाइयां छोटे और मझोले व्यापारियों को परेशान करने का जरिया बन रही हैं। 

धारा 67 के तहत दी गई धमकी

GST कानून की धारा 67 के तहत, अगर अधिकारियों को लगता है कि कोई व्यवसायी कर चोरी या अनियमितता में शामिल है, तो वे दस्तावेजों की जांच, सामान जब्ती या दुकान सील करने जैसी कार्रवाई कर सकते हैं। हालांकि, व्यापारी का आरोप है कि इस धारा का दुरुपयोग कर उनसे रिश्वत वसूलने की कोशिश की गई। 

व्यापारी संगठन मुखर, जीएसटी अधिकारी खामोश

यह मामला अब नारायणपुर ही नहीं, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ में चर्चा का विषय बन गया है। व्यापारी संगठन इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाने की तैयारी में हैं। दूसरी ओर, जीएसटी विभाग की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। ऐसे सवाल उठता है कि क्या यह कार्रवाई कर चोरी रोकने की दिशा में कदम थी या फिर व्यापारियों के उत्पीड़न का हिस्सा है? इस सवाल का जवाब निष्पक्ष जांच से ही मिलेगा। स्थानीय व्यापारियों ने अब एकजुट होकर इस तरह की कार्रवाइयों के खिलाफ आवाज बुलंद करने का फैसला किया है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।

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FAQ

मेसर्स अरिहंत स्टील पर छापा क्यों मारा गया और व्यापारी का क्या आरोप है?
GST अधिकारियों ने कर चोरी की आशंका के चलते 1 जून 2025 को नारायणपुर के प्रतिष्ठित छड़-सीमेंट कारोबारी मेसर्स अरिहंत स्टील पर छापा मारा। व्यापारी श्रेयांश जैन का आरोप है कि अधिकारियों ने सभी दस्तावेजों की जांच के बावजूद ₹45 लाख की रिश्वत मांगी, और मना करने पर उनकी दुकान को धारा 67 के तहत छह महीने के लिए सील करने की धमकी दी गई।
क्या केवल अरिहंत स्टील ही इस कार्रवाई का शिकार हुआ?
नहीं, GST विभाग ने केवल अरिहंत स्टील ही नहीं, बल्कि फरसगांव के K.V. जनरल स्टोर्स और जगदलपुर के मोती जनरल स्टोर्स पर भी छापेमारी की। इन कार्रवाइयों ने पूरे क्षेत्र के व्यापारियों में भय और आक्रोश फैला दिया है।
व्यापारियों और प्रशासन की प्रतिक्रिया क्या रही?
स्थानीय व्यापारी संगठनों ने इस घटना को "अधिकारियों की मनमानी" बताते हुए निष्पक्ष जांच की मांग की है। व्यापारी समुदाय ने एकजुट होकर ऐसी कार्रवाइयों के विरोध में आवाज उठाने का फैसला किया है। वहीं, GST विभाग की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।

 

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