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छत्तीसगढ़ में नया शैक्षणिक सत्र 16 जून से शुरू होने जा रहा है, लेकिन कवर्धा जिले के कई स्कूलों की हालत इतनी खराब है कि वे खंडहर नजर आते हैं। इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे जर्जर दीवारों, टूटी खिड़कियों और गायब फर्श के बीच पढ़ाई करने को मजबूर हैं। खासकर पंडरिया विकासखंड के ग्राम बाहपानी के स्कूल भवन की स्थिति अत्यंत दयनीय है, जहां प्लास्टर उखड़ चुका है, खिड़कियां टूटी हैं, और फर्श का नामोनिशान नहीं है। अब ऐसे ही जर्जर भवनों में नौनिहालों का नए सत्र में स्वागत किया जाएगा।
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पंचायत भवन में शाला
पंडरिया के कई गांवों जैसे कुशयरी, महिडबरा, हथिगुड़ान, मजगांव, पंडरीपानी, सेमहरा, कांदावानी, छौरपानी, जगखनाडीह, सिंगपुर, रोखनी, तेलियापानी, लेदरा, अधचरा, भेलकी, देवानपटपर, बोहिल, गभोड़ा, बिरकोना, चियाडाँढ, आगरपानी, फिफलीपानी, भेढ़ागढ़, और अमनिया के स्कूल भी मरम्मत की बाट जोह रहे हैं। यही हाल बोड़ला, स. लोहारा और कवर्धा विकासखंडों के ग्रामीण और वनांचल क्षेत्रों के स्कूलों का है। ग्राम लोखान की प्राथमिक शाला तो पंचायत भवन में चल रही है।
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बरसात में बढ़ती हैं मुश्किलें
वर्षा ऋतु में इन स्कूलों की हालत और बदतर हो जाती है। टपकती छतों और कमरों में घुसते पानी के कारण बच्चों को छाता लगाकर पढ़ना पड़ता है। कई बार पानी भरने के कारण स्कूलों में छुट्टी तक करनी पड़ती है।
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मरम्मत की राशि अपर्याप्त
स्कूल प्राचार्यों का कहना है कि मरम्मत और स्टेशनरी के लिए हर साल कुछ राशि मिलती है, लेकिन यह इतनी कम होती है कि सिर्फ स्टेशनरी का खर्च ही किसी तरह पूरा हो पाता है। उन्होंने बताया कि इस बार मात्र 10,000 की राशि भी दो साल बाद मिली। इतनी राशि में मरम्मत संभव नहीं है।
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शिफ्ट में चल रहा स्कूल
पंडरिया के कुआंमलगी गांव का माध्यमिक स्कूल पूरी तरह जर्जर है। हालत ऐसी है कि मिडिल स्कूल के बच्चों को प्राइमरी स्कूल में दो शिफ्टों में पढ़ाया जा रहा है। मरम्मत की मांग कई बार उठाई जा चुकी है, अधिकारियों ने सर्वे भी किया, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है। इन जर्जर स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का भविष्य खतरे में है। जरूरत है तत्काल मरम्मत और बेहतर संसाधनों की, ताकि नौनिहाल सुरक्षित माहौल में पढ़ाई कर सकें।
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