हाईकोर्ट ने धान उठाव में देरी पर सरकार को लगाई फटकार

छत्तीसगढ़ में इस साल खरीदा गया धान समय पर नहीं उठाए जाने से खुले में पड़ा है। कोर्ट ने समितियों को केंद्र और राज्य सरकार को आदेश की प्रति के साथ अभ्यावेदन देने और अधिकारियों को 90 दिनों में निर्णय लेने का निर्देश दिया।

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Krishna Kumar Sikander
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The High Court reprimanded the government for the delay in lifting paddy the sootr
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छत्तीसगढ़ में इस साल खरीदा गया धान समय पर नहीं उठाए जाने से खुले में पड़ा है, जिससे उसका वजन और गुणवत्ता दोनों प्रभावित हो रहे हैं। धान की बर्बादी को रोकने के लिए सहकारी समितियों के प्रबंधकों ने हाईकोर्ट का रुख किया। जस्टिस राकेश मोहन पाण्डेय की एकल पीठ ने इस मामले में सुनवाई करते हुए स्पष्ट किया कि धान का समय पर उठाव राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। कोर्ट ने समितियों को केंद्र और राज्य सरकार को आदेश की प्रति के साथ अभ्यावेदन देने और अधिकारियों को 90 दिनों में निर्णय लेने का निर्देश दिया।

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सहकारी समितियों ने दायर की थी याचिकाएं

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हाईकोर्ट में प्रदेश की सहकारी समितियों ने याचिकाएं दायर की थीं। याचिका करीब 20 से ज्यादा समितियों ने लगाई थी। समिति ने याचिकाओं में अपील की गई कि धान की खरीदी सरकार की नीतियों के तहत की गई थी। मगर उठाने की बारी आई तो समय सीमा 31 जनवरी 2025 से बढ़ाकर 19 और फिर 28 फरवरी 2025 कर दी गई। इसके बावजूद कई केंद्रों पर धान खुले में पड़ा है। भंडारण सुविधाओं के अभाव में बारिश, गर्मी, कीट और पक्षियों से धान को नुकसान हो रहा है, जिससे गुणवत्ता में कमी आ रही है।

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सरकार से नीति बनाने की मांग

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समितियों ने हाईकोर्ट से मांग की कि सरकार को बचा हुआ धान जल्द उठाने और पर्यावरणीय कारणों से हुई मात्रा की कमी के लिए समायोजन करने का आदेश दिया जाए। याचिका में यह भी कहा गया कि पहले इस परिस्थिति में 1-2% ड्राइज भत्ता देने की व्यवस्था थी। इस बार खरीदी के समय कोई स्पष्ट नीति नहीं थी। दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद कोर्ट ने चेतावनी दी कि बारिश से नुकसान बढ़ सकता है। केंद्र और राज्य सरकार को मिलकर इस समस्या के समाधान के लिए नीति बनाने का निर्देश दिया गया।

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FAQ

छत्तीसगढ़ में धान उठाव में देरी के कारण क्या समस्या उत्पन्न हुई?
धान समय पर नहीं उठाए जाने के कारण वह खुले में पड़ा है, जिससे उसका वजन और गुणवत्ता दोनों प्रभावित हो रहे हैं। बारिश, गर्मी, कीट और पक्षियों से नुकसान की आशंका भी बढ़ गई है।
सहकारी समितियों ने हाईकोर्ट में क्या मांग की?
समितियों ने मांग की कि सरकार बचा हुआ धान जल्द से जल्द उठाए और पर्यावरणीय कारणों से हुई मात्रा की कमी के लिए समायोजन की नीति बनाए। साथ ही, पहले की तरह ड्राइज भत्ता देने की भी व्यवस्था लागू की जाए।
हाईकोर्ट ने सरकार को इस मामले में क्या निर्देश दिए?
हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि धान का समय पर उठाव राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को मिलकर समाधान के लिए नीति बनाने का निर्देश दिया और अधिकारियों को 90 दिनों के भीतर निर्णय लेने को कहा।

 

 

 

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