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Photograph: (the sootr)
राजस्थान के बूंदी जिले के नैनवा कस्बे के राजकीय बालिका सीनियर सेकेंडरी स्कूल में शुक्रवार को एक कमरे की छत अचानक गिर गई। गनीमत रही कि उस समय छात्राएं स्कूल में मौजूद नहीं थीं, वरना एक बड़ा स्कूल हादसा हो सकता था। इस घटना ने बच्चों और उनके अभिभावकों में दहशत पैदा कर दी है।
प्रधानाचार्य अनिल शर्मा ने बताया कि जब स्कूल स्टाफ ने स्कूल पहुंचकर गिरी हुई छत देखी, तो वे हैरान रह गए। उन्होंने तुरंत छात्राओं को स्कूल न आने की सलाह दी और उच्च अधिकारियों को इस बारे में सूचित किया। घटना की सूचना पर सीबीईओ अनिल गोयल मौके पर पहुंचे और कमरे को गिराने का आदेश दिया। प्रशासन का कहना है कि जिस कमरे की छत गिरी, उसमें कोई कक्षा नहीं लगती थी और इसे स्टोर रूम के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा था।
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शिक्षा विभाग की लापरवाही उजागर
बूंदी जिले में लगातार हो रहे हादसे शिक्षा विभाग की लापरवाही की ओर इशारा करते हैं। 15 अगस्त को बूंदी शहर में एक निजी स्कूल की फॉल्स सीलिंग गिरने से पांच बच्चे गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इसके अलावा, नैनवा रोड स्थित प्राइमरी स्कूल में बुधवार को छत का प्लास्टर गिरा। अब नैनवा बालिका स्कूल में छत गिरने की घटना ने शिक्षा विभाग की मॉक मॉनिटरिंग और मेंटेनेंस को उजागर कर दिया है।
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तुरंत कार्रवाई की दरकार
ग्रामीणों और अभिभावकों का कहना है कि अधिकारी केवल कागजों में जांच और कार्रवाई की खानापूर्ति कर रहे हैं, जबकि जर्जर स्कूल भवन बच्चों की जान के लिए खतरा बने हुए हैं। इस घटनाक्रम से स्पष्ट है कि प्रशासन को इन स्कूल भवनों की जर्जर हालत पर तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए। छात्रों के सुरक्षित माहौल में पढ़ाई के लिए ये कदम आवश्यक हैं।
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सरकार की लापरवाही और बच्चों की सुरक्षा
हालात ऐसे हैं कि शिक्षा विभाग की लापरवाही बच्चों के लिए जीवन और मौत का सवाल बन गई है। जब तक स्कूलों के भवनों की सही मॉनिटरिंग और मरम्मत नहीं की जाती, तब तक इन हादसों को रोका नहीं जा सकता। अधिकारियों की लापरवाही के कारण बच्चों की जान हमेशा खतरे में रहती है।
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मुख्य बिंदु
- घटना : नैनवा बालिका स्कूल में छत गिरने की घटना।
- बच्चों की सुरक्षा : छत गिरने से कोई बच्चा घायल नहीं हुआ, लेकिन दहशत बढ़ी।
- शिक्षा विभाग की लापरवाही : पिछले कुछ महीनों में कई हादसे सामने आए।
- कागजी कार्रवाई : जांच और कार्रवाई कागजों तक ही सीमित।
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