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Photograph: (the sootr)
राजस्थान के स्कूली बच्चों के लिए अब एक नई पहल की शुरुआत होने जा रही है। शिक्षा विभाग और निर्वाचन विभाग के बीच प्रस्तावित एमओयू के बाद स्कूलों में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स को मतदाता जागरुकता का पाठ पढ़ाया जाएगा। इस कदम का उद्देश्य है कि न केवल बच्चे लोकतांत्रिक अधिकारों और कर्तव्यों को समझें, बल्कि भविष्य में जिम्मेदार मतदाता भी बन सकें।
योजना के अनुसार, इलेक्टोरल लिटरेसी क्लब की गतिविधियों को औपचारिक रूप से स्कूल सिलेबस से जोड़ा जाएगा। बच्चों को इस विषय से संबंधित पाठ्य सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी, जिसमें मतदान प्रक्रिया, मतदाता सूची, पहचान पत्र और लोकतांत्रिक जिम्मेदारियों की जानकारी शामिल होगी।
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दो चरणों में लागू होगा कार्यक्रम
यह कार्यक्रम दो चरणों में लागू होगा। पहले चरण में उच्च प्राथमिक स्तर (मिडिल स्कूल) में बच्चों के लिए मतदाता जागरुकता को सिलेबस का हिस्सा बनाया जाएगा। वहीं दूसरे चरण में उच्च शिक्षा विभाग के साथ भी एमओयू होगा। इससे कॉलेज और विश्वविद्यालयों में भी छात्र-छात्राओं को यह पाठ पढ़ाया जाएगा। प्रस्तावित एमओयू में दोनों विभागों की भूमिकाएं तय होंगी। सिलेबस में शामिल होने वाले बिंदुओं और पाठ्य सामग्री की रूपरेखा पर भी सहमति बनेगी। जल्द ही सचिवालय में मुख्य निर्वाचन अधिकारी की अध्यक्षता में बैठक आयोजित होगी, जिसमें समझौते पर मोहर लगने की संभावना है।
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शिक्षा के जरिए संदेश पहुंचाने की पहल
मतदाता जागरुकता को सिलेबस का हिस्सा बनाने के पीछे तर्क यह है कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, लेकिन यहां वोटिंग प्रतिशत कई बार उम्मीद से कम रहता है। चुनाव आयोग लंबे समय से युवाओं को मतदान के लिए प्रेरित करने के अभियान चला रहा है। अब शिक्षा के जरिए बच्चों तक यह संदेश पहुंचाने की पहल भविष्य में सकारात्मक परिणाम दे सकती है। शिक्षाविदों और राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम आने वाली पीढ़ी को लोकतंत्र के वास्तविक अर्थ समझाने में मदद करेगा।
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जिम्मेदारी की भावना बढ़ने की उम्मीद
शिक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, जब बच्चे स्कूल में लोकतांत्रिक प्रक्रिया का व्यावहारिक ज्ञान पाएंगे, तो उनके भीतर जिम्मेदारी की भावना भी बढ़ेगी। विश्लेषक मानते हैं कि यह पहल वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने और लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत करने का माध्यम बन सकती है। मतदाता जागरुकता को स्कूली और उच्च शिक्षा सिलेबस का हिस्सा बनाने से न केवल बच्चों में मतदान प्रक्रिया की समझ विकसित होगी, बल्कि आने वाले समय में यह पहल लोकतंत्र को और सशक्त बनाने में भी मददगार साबित हो सकती है।
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