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देशभर में बिहार में चल रहे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) की चर्चा जोरों पर है। सड़क से लेकर संसद तक, यह मुद्दा सियासी तूफान का केंद्र बन गया है। बिहार में मतदाता सूची के पुनरीक्षण को लेकर विपक्ष और सत्तापक्ष के बीच तीखी नोकझोंक जारी है। विपक्ष इसे "वोटबंदी" करार दे रहा है, और आरोप लगा रहा है कि इस प्रक्रिया के जरिए लाखों मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हटाए जा रहे हैं। वहीं, चुनाव आयोग और केंद्र सरकार का दावा है कि SIR का मकसद मृत, प्रवासी, और अवैध मतदाताओं को सूची से हटाकर इसे शुद्ध करना है। इस बीच, छत्तीसगढ़ में भी 2028 के विधानसभा चुनाव से पहले SIR की संभावना ने सियासी माहौल को गर्म कर दिया है।
भगत का दावा, छत्तीसगढ़ में SIR की आहट
छत्तीसगढ़ के पूर्व खाद्य मंत्री और कांग्रेस नेता अमरजीत सिंह भगत ने एक बड़ा बयान देकर सियासी हलचल मचा दी है। उन्होंने दावा किया कि बिहार में SIR के तहत 65 लाख मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हटाए गए हैं, और अब बीजेपी छत्तीसगढ़ में भी 2028 के चुनाव से पहले ऐसी ही प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी में है। भगत ने कहा, "बिहार में जो हुआ, उसे छत्तीसगढ़ में होने से रोकना होगा। हमें प्रजातंत्र की रक्षा के लिए सजग रहना होगा। बीजेपी के मंसूबों को हम कामयाब नहीं होने देंगे।" उन्होंने लोगों से लोकतंत्र की रक्षा के लिए एकजुट होने की अपील की।
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नेताम का पलटवार, कांग्रेस ने की फर्जी वोटिंग
अमरजीत भगत के इस बयान पर छत्तीसगढ़ के कैबिनेट मंत्री रामविचार नेताम ने तीखा पलटवार किया। उन्होंने कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा, "कांग्रेस ने हमेशा मृत और प्रवासी लोगों के नाम पर फर्जी वोटिंग कराई। बांग्लादेश और पाकिस्तान में बसे लोगों के नाम तक वोटर लिस्ट में डाले गए।" नेताम ने यह भी दावा किया कि कांग्रेस को 2028 में अपनी हार तय दिख रही है, इसलिए वह SIR का विरोध कर रही है। उन्होंने कहा कि फर्जी वोटिंग का दंश छत्तीसगढ़ की जनता को लंबे समय से झेलना पड़ा है, और अब समय है कि मतदाता सूची को शुद्ध किया जाए।
संसद में बिहार SIR पर विपक्ष का जोरदार विरोध
संसद के मानसून सत्र का 12वां दिन (5 अगस्त 2025) भी बिहार SIR के मुद्दे पर हंगामे की भेंट चढ़ने की संभावना है। विपक्षी दलों, खासकर INDIA गठबंधन, ने बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण को लेकर लगातार चर्चा की मांग की है। सोमवार को लोकसभा में विपक्ष ने इस मुद्दे पर हंगामा किया, जिसके चलते कार्यवाही पहले दोपहर 2 बजे तक और फिर मंगलवार सुबह 11 बजे तक स्थगित कर दी गई। विपक्ष का आरोप है कि SIR के जरिए बिहार में 8.3% मतदाताओं (लगभग 65 लाख) को वोटर लिस्ट से हटाया जा रहा है, खासकर उन इलाकों में जो विपक्ष के गढ़ माने जाते हैं।
केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्ष पर पलटवार करते हुए कहा, "विपक्ष ऑपरेशन सिंदूर जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा से भाग रहा है और अनावश्यक हंगामा कर रहा है।" उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि नियम और स्पीकर की सहमति हो, तो सरकार किसी भी मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है। हालांकि, सरकार का कहना है कि चुनाव आयोग एक स्वायत्त संस्था है, और उसकी प्रक्रियाओं पर संसद में चर्चा संभव नहीं है, जैसा कि पूर्व स्पीकर बलराम जाखड़ ने 1986 में कहा था।
संसद में राष्ट्रीय खेल शासन विधेयक 2025 और राष्ट्रीय डोपिंग रोधी (संशोधन) विधेयक 2025 पेश किए जाने की संभावना है। साथ ही, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एनडीए संसदीय दल की बैठक को संबोधित करेंगे, जिसमें बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के सांसद शामिल होंगे। लेकिन बिहार SIR का मुद्दा एक बार फिर कार्यवाही को बाधित कर सकता है।
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बिहार SIR का विवाद: क्या है पूरा मामला?
बिहार में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) की शुरुआत 24 जून 2025 को चुनाव आयोग द्वारा की गई थी, जिसका मकसद 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची को अद्यतन करना है। इस प्रक्रिया में 77,895 बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) घर-घर जाकर गणना फॉर्म एकत्र कर रहे हैं। 1 अगस्त 2025 को ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी की गई, और अब 1 सितंबर तक दावे और आपत्ति की अवधि चल रही है।
विपक्ष का आरोप है कि इस प्रक्रिया में 65 लाख मतदाताओं के नाम हटाए जा रहे हैं, खासकर उन जिलों में जहां विपक्ष का प्रभाव है, जैसे गोपालगंज (15.1%), पूर्णिया (12.07%), किशनगंज (11.82%), मधुबनी (10.44%), और भागलपुर (10.19%)।
कांग्रेस सांसद माणिकम टैगोर ने इसे "वोटर रोल रिगिंग" करार दिया और संसद में चर्चा की मांग की। दूसरी ओर, चुनाव आयोग का कहना है कि यह प्रक्रिया शहरीकरण, प्रवास, मृत्यु, और अवैध मतदाताओं (जैसे गैर-नागरिकों) को हटाने के लिए जरूरी है।
सुप्रीम कोर्ट भी इस मामले की सुनवाई कर रहा है, और उसने चुनाव आयोग को आधार कार्ड, राशन कार्ड, और वोटर आईडी जैसे दस्तावेजों को सत्यापन के लिए स्वीकार करने पर विचार करने को कहा है।
छत्तीसगढ़ में SIR की संभावना पर विशेषज्ञों की राय?
छत्तीसगढ़ में 2028 के विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची के पुनरीक्षण की संभावना ने सियासी हलकों में बहस छेड़ दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि छत्तीसगढ़ में बिहार जैसी स्थिति नहीं है, जहां सीमांचल जैसे क्षेत्रों में अवैध प्रवास की समस्या को लेकर सवाल उठे हैं। फिर भी, शहरीकरण, प्रवास, और जनसंख्या वृद्धि के कारण छत्तीसगढ़ में भी मतदाता सूची को अद्यतन करने की जरूरत हो सकती है।
कांग्रेस नेता अमरजीत भगत का दावा कि बीजेपी छत्तीसगढ़ में भी SIR के जरिए मतदाताओं को हटाने की योजना बना रही है, सियासी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। दूसरी ओर, बीजेपी का कहना है कि फर्जी वोटिंग को रोकने के लिए ऐसी प्रक्रिया जरूरी है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि छत्तीसगढ़ में SIR लागू होने पर पारदर्शिता और जनजागरूकता पर विशेष ध्यान देना होगा, ताकि बिहार जैसी अव्यवस्था और विवाद से बचा जा सके।
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