चुनाव आयोग ने आगामी तीन महीनों में यूनिक वोटर कार्ड की योजना बनाई है। इस कार्ड में एक यूनिक एपिक नंबर होगा, जो वोटर्स को वोट देने में और मतदान सूची में शामिल होने में सहायक होगा। यह कदम चुनाव प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और सटीक बनाएगा। इससे वोटर लिस्ट में सुधार होगा और गड़बड़ी की समस्या दूर होगी।
यूनिक वोटर कार्ड का नया सिस्टम
चुनाव आयोग ने वोटर पहचान पत्र को लेकर एक बड़ा कदम उठाया है। चुनाव आयोग का कहना है कि आने वाले तीन महीनों में यूनिक वोटर कार्ड जारी किए जाएंगे। इस कार्ड में एक यूनिक एपिक नंबर होगा, जिससे वोटर्स को किसी भी राज्य में आसानी से जोड़ा जा सकेगा।
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यूनिक वोटर कार्ड क्या है?
यूनिक वोटर कार्ड वह पहचान पत्र होगा, जिसमें प्रत्येक वोटर का एक विशेष एपिक नंबर होगा। इस कार्ड की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यदि कोई मतदाता एक राज्य से दूसरे राज्य में शिफ्ट हो जाता है, तो उस एपिक नंबर के जरिए उसे नई जगह पर जुड़ने में मदद मिलेगी। साथ ही, उसे पुराने राज्य से हटाने की प्रक्रिया भी स्वचालित हो जाएगी। इससे पहले की समस्या को हल किया जाएगा, जहां लोग दूसरे राज्य में शिफ्ट होकर भी अपना नाम पुराने राज्य की वोटर लिस्ट में बनाए रखते थे।
दिल्ली विधानसभा चुनाव में लगे थे आरोप
हाल ही में दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान मतदाता सूची में गड़बड़ी को लेकर कई राजनीतिक दलों ने चुनाव आयोग पर आरोप लगाए थे। हालांकि, चुनाव आयोग ने इन आरोपों को खारिज कर दिया था और यूनिक एपिक नंबर के इस्तेमाल की प्रक्रिया को तेज कर दिया है। चुनाव आयोग का कहना है कि यूनिक एपिक नंबर से ऐसी गड़बड़ियों को रोका जा सकेगा और यह प्रक्रिया पारदर्शी बनेगी।
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ममता बनर्जी का भी था विरोध
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया था, जिस पर चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि एक जैसे एपिक नंबर होने का मतलब यह नहीं कि वह फर्जी वोटर हैं। अधिकारियों का कहना है कि इस नए सिस्टम से वोटर लिस्ट में कोई गड़बड़ी नहीं रहेगी और यह चुनाव प्रक्रिया को निष्पक्ष बनाएगा।
लाखों वोटर्स को मिलेगा फायदा
यूनिक वोटर कार्ड से लाखों वोटर्स को फायदा मिलेगा। इससे न केवल वोटरों को अपने मताधिकार का सही इस्तेमाल करने में मदद मिलेगी, बल्कि वोटर लिस्ट में सुधार और पारदर्शिता भी आएगी। चुनाव आयोग का यह कदम चुनावी प्रक्रिया को और ज्यादा सटीक और प्रभावी बनाएगा।