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सुरक्षा बलों ने छत्तीसगढ़-तेलंगाना की सीमा पर नक्सलियों के विरुद्ध बड़ी सफलता हासिल की है। नक्सल विरोधी अभियान के तहत चलाए जा रहे सर्च अभियान के दौरान माओवादी संगठन की स्टेट कमेटी की प्रमुख सदस्य और सेंट्रल कमेटी सदस्य सुधाकर की पत्नी सुनीता को गिरफ्तार किया। गत 21 अगस्त 2025 को यह सफलता तेलंगाना पुलिस को मिली। इस गिरफ्तारी को नक्सलियों के कमजोर होते ढांचे पर एक और प्रहार के रूप में देखा जा रहा है।
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कैसे पकड़ी गई सुनीता?
तेलंगाना पुलिस की इंटेलिजेंस विंग को मुखबिर से मिली सटीक जानकारी के आधार पर यह ऑपरेशन अंजाम दिया गया। सूत्रों के अनुसार, सुनीता इलाज के लिए करीमनगर क्षेत्र से गुजर रही थी, तभी पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए उसे धर दबोचा।
सुनीता पर कई गंभीर आरोप हैं, जिनमें विभिन्न राज्यों में हिंसक गतिविधियों को अंजाम देना, लेवी वसूली, और माओवादी संगठन में नए कैडरों की भर्ती शामिल है। उसकी गिरफ्तारी से नक्सलियों के नेटवर्क को गहरा झटका लगा है।
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बस्तर में नक्सलियों की कमजोर होती पकड़
बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) पी. सुंदरराज ने बताया कि जनवरी 2024 से अब तक नक्सल विरोधी अभियानों में 300 से अधिक नक्सली ढेर किए जा चुके हैं। वर्तमान में बस्तर डिवीजन में हथियारबंद नक्सली कैडरों की संख्या घटकर मात्र 400 के आसपास रह गई है।
नक्सलियों की सेंट्रल कमेटी भी लगभग विघटित हो चुकी है, और अब केवल 10-12 सक्रिय कमांडर ही बचे हैं। ऐसे में सुनीता जैसे वरिष्ठ नक्सली नेता की गिरफ्तारी नक्सल संगठन की बिगड़ती स्थिति को और स्पष्ट करती है।
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बड़े खुलासों की संभावना
सुरक्षा एजेंसियां इस गिरफ्तारी को एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मान रही हैं। सुनीता की पूछताछ से नक्सलियों के मौजूदा ढांचे, उनके गुप्त ठिकानों, नई रणनीतियों, और संभावित विदेशी कनेक्शनों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलने की उम्मीद है।
इसके अलावा, नक्सलियों को स्थानीय स्तर पर मिलने वाले समर्थन, उनके आर्थिक स्रोतों, और लेवी वसूली के तंत्र का भी खुलासा हो सकता है। यह जानकारी नक्सलियों के खिलाफ चल रहे अभियानों को और प्रभावी बनाने में मदद कर सकती है।
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नक्सलवाद के खात्मे की ओर बढ़ता भारत
पिछले डेढ़ साल में मुठभेड़ों, आत्मसमर्पण, और गिरफ्तारियों के कारण नक्सलियों की ताकत पहले ही काफी कमजोर हो चुकी है। सुनीता की गिरफ्तारी इस बात का स्पष्ट संकेत है कि नक्सलवाद अब अपने अंतिम चरण में है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में चल रहे नक्सल मुक्त भारत अभियान के तहत यह कार्रवाई एक निर्णायक कदम मानी जा रही है। सुरक्षा बलों की सतर्कता और समन्वित प्रयासों ने नक्सलियों के नेटवर्क को तोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
भविष्य की रणनीति
सुनीता की गिरफ्तारी न केवल नक्सलियों के मनोबल को तोड़ने वाली है, बल्कि यह सुरक्षा बलों के लिए एक रणनीतिक जीत भी है। इस कार्रवाई से नक्सलियों के बचे-खुचे ढांचे को और कमजोर करने में मदद मिलेगी। साथ ही, स्थानीय समुदायों में नक्सलवाद के प्रभाव को कम करने और विकास की मुख्यधारा से जोड़ने की दिशा में भी यह एक महत्वपूर्ण कदम है।
सुरक्षा एजेंसियां अब सुनीता से मिलने वाली जानकारियों के आधार पर आगे की रणनीति तैयार करने में जुट गई हैं, ताकि नक्सलवाद को जड़ से खत्म किया जा सके।यह सफलता छत्तीसगढ़ और तेलंगाना पुलिस की संयुक्त कार्रवाई और इंटेलिजेंस की मजबूती का परिणाम है, जो नक्सलवाद के खिलाफ चल रही लड़ाई में एक मील का पत्थर साबित हो सकती है।
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