इंदौर में देहदान करने वाले को पहली बार मिला गार्ड ऑफ ऑनर, सीएम ने दिए थे निर्देश

इंदौर में पहली बार देहदान करने वाले अशोक वर्मा को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के आदेश पर वर्मा का सम्मान किया गया। वर्मा ने 2011 में देहदान का संकल्प लिया था और बेटे की अकाल मृत्यु के बाद भी उसका देहदान किया था।

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Sanjay Gupta
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Photograph: (The Sootr)

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INDORE. इंदौर में पहली बार देहदान के करने वाले को गार्ड ऑफ ऑनर देकर सम्मान किया गया। सीएम डॉ. मोहन यादव ने इस संबंध में एक जुलाई 2025 को ही आदेश जारी कराए थे और साथ ही कहा था कि देहदान, अंगदान करने वालों का सम्मान किया जाए। 

अपने बेटे का भी देहदान करा चुके थे वर्मा

शहर में जवाहर मार्ग निवासी मेडिकल व्यवसायी अशोक वर्मा का गुरुवार रात निधन हो गया था। उन्होंने साल 2011 को महर्षि दधीची देहदान अंगदान समिति के जरिए देहदान का संकल्प लिया था। निधन पर परिजनों ने दधीचि मिशन से बात की और और देहदान कराया। वर्मा की अंतिम यात्रा के बाद उनकी पार्थिव देह अरविंदो मेडिकल कॉलेज को डोनेट की गई। वर्मा ने कुछ साल पहले अपने बेटे की अकाल मृत्यु होने पर भी उसकी देह दान करवाई थी। वह नागरिकों और संबंधियों से देहदान और अंगदान के लिए संकल्प पत्र भरवाते थे। 

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5 पॉइंट्स में समझें पूरी खबर... 

पहली बार देहदान पर सम्मान: इंदौर में पहली बार देहदान करने वाले अशोक वर्मा को गार्ड ऑफ ऑनर से सम्मानित किया गया। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के आदेश के तहत यह सम्मान दिया गया।

अशोक वर्मा का देहदान का संकल्प: अशोक वर्मा ने 2011 में महर्षि दधीचि देहदान अंगदान समिति के जरिए देहदान का संकल्प लिया था। उन्होंने अपनी पार्थिव देह को अरविंदो मेडिकल कॉलेज में डोनेट किया।

बेटे का भी देहदान किया था: अशोक वर्मा ने अपने बेटे की अकाल मृत्यु के बाद भी उसका देहदान किया था, और यह उनका मान्यता देने का तरीका था।

वर्मा की सोच और प्रयास: वर्मा कुप्रथा और रूढ़ीवादी परंपराओं के खिलाफ थे। उन्होंने अपनी बहू का कन्यादान किया और उसका पुनर्विवाह भी कराया।

सीएम का निर्देश: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने देहदान और अंगदान करने वालों का सम्मान करने के निर्देश दिए थे, जिससे यह परंपरा इंदौर में शुरू हुई।

कुरीतियों के खिलाफ थे वर्मा

दधीचि ब्राह्मण समाज के संस्थापक नंदकिशोर व्यास ने कहा कि अशोक वर्मा कुप्रथा और संकीर्ण रूढ़ीवादी परम्पराओं के खिलाफ थे। बेटे की अकाल मृत्यु होने के बाद जहां देहदान किया था वहीं बहू का भी बेटी की तरह कन्यादान कर उसका पुनर्विवाह भी किया। इंदौर देहदान | देहदान सम्मान

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