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नगर निगम ने एक बार फिर अवैध कॉलोनियों को वैध करने का निर्णय लिया है। निगम ने 16 कॉलोनियों को चिन्हित किया है और इनमें विकास शुल्क जमा कराने के लिए सूचना जारी की है। लेकिन इस सूची में दो विवादित कॉलोनियों को भी निगम ने शामिल किया है, दोनों ही जमीन की धोखाधड़ी से जुड़ी हुई हैं। इनमें एक तो घोषित भूमाफिया अरूण डागरिया, महेंद्र जैन की कॉलोनी है, जिसमें खुद जिला प्रशासन ने इन पर केस दर्ज कराया था। साथ ही अक्षरधाम कॉलोनी को लेकर कुलभूषण कुक्की, अरविंद बागड़ी, राम ऐरन, किशोर गोयल, जगदीश सहित कई लोगों की शिकायत पहले भी और अभी मार्च में भी कलेक्टर जनसुनवाई में हो चुकी है।
इंदौर शहर में 950 अवैध कॉलोनियां
इंदौर नगर निगम 16 अवैध कॉलोनियों को वैध कर रहा है, इससे लगभग 8 हजार प्लॉटधारक है। शहर में करीब 950 अवैध कॉलोनियां हैं। निगम जिन 236 कॉलोनियों को वैध करने की प्रक्रिया कर रहा है। इसमें 137 पहले ही वैध की जा चुकी हैं और 99 की प्रक्रिया चल रही है। इसमें 16 और नई कॉलोनियां शामिल की जा रही हैं। बड़े प्लॉट वाली कॉलोनी में 150 रुपए वर्गफीट और छोटे प्लॉट वाली कॉलोनी में 10 से 12 रुपए वर्गफीट विकास शुल्क तय किया गया है।
16 कॉलोनियों में यह नाम
अक्षरधाम कॉलोनी (मूसाखेड़ी), गुरुकुल फॉर्म (लिम्बोदी), लैंडलॉर्ड एस्टेट (निपानिया), प्रणाम एस्टेट (बिचौली मर्दाना), प्रिंसेस एस्टेट (लसूड़िया मोरी), पुष्प वाटिका (लसूड़िया मोरी), रॉयल सिटी (बिचौली मर्दाना), शांति विहार (बिचौली हप्सी), द्वारकापुरी (सिरपुर), अमन नगर (मूसाखेड़ी), इदरीस नगर (मूसाखेड़ी), परमाणु नगर (हुक्माखेड़ी), शाहीन नगर एक्सटेंशन (मूसाखेड़ी), राधा स्वामी नगर (चितावद), पुष्पदीप नगर (पालदा), साकेत धाम (छोटा बांगड़दा)।
प्रिंसेस एस्टेट कॉलोनी इन भूमाफियाओं की
प्रिंसेस एस्टेट कॉलोनी वार्ड 35 थाना लसूड़िया क्षेत्र में है। यह विविध सर्वे नंबर 257, 258, 259, 260, 261, 262, 264, 326, 328, 329, 330 आदि पर स्थित है। यह कॉलोनी भूमाफिया फेनी कंस्ट्रक्शन के डायरेक्टर अरूण डागरिया, महेंद्र जैन के साथ वीटेक मार्कोन कंपनी के अतुल सुराणा की है। इसमें 15 अप्रैल 2024 को जिला प्रशासन ने अपराध क्रमांक 443/2024 के तहत लसूड़िया थाने में धारा 420, 409, 120बी, 34 में केस दर्ज कराया था। इन पर आरोप है कि सुविधासंपन्न कॉलोनी के सब्जबाग दिखाकर प्लॉट बेचने के नाम पर लोगों को ठगा गया। इसमें 24 आवेदन पत्र पुलिस को मिले थे। इन्होंने 1998 से पीड़ितों को परेशान किया है, किसी को प्लॉट की रजिस्ट्री नहीं मिली, तो किसी को कब्जा नहीं दिया गया। कुछ डबल रजिस्ट्री भी हुई। कलेक्टर आशीष सिंह ने इसमें अपर कलेक्टर गौरव बैनल से जांच भी कराई थी और इसके बाद केस हुआ, इसमें कई शिकायतकर्ता सामने आए थे।
डागरिया पर कई केस, बेटा आदित्य भी उलझा
डागरिया पर यह कोई पहला मामला नहीं है, उन पर जमीन धोखाधड़ी के कई केस हैं और वे जेल भी जा चुके हैं। हाल ही में हातोद में अवैध कॉलोनी काटने में उनका बेटा आदित्य डागरिया और रिश्तेदार नितिन पालीवाल भी उलझे हैं। शिकायत के बाद इनके खिलाफ अपर कलेक्टर कोर्ट में अवैध कॉलोनी काटने का केस दर्ज किया गया है। साथ ही जमीन की खरीदी-बिक्री पर भी रोक लगाई गई है।
अक्षरधाम कॉलोनी में भी इसी तरह जमीन की धोखाधड़ी
इसी तरह वार्ड 54 मूसाखेड़ी स्थित अक्षरधाम कॉलोनी भी विवादित है। सर्वे नंबर 456/1, 456/2, 459, 460, 461, 461/1, 461/2, 463/5/4, 465/1, 465/3 आदि शामिल हैं। करीब तीन साल पहले इस कॉलोनी को लेकर जमकर शिकायतें हुई थीं। तत्कालीन अपर कलेक्टर डॉ. अभय बेड़ेकर ने इसकी जांच की थी। इसमें शिकायत हुई थी कि अमृता, मेघना और गणपति तीन सहकारी समितियों को मिलाकर करीब 90 एकड़ जमीन पर कुलभूषण मित्तल उर्फ कुक्की, अरविंद बागड़ी आदि ने मिलकर इसमें खेल किया है। रहवासियों ने इसमें रमेश जैन, जगदीश, राम ऐरन, किशोर गोयल, जगदीश टाइगर व अन्य पर भी आरोप लगाए।
अभी भी रसीद लेकर घूम रहे पीड़ित
रहवासियों के आरोप हैं कि कई सपने दिखाए गए इस कॉलोनी को लेकर, लेकिन कोई काम नहीं हुआ। इन्होंने अपने वालों के प्लॉट की रजिस्ट्री कर दी, लेकिन कई लोगों की रजिस्ट्री नहीं की। अब वह केवल जमा राशि देने का बोल रहे हैं, जबकि जमीन महंगी हो चुकी है। इसलिए हमने अक्षरधाम रहवासी संघ भी बनाया है। कई प्लॉट तो ऐसे हैं जो एक से ज्यादा लोगों को बेचे गए। मार्च 2025 में भी जनसुनवाई के दौरान कलेक्टर आशीष सिंह को अक्षरधाम के रहवासियों अध्यक्ष राजेंद्र अग्रवाल, भंवलाल प्रजापत व अन्य ने शिकायत की थी। राजेंद्र अग्रवाल ने कहा कि इसमें रमेश जैन, जगदीश, राम ऐरन हैं, सभी भूमाफिया हैं, डराते धमकाने का काम है इनका। कहते हैं जो बने कर लो, हमारा कुछ नहीं होगा। करीब 370 प्लॉट की कॉलोनी है। प्रजापत ने कहा कि जमीन बड़े टुकड़ों में बेच दी, सरकारी नाले पर भी प्लॉट काट कर बेचे। अभी भी करीब पौने दो सौ लोग रसीद लेकर भटक रहे हैं।
कॉलोनी वैध तो सभी भूमाफियाओं की चांदी
सबसे बड़ी बात है कि जब अभी प्लॉट के स्वामित्व ही तय नहीं हैं और रसीदों पर प्लॉट बिके हैं, एक ही भूखंड कई को बेचा गया है और किसी को कब्जा नहीं मिला तो किसी को वैध रजिस्ट्री नहीं मिली, फिर विकास शुल्क नगर निगम किससे लेगा? कॉलोनी वैध होने से भूमाफियाओं की चांदी हो जाएगी। वे सभी जिम्मेदारियों से मुक्त हो जाएंगे। प्रिंसेस एस्टेट में तो एफआईआर ही दर्ज है, ऐसे में वह केस भी खत्म हो जाएगा और अक्षरधाम में भी अग्रवाल समाज से कई बड़े लोग पूर्व पदाधिकारियों पर आरोप है वह भी निकल जाएंगे।
अवैध कॉलोनियां इंदौर | अक्षरधाम कॉलोनी इंदौर
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