सिंहासन छत्तीसी: मंत्री को इग्नोर किया तो दिल्ली से आया फोन, कोयले की कालिख में 3 आईपीएस के हाथ काले, कलेक्टर की तारीफ से क्यों बिफरे नेताजी

मंत्रीजी को बुलाने दिल्ली से आया फोन, कोयले में तीन आईपीएस के हाथ काले, जिस कलेक्टर पर नेताजी गुस्सा उसी की तारीफ... छत्तीसगढ़ की प्रशासनिक और राजनीतिक गलियारों की ऐसी ही अनसुनी खबरों के लिए पढ़िए द सूत्र का साप्ताहिक कॉलम सिंहासन छत्तीसी।

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Arun Tiwari
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RAIPUR.छत्तीसगढ़ के राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में एक बड़ी चर्चा चल पड़ी है। हाल ही में हुई कलेक्टर,एसपी और डीएफओ की कान्फ्रेंस में एक मंत्री को नहीं बुलाया गया तो दिल्ली से फोन आ गया। ताज्जुब की बात तो ये भी है कान्फ्रेंस में विभागीय मंत्री की गैर मौजूदगी चर्चा का विषय तो बनती। लेकिन ऐसा होते होते रह गया। संगठन की दखल के बाद सब सेट हो गया।

कोयले की कालिख में तीन आईपीएस के हाथ भी काले हो गए हैं। हालांकि कहा तो ये भी जा रहा है कि इन आईपीएस का डायरेक्ट इन्वाल्मेंट नहीं था लेकिन संबंधित जगह के जिम्मेदार अफसर होने के नाते इनसे पूछताछ की गई है। बताया ये भी जा रहा है कि इनको जांच एजेंसी ने अपना गवाह बना लिया है। 

कान्फ्रेंस में एक कलेक्टर की तारीफ हुई तो नेताजी बिफर पड़े। राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों की ऐसी ही खबरों के लिए पढ़िए द सूत्र का साप्ताहिक कॉलम सिंहासन छत्तीसी।   

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मंत्रीजी को बुलाने दिल्ली से आया फोन : 

राजधानी में हाल ही में हुई दो दिवसीय कलेक्टर-एसपी कॉन्फ्रेंस सियासी गलियारों में चर्चा का केंद्र बनी हुई है। एक ओर एक खाली कुर्सी ने सबका ध्यान खींचा, तो दूसरी ओर एक साहब की अचानक एंट्री ने सबको चौका दिया। बताया जा रहा है कि वह खाली कुर्सी सीएम से जुड़े किसी बड़े अधिकारी की थी, जिनकी गैरमौजूदगी अब चर्चा का विषय है। 

सूत्र बताते हैं कि वे पिछले कुछ समय से कम सक्रिय दिख रहे हैं। इसी बैठक को लेकर एक और दिलचस्प खबर है। बताया जा रहा है कि एक विभागीय मंत्री को बुलाने के लिए संगठन को खुद हस्तक्षेप करना पड़ा। सूत्र बताते हैं कि मंत्रीजी को पहले इसमें बुलाया ही नहीं गया था लेकिन यह बात दिल्ली तक पहुंच गई और फिर दिल्ली से फोन आ गया और आनन फानन में मंत्री जी को बुलाया गया।  

यह सब स्क्रिप्ट सत्ता की नाभि में बैठे एक बड़े अफसर की है जिनके हिसाब से पूरा गृह विभाग चल रहा है। वहीं एक और रोचक बात नजर आई। बैठक में पुलिस के मुखिया की मौजूदगी तो थी, लेकिन सिर्फ औपचारिकता भरी। न उनके आगे कोई टेबल लगी थी, न ही उन पर किसी का ध्यान। पूरी बैठक में वे मौन बैठे रहे। 

कोयले में तीन आईपीएस के हाथ काले !

कोयला घोटाले में नए नए नाम सामने आ रहे हैं। खबर तो यहां तक है कि तीन आईपीएस के हाथ भी इस कोयले की कालिख में काले हुए हैं। जांच एजेंसी ने इनको भी समन भेजकर पूछताछ की है।

छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित कोयला लेवी घोटाला मामले में आर्थिक अपराध शाखा EOW ने स्पेशल कोर्ट में 1500 पन्नों की चार्जशीट पेश की है। इस चार्जशीट में न सिर्फ घोटाले के किंगपिन सूर्यकांत तिवारी और निलंबित उप सचिव सौम्या चौरसिया के कोडवर्ड और वसूली सिंडिकेट का खुलासा हुआ है, बल्कि तीन आईपीएस अधिकारियों के नाम भी सामने आए हैं, जो इन मुख्य आरोपियों के संपर्क में थे।

इन अफसरों के इशारों पर अवैध वसूली का नेटवर्क संचालित होता था। यह भी बताया जा रहा है कि ED और CBI के एक्टिव होते ही दागी अफसरों ने ग्रुप में शामिल नंबरों का इस्तेमाल करना बंद कर दिया था। ये मोबाईल नंबर और सिम अफसरों को किसके नाम पर और कैसे उपलब्ध कराए गए थे। इसकी भी पड़ताल जारी बताई जाती है। 

जिस कलेक्टर पर नेताजी गुस्सा उसी की तारीफ : 

छत्तीसगढ़ में इन दिनों बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता और कलेक्टर के बीच चल रही तनातनी खूब चर्चा में है। नेताजी ने कलेक्टर पर हिटलरशाही और डीएमएफ घोटाले में शामिल होने के आरोप लगाए हैं। नेताजी कलेक्टर के खिलाफ मोर्चा खोल कर बैठे हैं। लेकिन इन साहब की तो तारीफ हो रही है।

कलेक्टर कान्फ्रेंस में कलेक्टर साहब की खूब तारीफ की गई। यह तारीफ उनके जिले में किए गए पीएम सूर्यघर योजना के बेहतर क्रियान्वयन को लेकर की गई। यह खबर सुनकर नेताजी के समर्थक भड़क गए और एक बार फिर कलेक्टर पर आरोपों की झड़ी लगा दी। यह सुनकर प्रशासन से जुड़े लोग सक्रिए हुए और खबरों से कलेक्टर की तारीफ वाला हिस्सा डीलिट कर दिया गया।     

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धान खरीदी या धान कुटाई : 

धान खरीदी से पहले धान कुटाई शुरु हो गई है। छत्तीसगढ़ में धान खरीदी एक ऐसा विषय है जिसमें भले ही सरकार की कमर टूट जाए लेकिन किसानों को नाराज नहीं किया जा सकता। कैबिनेट की बैठक में फूड और मार्कफेड के अफसर प्रेजेंटेशन दे रहे थे और मंत्रिपरिषद सुन रही थी।

बैठक में यहां तक बात आ गई कि अगर धान खरीदी की यही स्थिति रही तो एकाध साल बाद धान खरीदने की स्थिति नहीं रहेगी। आज की तारीख में मार्कफेड पर 38 हजार करोड़ का लोन है और इस साल ओवर परचेजिंग से राज्य के खजाने को 8 हजार करोड़ की चपत लग चुकी है।

दरअसल, दिक्कत किसान और धान से नहीं, दिक्कत धान की रिसाइकिलिंग और राइस माफियाओं के खेल से है। छत्तीसगढ़ में धान खरीदी का ग्राफ इस तेजी से बढ़ रहा कि अच्छे-अच्छे कृषि वैज्ञानिक हैरान हैं। लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार आखिर करे तो क्या करे धान खरीदी तो करनी पड़ेगी।

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