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Photograph: (the sootr)
नए शिक्षा सत्र 2026-27 से, छत्तीसगढ़ के विद्यार्थियों को बार-बार पंजीयन नहीं कराना पड़ेगा। अब छात्रों को स्कूल में नर्सरी कक्षा में दाखिले के समय ही एक अपार-आईडी नंबर मिलेगा। यह नंबर छात्र की पूरी ज़िंदगी (आजीवन) के लिए मान्य रहेगा।
यह APAR नंबर छात्रों की स्कूली शिक्षा से लेकर कालेज शिक्षा तक के सभी रिकॉर्ड को एक ही जगह रखेगा। यह नई व्यवस्था पुराने सिस्टम को खत्म कर देगी। पहले छात्रों को कक्षा 9वीं में और फिर कॉलेज में एडमीशन के समय अलग-अलग नामांकन करवाना पड़ता था। इस नए बदलाव से रिकॉर्ड रखना ईजी और सेंट्रलाइज हो जाएगा।
अपार आईडी (APAR ID) क्या है?
अपार आईडी (Automated Permanent Academic Account Registration) एक स्थायी शैक्षणिक पहचान संख्या है। यह अपार आईडी नंबर स्टूडेंट को स्कूल में एडमीशन लेते समय दिया जाएगा। यह एजूकेशनल रिकॉर्ड को डिजिटल रूप में सेफ रखेगा। इस नंबर की मदद से विद्यार्थी के पूरे अकादमिक सफर को ट्रैक किया जा सकेगा।
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अपार आईडी के फायदे
लाभ | विवरण |
---|---|
सिंगल रजिस्ट्रेशन | अलग-अलग स्तरों पर नया रजिस्ट्रेशन नहीं |
ट्रांसपेरेंसी | विद्यार्थी की वास्तविक प्रगति और निरंतरता का मूल्यांकन आसान |
परेशानी में कमी | अलग-अलग आईडी, प्रमाण पत्र या कागजी झंझट समाप्त |
GER सुधार | छात्र छोड़ने की सही जानकारी मिलने से नीतिगत सुधार संभव |
कालेजों में बढ़ेगी छात्र संख्या
रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, रायगढ़, अंबिकापुर तथा जगदलपुर के सरकारी एवं निजी कालेजों में लगभग 50 हजार सीटें खाली रह गई हैं। इसका मुख्य कारण है कि अभी तक स्कूली व उच्च शिक्षा में रिकॉर्ड अलग-अलग आधारों पर चलते हैं। अपार आईडी के लागू होने से यह अंतर खत्म होगा। इसके लागू हो जाने के बाद कालेजों में छात्र संख्या बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है।
छत्तीसगढ़ में अपार आईडी योजना को ऐसे समझें2026-27 से नई व्यवस्था: अब स्कूलों और कॉलेजों में प्रवेश के लिए अलग-अलग पंजीकरण की जरूरत नहीं होगी; हर छात्र को एक ही अपार आईडी (APAR ID) मिलेगी जो आजीवन मान्य रहेगी। नर्सरी से पीएचडी तक एक पहचान: नर्सरी में प्रवेश लेते ही बनने वाली यह आईडी छात्र के पूरे एकेडमिक लाइफ — स्कूल, कॉलेज, डिप्लोमा या शोध तक एक ही नंबर से जुड़ी रहेगी। सभी रिकॉर्ड एक स्थान पर: अपार आईडी में छात्र का पूरा अकादमिक रिकॉर्ड (Academic Record) दर्ज रहेगा, जिससे अलग-अलग प्रमाणपत्र या रजिस्ट्रेशन नंबर याद रखने की परेशानी नहीं होगी। जीईआर (GER) में सुधार: इस व्यवस्था से शिक्षा विभाग को वास्तविक ग्रास इनरोलमेंट रेशियो (GER) का पता चलेगा और ड्रॉपआउट दर पर भी नियंत्रण पाया जा सकेगा। राज्य के विश्वविद्यालयों में बदलाव: छत्तीसगढ़ के सभी डिग्री कॉलेजों में शिक्षा सत्र 2026-27 से एबीसी (ABC) और अपार आईडी के बिना प्रवेश नहीं दिया जाएगा। |
ग्रास इनरोलमेंट रेशियो (GER) पर असर
जीईआर (Gross Enrollment Ratio) किसी भी राज्य या देश में शिक्षा के स्तर का महत्वपूर्ण संकेतक होता है। नई व्यवस्था में:
कौन-सा छात्र किस स्तर तक नियमित रूप से पढ़ रहा है?
कहां पर पढ़ाई बीच में छूट जाती है?
छात्रों की संख्या में वास्तविकता क्या है?
इन सबका समेकित डाटा मिल सकेगा।
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किसे मिलेगी और कब से?
समयसीमा: शिक्षा सत्र 2026–27 से अनिवार्य
स्तर: नर्सरी से लेकर पीएचडी
बिना अपार आईडी प्रवेश: संभव नहीं
विश्वविद्यालयों को भी स्वायत्तता: रिकॉर्ड अपडेट पोर्टल पर आधारित
यह बदलाव क्यों जरूरी?
अभी विद्यार्थी प्रवेश, ट्रांसफर या परीक्षा के दौरान अलग-अलग आईडी और दस्तावेजों में उलझे रहते हैं। पंजाब, केरल, दिल्ली जैसे राज्यों में ऐसी प्रणाली ने शिक्षा व्यवस्था को आधुनिक बना दिया है। अब यही मॉडल छत्तीसगढ़ सरकार अपनाने जा रही है। यहां भी बच्चों के अपार आईडी कार्ड बनाए जाएंगे।