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छत्तीसगढ़ में सुशासन के दावों के बाद भी भ्रष्टाचार के मामले एक के बाद एक सामने आते जा रहे हैं। जब इनके तार मंत्रियों के बंगलों से जुड़े हों तो मामला गंभीर हो जाता है। छत्तीसगढ़ में कुछ ऐसा ही हो रहा है। एक मंत्रीजी के ओएसडी खुलेआम कमीशन का खेल खेल रहे हैं। वहीं दूसरी ओर खबर ये भी है कि अधिकारी ही मंत्रियों का फोन नहीं उठाते।
अब सवा ये है कि अधिकारी ज्यादा बड़े हो गए हैं या मंत्रियों का कद कुछ ज्यादा छोटा है। वहीं खबर ये भी है कि जल्द ही मंत्रियों के विभागों की अदला,बदली की तैयारी की जा रही है। छत्तीसगढ़ की ऐसी ही अनसुनी राजनीतिक और प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़िए द सूत्र का साप्ताहिक कॉलम सिंहासन छत्तीसी।
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मंत्री के दास,काम करते खासछत्तीसगढ़ में एक तरफ तो सीएम का सुशासन है तो दूसरी तरफ मंत्री का कमीशन है। एक अहम विभाग के मंत्री के दास यानी उनके ओएसडी पूरा विभाग चला रहे हैं। इस विभाग में सबसे ज्यादा कमीशन और वसूली का काम चल रहा है। जिलों में वसूली एजेंट तक बना रखे हैं। यह काम देखते हैं मंत्रीजी के ओएसडी साहब। नकली का पूरा कारोबार इनके इशारे पर ही चल रहा है। आखिर नकली से कमीशन भी तो बहुत तगड़ा मिलता है।
कब, किससे और कितना कमीशन लेना है यह सब ओएसडी ही तय करते हैं। यह वही विभाग है जो लोगों से सीधा जुड़ा है और जिसके मंत्री हमेशा विवादों में रहते हैं। इतना ही नहीं रात में महफिल भी जमती है जिसका पूरा इंतजाम भी ओएसडी साहब करते हैं। इस महफिल में मनोरंजन का सारा सामान उपलब्ध होता है और आखिर हो भी क्यों न, ओएसडी साहब अपनी इसी खासियत से तरक्की की सीढ़ियां चढ़ रहे हैं और खूब पैसे भी छाप रहे हैं।
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मंत्रियों का फोन नहीं उठाते अफसर
छत्तीसगढ़ में सुशासन की बयार इस तरह बह रही है कि अफसर ही मंत्रियों का फोन नहीं उठाते। यह बात मंत्रीजी के बंगले से ही पता चली। हाल ही में एक विवादित आदेश आया तो लोगों ने मंत्रीजी से संपर्क किया। मंत्री का फोन उनके निज सचिव के पास था। जब आदेश के बारे में उनसे पूछा गया तो यह उनकी जानकारी में नहीं था। निज सचिव साहब ने कहा कि इसके बारे में सुबह ही जानकारी दी जाएगी क्योंकि 9 बजे के बाद अफसर हमारे फोन नहीं उठाते।
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वे बोले कि अधिकारी न बंगले का फोन उठाते हैं और न मंत्रीजी का। इसलिए बात तो सुबह ही हो पाएगी। आखिर मंत्रीजी को आदेश वापस लेना पड़ा। लेकिन हैरानी बात ये है कि यह किस तरह का सुशासन है जिसमें अधिकारी, मंत्री को ही तवज्जो नहीं दे रहे। इस एक उदाहरण से अधिकारियों के सामने मंत्रियों की स्थिति तो समझी ही जा सकती है।
मंत्रियों के विभागों की होगी अदला-बदली
खबर है कि कुछ मंत्रियों के विभागों की अदला-बदली हो सकती है। अब यह मंत्रिमंडल विस्तार के साथ होगी या पहले इसको लेकर असमंजस है। दरअसल यह चर्चा इसलिए है क्योंकि हाल ही में रायपुर आए संगठन के बड़े नेताओं ने मंत्रियों की बैठक बुलाई थी। इस बैठक में मंत्रियों से उनके पसंद के विभाग पूछे गए। इसके अलावा उनके पास जो विभाग हैं उनका परफॉर्मेंस कार्ड भी दिखाया गया।
इस आधार पर यह कयास लगाए जा रहे हैं कि कुछ मंत्रियों के विभागों में फेरबदल हो सकता है। इन संगठन नेताओं के आस पास उन नेताओं का जमावड़ा लगा रहा जो अभी भी निगम मंडलों में पद पाने की आस पाले हुए हैं। जिनको पद मिल गया है वे अब पार्टी कार्यक्रमों से दूरी बनाने लगे हैं और जो पद पाने के इच्छुक है वे बड़े नेताओं का चक्कर काटने लगे हैं। वे कहते हैं कि क्या करें भाईसाब उम्मीद पर तो दुनिया कायम है।
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