संस्कार की नर्सरी में माफिया का दखल, ब्लैकमेलिंग का सिंडीकेट

छत्तीसगढ़ के राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में इन दिनों कुछ ज्यादा ही गर्मी है। एक तरफ तो सूरज की गर्मी और दूसरी तरफ सियासत की गर्मी। रायपुर में हुए संस्कार की नर्सरी के कार्यक्रम में माफिया की इंट्री हो गई।

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Arun Tiwari
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singhasan chhatisi 8 may 2025 journalist arun tiwari
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छत्तीसगढ़ के राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में इन दिनों कुछ ज्यादा ही गर्मी है। एक तरफ तो सूरज की गर्मी और दूसरी तरफ सियासत की गर्मी। रायपुर में हुए संस्कार की नर्सरी के कार्यक्रम में माफिया की इंट्री हो गई। लोग ताज्जुब में हैं ऐसा कैसे हो गया। खबर तो ये भी है कि छत्तीसगढ़ में ब्लैकमेलिंग का सिंडीकेट चल रहा है। इसमें प्रशासनिक,राजनीतिक और मीडिया जगत से जुड़े लोग शामिल हैं। छत्तीसगढ़ के राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों की ऐसी ही अनसुनी खबरों के लिए पढ़िए द सूत्र का साप्ताहिक कॉलम सिंहासन छत्तीसी। 

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संस्कार की नर्सरी में माफिया की एंट्री

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, संघ का वो अनुषांगिक संगठन माना जाता है जिसे संस्कार की नर्सरी कहा जाता है। यह इसलिए क्योंकि इस संगठन में वो तरुणाई शामिल होती है जो आगे चलकर युवा नेतृत्व में तब्दील हो जाती है। यही कारण है कि एबीवीपी को संस्कार की नर्सरी कहा जाता है। लेकिन इस संस्कार की नर्सरी में आजकल माफिया के कैक्टस उग आए हैं। इसका ताजा उदाहरण हाल ही में देखने को मिला। एबीवीपी की राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद की बैठक में नागरिक अभिनंदन समारोह हुआ।

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इस समारोह में सीएम समेत संघ नेता और धर्माचार्य शामिल हुए। यहां तक को सब ठीक है लेकिन इसकी स्वागत समिति ने हैरानी में डाल दिया। आमंत्रण पत्र में छपी इस जंबो स्वागत समिति में 50 से ज्यादा लोग शामिल थे। इन लोगों में शराब माफिया, कोल माफिया, भू माफिया, मीडिया माफिया और गरीबों की जमीनों पर कब्जा करने वाले लोग भी शामिल थे।

यहां तक कि इसमें कांग्रेसी विचारधारा के लोग भी शामिल थे। इस संगठन से जुड़े लोग ही खींसे निपोरते हुए कहते हैं कि भाईसाब अब समय बदल गया है, संस्कार के साथ साथ चंदा मामा की भी तो बहुत जरुरत होती है। खैर बात भी ठीक है वक्त के साथ सब बदल ही जाता है बाकी चीजें कहने सुनने के लिए ठीक लगती हैं। 

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ब्लैकमेलिंग का सिंडीकेट

जब से प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनी है तब से ब्लैकमेलिंग का एक बड़ सिंडीकेट काम कर रहा है। ऐसा नहीं है कि ऐसा कांग्रेस सरकार में नहीं होता था, होता था और बहुत जबरदस्त होता था। लेकिन अब सरकार बदली है तो इस सिंडीकेट के चेहरे बदल गए हैं। इस सिंडीकेट में खास पदों पर बैठे आईएएस, कांग्रेस नेता,बीजेपी नेता और पत्रकार शामिल हैं। इसमें कांग्रेसी मानसिकता के पत्रकार शामिल हैं तो बीजेपी विचारधारा के पत्रकारों की भी इसमें हिस्सेदारी है। इनकी महफिल भी जब तब सजती रहती है जिसमें अलग-अलग लोग शामिल होते हैं।

ये महफिल कभी वीआईपी रोड पर, तो कभी आरंग रोड पर, कभी धमतरी रोड पर तो कभी नया रायपुर रोड पर बने बड़े और आलीशान होटल में होती है। इसमें वे लोग शामिल हैं जो सार्वजनिक जीवन में बहुत मुखर,प्रखर और ईमानदार होने का दम भरते हैं। इस महफिल में कौन सा ठेका कैसे मिलेगा, किस मीडिया को सरकार की तरफ से कितना फंड मिलेगा और कौन सा नेता,अफसर कैसे दबाव में आएगा, बस इसी तरह की योजनाएं बनती रहती हैं।

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हालांकि कौन किसके साथ महफिल सजाता है यह तो उनकी पर्सनल लाइफ है, लेकिन हम तो सिर्फ इसलिए इसका जिक्र कर रहे हैं क्योंकि जिस पैसे की लूट और बंदरबांट की बातें होती हैं वो तो आम आदमी की पसीने की कमाई से आया टैक्स का पैसा है।

 

 

sinhaasan chhatteesee

कांग्रेस छत्तीसगढ़ बीजेपी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद सिंहासन छत्तीसी sinhaasan chhatteesee