जिलों में एजेंट तैनात कर मंत्रीजी ने बनाए वसूली भाई, आखिर क्यों लगी मंत्रियों को मिर्ची

छत्तीसगढ़ के मंत्रियों की वसूली की चर्चाएं इन दिनों राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में खूब चर्चित हैं। फलां मंत्री इतने परसेंट लेता है, ढिकां मंत्री के यहां इतने परसेंट में काम बन जाता है।

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Arun Tiwari
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singhasan chhatisi 18 may 2025 journalist arun tiwari
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छत्तीसगढ़ के मंत्रियों की वसूली की चर्चाएं इन दिनों राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में खूब चर्चित हैं। फलां मंत्री इतने परसेंट लेता है, ढिकां मंत्री के यहां इतने परसेंट में काम बन जाता है। कुछ मंत्री तो बाकायदा लेन देन का बहीखाता रखते हैं। वहीं मंत्रियों को इन दिनों खूब मिर्ची लग रही हैं। प्रशासन से जरा सी भी चूक हुई और मंत्रीजी का पारा सातवें आसमान पर पहुंच जाता है। यह चूक कोई काम काज या जन कल्याण के कामों की चूक नहीं बल्कि स्वागत सत्कार की चूक है।

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योजना के क्रियान्वयन में गड़बड़ी होने पर मंत्री का गुस्सा जायज है लेकिन सत्कार करने या करवाने में हीला हवाली उनको बर्दाश्त नहीं है। ऐसे ही कुछ मंत्रियों ने हाल ही उनसे स्वागत न करवाने पर आसमान सिर पर उठा लिया। वहीं छत्तीसगढ़ में कुछ सरकारी संस्थाएं, सरकारी मितव्ययिता की धज्जियां उड़ा रही हैं। स्वास्थ परीक्षण अस्पताल में होता है लेकिन यहां पर हेल्थ चैकअप आलीशान होटल में हो रहा है। ऐसी ही राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों की अनसुनी खबरों के लिए पढ़िए द सूत्र का साप्ताहिक कॉलम सिंहासन छत्तीसी।   

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वसूली वाले मंत्रीजी

एक मंत्रीजी विभाग से ज्यादा वसूली पर ध्यान देते हैं। मंत्रीजी के आंख और कान उनके खास पीए हैं। खरीदी-सप्लाई का पूरा हिसाब किताब पीए रखते हैं। एक जिले से हिस्सा न पहुंचने पर पीए ने मंत्रीजी से शिकायत कर दी।  बस फिर क्या था मंत्रीजी ने जिले के अधिकारियों  की क्लास लगा दी।

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मंत्री जी उनके सामने खाता-बही खोलकर बैठ गए। तमतमाकर पूछा कि इतने की खरीदी हुई तो फिर इसका 15 परसेंट पहुंचाए क्यों नहीं। अधिकारियों ने कहा कि सर टेंडर पूरे नियम कायदे से हुआ था तो इसमें कैसे कुछ करते। मंत्री ने दो टूक कह दिया कि आगे से ऐसा नहीं चलेगा। मंत्रीजी ने सभी जिलों में एक-एक प्रायवेट वसूली एजेंट नियुक्त किया हुआ है। सारी बातें मंत्रीजी तक पहुंच जाती हैं और इसीलिए पीए भी टेबिल के नीचे से कुछ लेन देन नहीं कर पाते। 


तुझको मिर्ची लगी तो मैं क्या करुं

छत्तीसगढ़ के तीन मंत्रियों को ऐसी मिर्ची लगी कि उन्होंने आसमान सिर पर उठा लिया। हाल ही में केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान का छत्तीसगढ़ दौरा हुआ। पीएम आवास को लेकर अंबिकापुर में सभा का आयोजन भी हुआ। मंच पर शिवराज सिंह चौहान और सीएम विष्णुदेव साय समेत चार मंत्री मौजूद थे।

समारोह देरी से शुरु हुआ। शिवराज सिंह चौहान और विष्णुदेव साय को कहीं जाना था इसलिए उन्होंने जल्दी कार्यक्रम निपटाने को कहा। कार्यक्रम के जल्दी होने के कारण मंच पर मौजूद तीन मंत्रियों को शिवराज सिंह चौहान के स्वागत का मौका नहीं मिल पाया। इससे मंत्रीजी बहुत नाराज हुए। उन्होंने अपनी सारी नाराजगी जिला प्रशासन और आयोजकों पर उतार दी। जिला प्रशासन के अधिकारी कहते रहे कि हमने क्या किया है लेकिन मंत्रीजी ने उनकी एक न सुनी और आंखें तरेरते रहे। 

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अस्पताल की जगह सितारा होटल में टीकाकरण

सरकारी संस्थाओं द्वारा ब्लड टेस्ट या टीकाकरण अस्पताल की जगह यदि आलीशान होटल में हो तो थोड़ा अचंभित करता है। राज्य हज कमेटी ने हज पर जाने वाले लोगों के स्वास्थ्य परीक्षण के लिए शिविर आयोजित किया। कमेटी को शायद मेडिकल कॉलेज का हॉल या शहीद स्मारक भवन छोटा पड़ रहा था इसलिए यह स्वास्थ्य शिविर रायपुर की एक निजी आलीशान होटल में रखा गया। यह स्वास्थ्य शिविर भी तीन दिन का था। अलग अलग जिलों के लोगों को अलग अलग दिन बुलाया गया और उनका हेल्थ चैकअप किया गया। यहीं उनका ब्लड टेस्ट हुआ यहीं उनका टीकाकरण किया गया। अरे भाई मितव्यिता भी तो कोई चीज होती है। 


मनपसंद एप पर नहीं पसंद की शराब

छत्तीसगढ़ सरकार ने शराब प्रेमियों के लिए मनपसंद एप बनाई। इस मनपसंद एप पर शराब का ब्रांड, उसकी कीमत और उसकी उपलब्धता की पूरी जानकारी होती है। यह जानकारी लेकर आप अपनी मनपसंद शराब खरीद सकते हैं। लेकिन इन दिनों ऐसा हो नहीं रहा है।

छत्तीसगढ़ की शराब दुकानों पर ब्रांडेड बियर नहीं मिल रही है। मनपसंद एप पर उसकी उपलब्धता दिखती है लेकिन दुकान पर मिलती नहीं है। जब एप पर देखकर लोग शराब की दुकान पर पहुंचते हैं तो उनको बोल दिया जाता है कि ये बियर उपलब्ध नहीं है। दरअसल हो ये रहा है कि ब्रांडेड बियर बड़े बियर बार में भेजी जा रही हैं। जब तक बार से ब्रांडेड बियर बिक नहीं जाती तब तक उसे मनपसंद एप से हटाया नहीं जाता। अब लोग कह रहे हैं कि इस मनपसंद ऐप का क्या मतलब पर मनपसंद शराब नहीं मिल रही।

 

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