पाक का समर्थन करने पर तुर्किये को करोड़ों का नुकसान, छत्तीसगढ़ नहीं लेगा सेब
पाकिस्तान और हिंदुस्तान के युद्ध के बाद से पुरे भारत में आक्रोश का माहौल बना हुआ है। हर तरफ पाकिस्तान के लिए नफरत ही दिख रही है, जिसके लायक पाकिस्तान है।
पाकिस्तान और हिंदुस्तान के युद्ध के बाद से पुरे भारत में आक्रोश का माहौल बना हुआ है। हर तरफ पाकिस्तान के लिए नफरत ही दिख रही है, जिसके लायक पाकिस्तान है। आपको बता दें की पाकिस्तान और भारत के युद्ध के बाद से भारत अब पाकिस्तान से किसी भी प्रकार का रिश्ता नहीं रखना चाहता है। इसिलए अब छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के कारोबारियों ने भी तुर्किये के सेब और संगमरमर के बहिष्कार का फैसला लिया है। बिलासपुर के फल मंडी और फल विक्रेता संघ ने तुर्किये का विरोध करते हुए वहां के सेब नहीं बेचने का निर्णय लिया है।
जानकारी के मुताबिक, छत्तीसगढ़ में वर्तमान में सालाना 25 करोड़ रुपए से अधिक का सेब आता है। लेकिन अब व्यापारी तुर्किये से सेब नहीं मंगवाएंगे। दरअसल पहलगाम हमले के बाद भारत के ”ऑपरेशन सिंदूर” के खिलाफ तुर्किये ने खुलकर पाकिस्तान का साथ दिया। इससे व्यापारियों को भारी निराशा हुई। यही वजह है कि देश भर में तुर्किये के सेब फल के साथ ही वहां से आने वाले संगमरमर का विरोध शुरू हो गया है।
वही व्यापारियों का कहना है कि तुर्किये का भारत को लेकर हालिया राजनीतिक रुख स्वीकार नहीं किया जाएगा। हमने वर्षों तक इस देश के व्यापार का समर्थन किया। लेकिन इसने हमारी राष्ट्रीय भावनाओं को ठेस पहुंचाने का काम किया है।
FAQ
बिलासपुर के व्यापारियों ने तुर्किये के किन-किन उत्पादों का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है?
बिलासपुर के व्यापारियों ने तुर्किये से आने वाले सेब और संगमरमर का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है।
तुर्किये के उत्पादों का बहिष्कार करने का मुख्य कारण क्या है?
तुर्किये ने पहलगाम हमले के बाद भारत के "ऑपरेशन सिंदूर" के विरोध में पाकिस्तान का समर्थन किया, जिससे भारतीय व्यापारियों की भावनाओं को ठेस पहुंची और उन्होंने तुर्किये के उत्पादों का बहिष्कार करने का फैसला लिया।
तुर्किये से हर साल छत्तीसगढ़ में कितनी कीमत के सेब आते हैं?
छत्तीसगढ़ में हर साल तुर्किये से 25 करोड़ रुपए से अधिक के सेब आते हैं।