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जिला पंचायत सदस्य के चुनाव में कांग्रेस को मात्र दो सीट मिली। हालत यह थी कि अध्यक्ष के लिए प्रस्तावक या समर्थक तक नहीं थे। ऐसे में बीजेपी के अध्यक्ष निर्विरोध निर्वाचित घोषित कर दिए गए। यह पद मिला खरसिया क्षेत्र के युवा नेता और हाल ही में कांग्रेस से बीजेपी में आए नेता की पत्नी को। इसके बाद बीजेपी में तो घमासान मच गया।युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रवि भगत ने फेसबुक वॉल पर कुछ ऐसा लिख दिया कि राजनीतिक हलकों में इसकी चर्चा होने लगी है।
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क्या लिखा युवा नेता ने
भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रवि भगत ने अपने फेसबुक वॉल पर पोस्ट किया कि " मैं अड़ियल हूं, सच के खातिर, जिद्दी हूं, अपने हक के खातिर, मैं लड़ता हूं, जनहित के खातिर, इतनी तो मेरी गलती है" । इस पोस्ट के कई मायने निकले जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि यह पार्टी के अभी के नेताओं की कार्यशैली का मूक विरोध है।
यह भी कहा जा रहा है कि योग्यता की जगह व्यक्ति विशेष को प्राथमिकता मिलने के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है। राजनीतिक गलियारे में इस पोस्ट की काफी चर्चा है। इसे बीजेपी के अंदरखाने में चल रही हलचल का संकेत माना जा रहा है हालांकि ऊपर बहुत ही शांति दिखाई जा रही है। लोगों का यह भी मानना है कि धीरे धीरे सब ठीक हो जाएगा।
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कांग्रेस से बीजेपी में आये नेता की पत्नी को मिला पद
कहा जा रहा है कि शिखा रविन्द्र गबेल को बीजेपी ने एक रणनीति के तहत जिला पंचायत का अध्यक्ष बनाया है, ताकि इनके माध्यम से खरसिया के अविजित किले को अगली बार फतह किया जा सके। लेकिन चर्चा ये भी है कि 6 माह पहले ही कांग्रेस से बीजेपी में आए नेता रविन्द्र गबेल को यह पद देना बीजेपी के लिए मुसीबत न बन जाए। यह भी कहा जा रहा है कि चूंकि यह जिला मंत्री ओपी चौधरी की निगरानी में है इसलिए सब संभाल लिया जाएगा। लेकिन जो चिंगारी सोशल मीडिया में दिख रही है उसे अभी से शांत करना पड़ेगा।
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क्या बोले रवि भगत
इस मामले में जब रवि भगत से बात की तो उन्होंने कहा यह बगावत नहीं यह अभिव्यक्ति मात्र है । और यह व्यक्तिगत है। मैं बीजेपी का सच्चा सिपाही हूं, पिछली सरकार में हमने जितना आंदोलन किया और उसमें पैर में बैंडेज बांधकर हिस्सा लिया, उससे क्या नहीं लगता कि मैं अपने पार्टी के लिए समर्पित हूं। जो मुझे लगा उसे मैने लिखा है इसे किसी घटना से जोड़ना ठीक नहीं है। राजनीति में सब चलता है।
महिला नेताओं में भी गुस्सा
सूत्रों के मुताबिक जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव के बाद कुछ महिला जिला पंचायत सदस्य जिन्हें अध्यक्ष बनने का पूरा भरोसा था वे इतना आहत हो गई थी कि वे रोने लग गईं। ऐसे में उन्हें मनाने के लिए भी कोई न कोई उपाय किया जाएगा। दूसरी ओर बीजेपी जिलाध्यक्ष के गृह ग्राम में बीजेपी की हार हो गई जिसके कारण भी पार्टी में विरोध की खबर आने लगी है।
सोशल मीडिया में पार्टी के कार्यकर्ता मुखर हैं। अब इन सबका प्रभाव रहता है या शांत कर लिया जाएगा यह तो वक्त बताएगा लेकिन बीजेपी जैसी अनुशासित पार्टी में अगर सत्ता में आने के एक साल बाद यह स्थिति बन रही है तो पार्टी को चिंतन अवश्य करना चाहिए। इस पर एक बीजेपी नेता ने कहा कि " जब विपक्ष शून्य हो जाय तो पक्ष से विपक्ष जैसी आवाज आने लगती है"।
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