सुरक्षित नहीं पत्रकार, माफिया बना रहे निशाना... ये 5 घटनाएं कह रहीं आतंक की कहानी

भारत में पत्रकारों के खिलाफ हिंसा की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। हाल ही में पत्रकारों पर हमलों ने उनकी सुरक्षा और लोकतंत्र की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं।

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Manish Kumar
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दाएं से बाएं - सुशील काले, मुकुल शुक्ला (पीछे नीले चेक शर्ट में), मुकेश चंद्राकर और राघवेंद्र बाजपेई Photograph: (the sootr)

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भारत में पत्रकारों के खिलाफ हिंसा की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। हाल ही में मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों में पत्रकारों को जान से मारने की धमकियां दी गई हैं और जानलेवा हमले तक किए गए हैं। यह घटनाएं लोकतंत्र की स्वतंत्रता और पत्रकारिता की सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बन चुकी हैं। छत्तीसगढ़ के मुकेश चंद्राकर हत्याकांड को लेकर काफी हो-हल्ला मचा, सरकार ने पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर कई वादे भी किए, लेकिन सभी हवा-हवाई ही साबित हुए। इस बीच, मध्य प्रदेश में बीते दिनों कई जिलों में कहीं अधिकारी ही पत्रकार को धमका रहे हैं तो कहीं खनन-रेत माफिया जानलेवा हमला कर रहा है और कहीं भू-माफिया परिवार समेत जान से मारने की धमकी दे रहे हैं।

शिवपुरी में पत्रकार पर रेत माफिया का हमला

मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले में सुशील काले नामक एक पत्रकार पर रेत माफियाओं द्वारा जानलेवा हमला किया गया। पत्रकार सुशील ने रेत माफियाओं के खिलाफ खबरें छापीं थीं, जिसके कारण उन पर यह हमला किया गया। घटना में हमलावरों ने लोहे की रॉड से उन्हें जमकर पीटा जिसके कारण पत्रकार का पैर फ्रेक्चर हो गया।

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सागर में पुलिस की अनदेखी पर आत्मदाह की कोशिश

सागर जिले में एक अन्य पत्रकार, मुकुल शुक्ला, ने पुलिस की अनदेखी से परेशान होकर आत्मदाह की कोशिश की। दरअसल, पत्रकार ने एक जिला खनिज अधिकारी के खिलाफ रिपोर्ट की थी, लेकिन जब एफआईआर दर्ज नहीं की गई तो पत्रकार ने चक्काजाम प्रदर्शन किया। इस दौरान, जब पुलिस ने उनकी बात नहीं सुनी, तो वह आत्मघाती कदम उठाने के लिए मजबूर हो गए।

उमरिया में भू-माफिया द्वारा धमकी

उमरिया जिले में एक पत्रकार, दीपक शर्मा, को भू-माफिया ने धमकी दी। दीपक शर्मा ने शासकीय भूमि पर हो रहे अवैध निर्माण की खबर छापी थी। इसके बाद भू-माफिया ने उन्हें और उनकी मां को जान से मारने की धमकी दी। यह घटना दर्शाती है कि पत्रकारों को अपनी जान की सुरक्षा के लिए दिन-प्रतिदिन संघर्ष करना पड़ता है।

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बीजापुर में पत्रकार की हत्या

छत्तीसगढ़ के बीजापुर में पत्रकार मुकेश चंद्राकर की रॉड से पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। हत्या के पीछे सड़क निर्माण का काम था, जिसके खिलाफ मुकेश लगातार रिपोर्टिंग कर रहे थे। इस हत्या का खुलासा एसआईटी ने किया और बताया कि यह हत्या ठेकेदार द्वारा रची गई थी, जो मुकेश की रिपोर्टिंग से नाराज था जो उसके खिलाफ लगातार खबरें छाप रहे थे।

यूपी के सीतापुर में पत्रकार को मारी गई गोली

उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में एक पत्रकार, राघवेंद्र बाजपेई, को अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी। घटना के दौरान राघवेंद्र को बाइक से टक्कर मारकर गिराया गया, फिर उन पर ताबड़तोड़ फायरिंग की गई। पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच शुरू कर दी है।

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पत्रकारों की खुद की सुरक्षा का बढ़ता संकट

पत्रकारों का काम हमेशा समाज की सच्चाई को सामने लाना होता है, लेकिन उनके लिए खुद की सुरक्षा का संकट बढ़ता जा रहा है। इन हमलों के बावजूद पत्रकार अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए तैयार रहते हैं। यह घटनाएं उनके लिए डर और चिंता का कारण बन चुकी हैं। अब समय आ गया है कि सरकार और पुलिस प्रशासन पत्रकारों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाए। पत्रकारों की इन संघर्षों से यह भी साबित होता है कि उनकी भूमिका समाज में कितनी महत्वपूर्ण है। वह सच्चाई को उजागर करने के लिए अपनी जान जोखिम में डालते हैं। और यह संघर्ष सिर्फ अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए नहीं, बल्कि समाज के हर व्यक्ति की स्वतंत्रता और हक के लिए है।

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