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छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले में बोर्ड परीक्षाओं में निराशाजनक प्रदर्शन को लेकर जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) ने कड़ा रुख अपनाया है। जिले के 9 शासकीय और स्वामी आत्मानंद स्कूलों के प्रभारी प्राचार्यों की वेतन वृद्धि रोक दी गई है, क्योंकि उनके स्कूलों का परीक्षा परिणाम 50% से कम रहा। शिक्षा विभाग ने इस कार्रवाई को स्कूलों के शैक्षणिक प्रदर्शन में सुधार लाने के लिए एक चेतावनी के रूप में लागू किया है।
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लापरवाही और उदासीनता का आरोप
जिला शिक्षा विभाग ने पहले ही स्कूलों को बोर्ड परीक्षा परिणामों में सुधार के लिए कई बार दिशा-निर्देश जारी किए थे। समीक्षा बैठकों में प्राचार्यों को स्पष्ट तौर पर बेहतर प्रदर्शन के लिए प्रयास करने को कहा गया था। इसके बावजूद, कई स्कूलों का परिणाम अपेक्षा से काफी नीचे रहा। डीईओ ने प्राचार्यों से इस संबंध में स्पष्टीकरण मांगा था, लेकिन उनके जवाब संतोषजनक नहीं पाए गए। विभाग ने प्राचार्यों की ओर से परिणाम सुधारने के लिए कोई ठोस प्रयास न करने को कार्य के प्रति उदासीनता और गैर-जिम्मेदारी का प्रतीक माना।
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किन प्राचार्यों पर गिरी गाज?
जिन 9 प्रभारी प्राचार्यों की वेतन वृद्धि रोकी गई है, उनके नाम और स्कूल इस प्रकार हैं: घनश्याम घृतलहरे, शासकीय हाई स्कूल, बिलई, विकासखंड बेमेतरा
रुपचंद पुरैना, शासकीय हाई स्कूल, हेनाबंद, विकासखंड बेमेतरा
सिलोचन साहू, शासकीय बालक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, मवागढ़, विकासखंड नवागढ़
देवीलता बंजारे, शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, गाड़ानोर, विकासखंड नवागढ़
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लालजी डेहरे, शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, सम्बलपुर, विकासखंड नवागढ़
निरपाल साहू, शासकीय हाई स्कूल, नरदाकला, विकासखंड साजा
भावना वैष्णव, शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, घोटवानी, विकासखंड साजा
रविंद्र कुमार यादव, शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, थानखम्हरिया, विकासखंड साजा
मनीष चौबे, स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट हिंदी माध्यम विद्यालय, थानखम्हरिया, विकासखंड साजा
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तत्काल प्रभाव से लागू हुआ आदेश
डीईओ ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि प्राचार्यों की एक वेतन वृद्धि असंचयी प्रभाव से रोकी जाएगी, और यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है। यह कार्रवाई शिक्षा विभाग की उस मंशा को दर्शाती है, जिसमें स्कूलों को अपने शैक्षणिक प्रदर्शन को गंभीरता से लेने और गुणवत्ता सुधारने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
सख्ती का मकसद
शिक्षा विभाग का कहना है कि इस तरह की कार्रवाई से स्कूल प्रबंधन और प्राचार्यों में जवाबदेही बढ़ेगी। बोर्ड परीक्षाओं में खराब प्रदर्शन न केवल छात्रों के भविष्य को प्रभावित करता है, बल्कि स्कूलों की साख को भी कम करता है। विभाग ने भविष्य में और सख्त कदम उठाने की चेतावनी दी है, ताकि स्कूल अपने शैक्षणिक स्तर को बेहतर कर सकें। यह कदम जहां एक ओर प्राचार्यों के लिए सबक है, वहीं दूसरी ओर यह सवाल भी उठाता है कि क्या केवल प्राचार्यों को जिम्मेदार ठहराना पर्याप्त है, या फिर शिक्षा व्यवस्था में और बड़े सुधारों की जरूरत है।
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