सुकमा की ऐतिहासिक जीत: दो गांव नक्सलमुक्त घोषित हुए

छत्तीसगढ़ राज्य के सुकमा जिले के दो गांव केरलापेंडा और बोडेसेट्टी अब पूरी तरह से नक्सलमुक्त घोषित कर दिए गए हैं। ये दोनों गांव कभी नक्सली हिंसा और आतंक का केंद्र माने जाते थे, लेकिन अब विकास और शांति की राह पर आगे बढ़ रहे हैं।

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Harrison Masih
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छत्तीसगढ़ सरकार को नक्सलवाद के खिलाफ एक बड़ी सफलता हाथ लगी है। राज्य के सुकमा जिले के दो गांव केरलापेंडा और बोडेसेट्टी अब पूरी तरह से नक्सलमुक्त घोषित कर दिए गए हैं। ये दोनों गांव कभी नक्सली हिंसा और आतंक का केंद्र माने जाते थे, लेकिन अब विकास और शांति की राह पर आगे बढ़ रहे हैं। यह उपलब्धि न केवल सुरक्षाबलों की कड़ी मेहनत का नतीजा है, बल्कि सरकार की प्रभावी नीति और स्थानीय लोगों के सहयोग की भी मिसाल है।

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विकास की मुख्यधारा में शामिल हुआ गांव

केरलापेंडा गांव, जो वर्षों तक नक्सलवाद की गिरफ्त में था, अब विकास की मुख्यधारा से जुड़ चुका है। यहां 500 से अधिक लोग निवास करते हैं, जिन्हें अब पक्की सड़कें, बिजली, स्वच्छ जल और शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जा चुकी हैं।

स्थानीय निवासियों का कहना है कि पहले नक्सलियों की दहशत के चलते गांव के लोग बाहर निकलने से डरते थे, लेकिन अब स्थिति पूरी तरह बदल चुकी है। सरकार ने यहां कौशल विकास कार्यक्रम और स्थानीय संसाधनों पर आधारित छोटे उद्योग शुरू किए हैं ताकि रोजगार के अवसर बढ़ सकें।

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बोडेसेट्टी में भी लौटी रोशनी

इसी तरह, बोडेसेट्टी गांव, जहां करीब 300 लोग रहते हैं, अब नक्सलवाद के साये से मुक्त हो चुका है। यहां भी सड़क, बिजली, पानी जैसी सुविधाएं बहाल कर दी गई हैं। शिक्षा के क्षेत्र में सरकार ने बच्चों के लिए स्कूल और वयस्कों के लिए साक्षरता अभियान शुरू किया है।

एसपी किरण चौहान ने जानकारी दी कि यह पहला अवसर है जब सुकमा जिले में किसी पंचायत को औपचारिक रूप से नक्सलमुक्त घोषित किया गया है। उन्होंने कहा, "यह एक ऐतिहासिक क्षण है। नक्सलियों के आत्मसमर्पण और विकास योजनाओं की बदौलत अब ये गांव आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहे हैं।"

16 नक्सलियों का आत्मसमर्पण

सुकमा जिले में नक्सल उन्मूलन अभियान के तहत एक और बड़ी सफलता तब मिली जब 16 हार्डकोर नक्सलियों ने पुलिस और सीआरपीएफ अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। आत्मसमर्पण करने वालों में एक महिला नक्सली भी शामिल है।

इन पर कुल मिलाकर ₹25 लाख का इनाम घोषित था। आत्मसमर्पण करने वालों में PLGA बटालियन, एरिया कमेटी, चेतना मंच और संघम के सदस्य शामिल हैं। इनमें कुछ नक्सली पड़ोसी राज्य ओडिशा से भी थे। आत्मसमर्पण करने वाले सभी नक्सलियों को सरकार की “छत्तीसगढ़ नक्सलवादी आत्मसमर्पण पुनर्वास नीति -2025” के तहत लाभ दिए जाएंगे। प्रत्येक को ₹50,000 की प्रोत्साहन राशि और अन्य पुनर्वास सहायता प्रदान की जाएगी।

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सरकार की योजना

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में राज्य सरकार ने नक्सलवाद को जड़ से समाप्त करने के लिए ‘विकास और विश्वास’ की रणनीति अपनाई है। नक्सलियों को समाज की मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रेरित किया जा रहा है, साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य, रोज़गार और आधारभूत सुविधाओं का विस्तार किया जा रहा है।

प्रत्येक नक्सलमुक्त गांव को ₹1 करोड़ का विशेष विकास अनुदान प्रदान किया जा रहा है। इसका उपयोग सड़कों, पेयजल योजनाओं, स्कूलों और स्वास्थ्य केंद्रों के निर्माण में किया जाएगा।

नक्सलमुक्त गांव

केरलापेंडा और बोडेसेट्टी की यह सफलता न केवल सुकमा बल्कि पूरे बस्तर संभाग के लिए एक प्रेरणास्पद उदाहरण बन चुकी है। यह संदेश देती है कि यदि सरकार, सुरक्षा बल और स्थानीय जनता एकजुट हो जाए, तो नक्सलवाद जैसी गहरी जड़ें जमाई हुई समस्या को भी जड़ से समाप्त किया जा सकता है।

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