कांग्रेस की आर्थिक नाकेबंदी में सुशील शुक्ला और गिरीश दुबे भिड़े, बहस ने बटोरी सुर्खियां

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने राज्यव्यापी आर्थिक नाकेबंदी का आयोजन किया, जिसमें उन्होंने भाजपा सरकार और उद्योगपति अडानी पर राज्य की खनिज संपदा की लूट और जंगलों की अंधाधुंध कटाई का आरोप लगाया। इस प्रदर्शन के दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने जमकर नारेबाजी की।

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Krishna Kumar Sikander
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Sushil Shukla and Girish Dubey clashed in Congress economic blockade the sootr
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छत्तीसगढ़ में खनिज संपदा की कथित लूट और जंगलों की अंधाधुंध कटाई के विरोध में कांग्रेस पार्टी ने राज्यव्यापी आर्थिक नाकेबंदी का आयोजन किया।  इस नाकेबंदी के जरिए राज्य की भाजपा सरकार और उद्योगपति अडानी पर प्राकृतिक संसाधनों की लूट और पर्यावरण विनाश का आरोप लगाते हुए जमकर नारेबाजी की।

हालांकि, इस आंदोलन के दौरान रायपुर में अप्रत्याशित घटना ने सबका ध्यान खींचा। पार्टी के दो वरिष्ठ नेताओं प्रदेश संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला और रायपुर जिला अध्यक्ष गिरीश दुबे के बीच तीखी बहस छिड़ गई। यह कहासुनी इतनी तेज हो गई कि आसपास मौजूद कार्यकर्ताओं को बीच-बचाव करना पड़ा। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया, जिसने पार्टी की आंतरिक गुटबाजी को एक बार फिर उजागर कर दिया।

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वायरल वीडियो और भाजपा का तंज

वायरल वीडियो में सुशील आनंद शुक्ला और गिरीश दुबे के बीच तीखी नोकझोंक स्पष्ट दिखाई दे रही है। दोनों नेताओं के बीच विवाद का कारण स्पष्ट नहीं हो सका, लेकिन यह घटना कांग्रेस के आंदोलन की एकता पर सवाल उठाने वाली साबित हुई। इससे पहले भी सुशील आनंद शुक्ला विवादों में रहे हैं। कांग्रेस की पूर्व राष्ट्रीय प्रवक्ता राधिका खेडा का भी शुक्ला से विवाद हुआ था। राधिका खेडा ने रोते हुए अपना दर्द मीडिया के सामने रखा था।

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ताजा वीडियो को फेसबुक पर साझा करते हुए भाजपा नेता गौरीशंकर श्रीवास ने तंज कसा, " असली चेहरा सामने आ गया। नाकेबंदी से पहले ही आपस में भिड़ गए।" वहीं, भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी अमित चिमनानी ने भी इस घटना पर चुटकी लेते हुए कहा, "गुटबाजी और अनुशासनहीनता अब सड़कों पर दिख रही है। जनता के मुद्दों का दिखावा करने वाली पार्टी अपने नेताओं के बीच समन्वय तक नहीं बना पा रही।"

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आर्थिक नाकेबंदी का मकसद

इस आर्थिक नाकेबंदी को छत्तीसगढ़ की खनिज संपदा और जंगलों की रक्षा के लिए एक बड़े जनांदोलन के रूप में पेश किया। प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा, "भाजपा सरकार अडानी जैसे पूंजीपतियों को छत्तीसगढ़ की संपदा सौंप रही है। हसदेव और तमनार के जंगलों की कटाई इसका जीता-जागता सबूत है।" पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी इस प्रदर्शन का समर्थन करते हुए आरोप लगाया कि राज्य सरकार अहमदाबाद से संचालित हो रही है और अडानी के हितों को बढ़ावा दे रही है। उन्होंने यह भी दावा किया कि उनके बेटे चैतन्य बघेल की ईडी द्वारा गिरफ्तारी इस विरोध को दबाने की साजिश का हिस्सा है।

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आंदोलन के दौरान कार्यकर्ताओं ने रायपुर में मुंबई-कोलकाता राष्ट्रीय राजमार्ग पर वीआईपी चौक तेलीबांधा, बिलासपुर में सकरी-पेंड्रीडीह फ्लाईओवर और अन्य प्रमुख स्थानों पर चक्काजाम किया। प्रदर्शनकारी रघुपति राघव जैसे भजनों के साथ-साथ सरकार विरोधी नारे लगाते दिखे। हालांकि, पार्टी ने स्पष्ट किया कि एम्बुलेंस और स्कूल वाहनों को नाकेबंदी से छूट दी गई थी।

कांग्रेस की गुटबाजी फिर उजागर

यह पहला मौका नहीं है जब पार्टी की आंतरिक कलह सार्वजनिक हुई हो। इससे पहले भी बिलासपुर में एक बैठक के दौरान नेताओं के बीच विवाद का वीडियो वायरल हुआ था। रायपुर रेलवे स्टेशन पर भी सुशील आनंद शुक्ला और अन्य नेताओं के बीच कहासुनी की घटना सामने आ चुकी है। इन घटनाओं ने पार्टी के भीतर एकता और अनुशासन की कमी को उजागर किया है, जिसे भाजपा ने बार-बार निशाना बनाया है।

भाजपा की प्रतिक्रिया

भाजपा ने इस घटना को नाकामी और भ्रम की राजनीति का प्रतीक बताया। उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने आर्थिक नाकेबंदी को असंवैधानिक करार देते हुए कहा, "बिना किसी ठोस कारण के चक्काजाम कर रही है। यह जनता को परेशान करने का प्रयास है।" भाजपा नेताओं ने यह भी आरोप लगाया कि केवल दिखावे के लिए जनता के मुद्दों को उठाया जा रहा है, जबकि उनकी अपनी पार्टी में समन्वय की कमी साफ दिखाई देती है।

कांग्रेस की एकता पर सवाल 

यह आर्थिक नाकेबंदी भले ही खनिज संपदा और जंगलों की रक्षा के लिए शुरू की गई हो, लेकिन सुशील शुक्ला और गिरीश दुबे के बीच हुए विवाद ने इस आंदोलन की चमक को फीका कर दिया। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो ने कांग्रेस की एकता पर सवाल खड़े किए हैं। ऐसे में, यह देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी आंतरिक कलह को कैसे संभालती है और अपने आंदोलन को जनता के बीच कितनी प्रभावी ढंग से ले जा पाती है।

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