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छत्तीसगढ़ के नवा रायपुर में स्थित श्री रावतपुरा सरकार इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च (SRSIMSR) के मान्यता घोटाले ने देशभर में सनसनी मचा दी है। इस हाई-प्रोफाइल मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने अपनी कार्रवाई को और तेज करते हुए संस्थान के चेयरमैन रविशंकर जी महाराज, उनके करीबी सहयोगियों और कई प्रभावशाली व्यक्तियों पर शिकंजा कस दिया है। इस मामले में न केवल रावतपुरा सरकार, बल्कि उनके भक्तों और अन्य हाई-प्रोफाइल लोगों पर भी प्राथमिकी (FIR) दर्ज की गई है, जिसके बाद गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है।
घोटाले का खुलासा
रिश्वतखोरी का जालCBI की जांच में सामने आया है कि श्री रावतपुरा सरकार मेडिकल कॉलेज को राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) से मान्यता दिलाने के लिए बड़े पैमाने पर रिश्वतखोरी और अनियमितताओं का सहारा लिया गया। जांच एजेंसी ने पुख्ता सूचना के आधार पर जाल बिछाया और 55 लाख रुपये की रिश्वत के लेन-देन के दौरान छह लोगों को रंगे हाथों गिरफ्तार किया। इनमें तीन डॉक्टर शामिल हैं, जिन्हें NMC ने ब्लैकलिस्ट कर दिया है।
CBI ने अपनी चार्जशीट में कुल 36 लोगों को आरोपी बनाया है, जिसमें मेडिकल कॉलेज के पदाधिकारियों, स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों, NMC के निरीक्षण दल के सदस्यों और अन्य निजी संस्थानों से जुड़े लोग शामिल हैं। इस घोटाले की जड़ें इतनी गहरी हैं कि यह केवल छत्तीसगढ़ तक सीमित नहीं है, बल्कि कर्नाटक, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और दिल्ली जैसे राज्यों तक फैली हुई हैं।
आरोपियों में बड़े नाम
CBI की FIR में कई प्रभावशाली हस्तियों के नाम सामने आए हैं, जिनमें शामिल हैं।
संजय शुक्ला : छत्तीसगढ़ रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (RERA) के चेयरमैन और पूर्व भारतीय वन सेवा (IFS) अधिकारी।
स्वामी भक्तवत्सलदास : गुजरात के स्वामीनारायण इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च, गांधीनगर से जुड़े।
डॉ. शिवानी अग्रवाल : उत्तर प्रदेश के मेरठ में NCR इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज की सहायक प्रबंध निदेशक और रेडियोलॉजी विभाग की प्रमुख। वह एक भाजपा नेता की बेटी बताई जा रही हैं।
डीपी सिंह : टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS), मुंबई के चांसलर और पूर्व विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) अध्यक्ष।
रविशंकर जी महाराज : रावतपुरा सरकार इंस्टीट्यूट के चेयरमैन।
अतुल कुमार तिवारी : संस्थान के निदेशक।
लक्ष्मीनारायण चंद्राकर : संस्थान के एकाउंटेंट।
डॉ. अतिन कुंडू : मेडिकल डायरेक्टर, जो रायपुर के सरकारी मेडिकल कॉलेज में सहायक प्रोफेसर भी हैं।
इनके अलावा, स्वास्थ्य मंत्रालय के आठ अधिकारियों और NMC के निरीक्षण दल के पांच डॉक्टरों पर भी गंभीर आरोप लगे हैं। CBI ने इन सभी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धाराओं और IPC की धारा 61(2) के तहत मामला दर्ज किया है।
जीरो ईयर की आशंका
इस घोटाले के बाद रावतपुरा सरकार मेडिकल कॉलेज पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है। सूत्रों के अनुसार, कॉलेज को इस सत्र के लिए "जीरो ईयर" घोषित किया जा सकता है, जिसका मतलब है कि इस साल कोई नया दाखिला नहीं होगा। हालांकि, पिछले सत्र में दाखिल हुए छात्र अपनी पढ़ाई जारी रख सकेंगे, लेकिन MBBS सीटों को 150 से बढ़ाकर 250 करने की मंजूरी भी रुक सकती है।
CBI की कार्रवाई और भविष्य
CBI ने छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में 40 से अधिक स्थानों पर छापेमारी की है। इस दौरान बड़ी मात्रा में डिजिटल डेटा, दस्तावेज और बैंक लेन-देन के सबूत जुटाए गए हैं। जांच एजेंसी का दावा है कि इस घोटाले का नेटवर्क अन्य मेडिकल कॉलेजों तक भी फैला हो सकता है।
CBI ने 1 जुलाई को छह लोगों को गिरफ्तार किया था, जिनमें डॉ. मंजुप्पा सीएन, डॉ. चैत्रा एमएस, डॉ. अशोक शेलके, अतुल कुमार तिवारी, सतीशा ए, और रविचंद्र शामिल हैं। इन्हें 7 जुलाई तक CBI की रिमांड पर भेजा गया है।
संस्थान का बचाव और विवाद
रावतपुरा आश्रम के साधकों ने CBI की कार्रवाई को राजनीति से प्रेरित बताया है। उनका दावा है कि रविशंकर जी महाराज का नाम बेवजह घसीटा गया है और रिश्वत की राशि संस्थान से जब्त नहीं की गई। हालांकि, CBI ने स्पष्ट किया कि जांच में ठोस सबूत मिले हैं और आगे की कार्रवाई जारी रहेगी।
मेडिकल शिक्षा पर सवाल
यह घोटाला मेडिकल शिक्षा प्रणाली में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर करता है। CBI की जांच से पता चला है कि मान्यता प्रक्रिया में हेरफेर के लिए न केवल रिश्वत दी गई, बल्कि गैर-मौजूद संकाय की तैनाती, काल्पनिक मरीजों को भर्ती दिखाने और बायोमेट्रिक उपस्थिति में छेड़छाड़ जैसे गंभीर अनैतिक कार्य किए गए। रावतपुरा मेडिकल कॉलेज घोटाला न केवल छत्तीसगढ़, बल्कि पूरे देश की मेडिकल शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है। CBI की सख्त कार्रवाई और प्रभावशाली लोगों पर दर्ज प्राथमिकी से यह साफ है कि जांच एजेंसी इस मामले को गंभीरता से ले रही है। आने वाले दिनों में और बड़े खुलासे होने की संभावना है, जो मेडिकल शिक्षा के क्षेत्र में सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।
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