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छत्तीसगढ़ के लाखों शिक्षकों के लिए राहत की खबर सामने आई है। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि संविलियन (मर्जर) से पहले की सेवा अवधि को भी क्रमोन्नति (Promotion) के लिए मान्यता दी जाएगी। इस फैसले से राज्य के 1.5 लाख से अधिक शिक्षकों को सीधा लाभ मिलेगा, जो संविलियन के बाद से प्रमोशन से वंचित थे।
क्या है पूरा मामला?
महासमुंद जिले के सहायक शिक्षक (एलबी) साजिद खान कुरैशी और अन्य 36 शिक्षकों की नियुक्ति वर्ष 2001 से 2005 के बीच शिक्षक पंचायत के पदों पर हुई थी। वर्ष 2018 में इनका शिक्षा विभाग में संविलियन हुआ और ये सभी सहायक शिक्षक (एलबी) बन गए।
सरकारी नियमों के अनुसार:
किसी भी शासकीय कर्मचारी को 10 साल की सेवा पूरी होने पर पहली क्रमोन्नति, और 20 साल की सेवा पर दूसरी क्रमोन्नति का लाभ मिलता है।साजिद खान ने 10 साल की सेवा के आधार पर क्रमोन्नति की मांग की, लेकिन बागबाहरा जनपद पंचायत के सीईओ ने यह कहते हुए इनकार कर दिया कि उनकी सेवा की गणना 2018 से होगी, यानी जब उनका संविलियन हुआ।
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हाई कोर्ट पहुंचा मामला
इस निर्णय को चुनौती देते हुए साजिद खान और अन्य शिक्षकों ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की। उन्होंने कोर्ट से कहा कि संविलियन का मतलब यह नहीं है कि पहले की सेवा को नकार दिया जाए। याचिकाकर्ताओं ने "सोना साहू बनाम राज्य सरकार" केस का भी हवाला दिया, जिसमें कोर्ट ने पहले की सेवा को मान्यता दी थी।
कोर्ट का फैसला: शिक्षकों के हक में
हाई कोर्ट ने शिक्षकों के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि "संविलियन से पहले की सेवा को क्रमोन्नति के लिए अनदेखा नहीं किया जा सकता।"
कोर्ट ने बागबाहरा जनपद पंचायत के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें क्रमोन्नति से इनकार किया गया था। साथ ही कोर्ट ने निर्देश दिया कि सभी शिक्षकों को उनकी पहली नियुक्ति की तिथि से सेवा गणना करते हुए क्रमोन्नति वेतनमान (Promotion Pay Scale) का लाभ दिया जाए।
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संविलियन (Merger) को 5 पॉइंट्स में समझें:
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छत्तीसगढ़ शिक्षक क्रमोन्नति chattisgarh Teacher Promotion
किसे होगा इसका फायदा?
छत्तीसगढ़ के वे शिक्षक जो पंचायत विभाग से शिक्षा विभाग में संविलित हुए हैं। जिनकी सेवा 10 या 20 साल पूरी हो चुकी है लेकिन उन्हें क्रमोन्नति नहीं दी गई। ऐसे शिक्षकों की संख्या लगभग 1.5 लाख से अधिक बताई जा रही है।
यह फैसला क्यों महत्वपूर्ण है?
- इससे शिक्षक अपने पुराने अनुभव और मेहनत का हक पा सकेंगे।
- शिक्षा विभाग में वर्षों से रुकी हुई क्रमोन्नतियाँ अब तेजी से शुरू होंगी।
- यह फैसला अन्य राज्यों के लिए भी मॉडल बन सकता है, जहां संविलियन के बाद सेवा विवाद लंबित हैं।
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