पाठ्यपुस्तक डिपो में स्कैनिंग सिस्टम से नाराज शिक्षकों का हंगामा

रायपुर में नया शैक्षणिक सत्र शुरू हुए 15 दिन बीत चुके हैं, लेकिन स्कूलों में पाठ्यपुस्तकें अब तक नहीं पहुंची हैं। शिक्षा विभाग का दावा है कि 90% स्कूलों तक किताबें पहुंच चुकी हैं, मगर हकीकत कुछ और है। बच्चे खाली बस्ते लेकर स्कूल जा रहे हैं।

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Krishna Kumar Sikander
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Teachers angry with the scanning system  the sootr
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रायपुर में नया शैक्षणिक सत्र शुरू हुए 15 दिन बीत चुके हैं, लेकिन स्कूलों में पाठ्यपुस्तकें अब तक नहीं पहुंची हैं। शिक्षा विभाग का दावा है कि 90% स्कूलों तक किताबें पहुंच चुकी हैं, मगर हकीकत कुछ और है। बच्चे खाली बस्ते लेकर स्कूल जा रहे हैं। इसकी पड़ताल करने पर पता चला कि इस बार किताबों पर दो विशेष बारकोड लगाए गए हैं, जो यह ट्रैक करते हैं कि किताब किस डिपो से निकली और किस स्कूल को दी गई।

यह नया सिस्टम शिक्षकों के लिए मुसीबत बन गया है। शिक्षकों को किताबें लेने से पहले हर पुस्तक का बारकोड और ISBN कोड मोबाइल ऐप से स्कैन करना पड़ रहा है। शिक्षकों का कहना है कि ऐप का सर्वर बार-बार डाउन रहता है, जिससे स्कैनिंग में घंटों लग जाते हैं। इससे उनका मूल काम प्रभावित हो रहा है। 

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भनपुरी डिपो में हंगामा

राजधानी के भनपुरी स्थित पाठ्यपुस्तक निगम डिपो में हालात तब बिगड़ गए, जब गरियाबंद के निजी स्कूलों के शिक्षकों को किताबें लेने बुलाया गया। सुबह 8 बजे से ही 80 स्कूलों के शिक्षक डिपो पहुंच गए। लेकिन सर्वर की खराबी और स्कैनिंग की जटिल प्रक्रिया के कारण दिनभर में सिर्फ 30 स्कूलों को ही किताबें मिल पाईं। स्कैनिंग में 7-8 घंटे लगने से शिक्षक परेशान हो गए। रात तक किताबें बंटती रहीं, और कई शिक्षकों को रात डिपो में ही बितानी पड़ी। 

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अगले दिन कांकेर जिले के स्कूलों की बारी थी, लेकिन उन्हें भी वही दिक्कतें झेलनी पड़ीं। कई स्कूलों के शिक्षक बिना किताबें लिए लौट गए, जबकि दूर से आए शिक्षक अपनी बारी का इंतजार करते रहे। आखिरकार, भूखे-प्यासे शिक्षकों का गुस्सा फूट पड़ा और उन्होंने डिपो में हंगामा शुरू कर दिया। स्थिति बिगड़ती देख तहसीलदार और पुलिस को बुलाना पड़ा, जिन्होंने शिक्षकों को समझाकर मामला शांत किया। 

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निजी स्कूलों के साथ भेदभाव का आरोप

निजी स्कूल संचालक संघ के अध्यक्ष सुबोध राठी ने आरोप लगाया कि सरकारी स्कूलों को किताबें संकुल केंद्रों के जरिए आसानी से मिल गईं, लेकिन निजी स्कूलों को डिपो में बुलाकर परेशान किया जा रहा है। 

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तीन दिन लग रहे किताबें स्कैन करने में

फिंगेश्वर से आए शिक्षक किशनलाल साहू ने बताया कि वे सुबह 10 बजे डिपो पहुंचे, लेकिन रात 10 बजे तक किताबें मिलीं। स्कैनिंग की प्रक्रिया इतनी धीमी है कि एक स्कूल की किताबें स्कैन करने में तीन दिन लग रहे हैं।

बारकोड सिस्टम बेहतरी के लिए

रायपुर के पापुनि डिपो की नोडल अधिकारी नेहा कौशिक ने बताया कि सरकार के निर्देश पर सभी स्कूलों को डिपो से किताबें लेने को कहा गया है। पिछले साल किताबों के वितरण में हुई गड़बड़ियों को रोकने के लिए इस बार बारकोड सिस्टम लागू किया गया है। हालांकि, यह नया सिस्टम शिक्षकों के लिए परेशानी का सबब बन गया है, और किताबों का वितरण समय पर नहीं हो पा रहा है।

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