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दंतेवाड़ा जिले में 2014 से नक्सल क्षेत्रों के कई स्कूल अतिथि शिक्षकों के भरोसे चलते थे पर युक्तियुक्तकरण के बाद अब इन शिक्षकों की नई ज्वाइनिंग नहीं ली जा रही है। शिक्षा विभाग का यह दावा है कि युक्तियुक्तकरण के बाद जिले में अब एक भी स्कूल शिक्षकविहीन नहीं है। एकल शिक्षकीय 11 स्कूल जरूर हैं पर यहां अभी अतिथि शिक्षकों के भर्ती के कोई आदेश नहीं हैं।
अतिथि शिक्षक एक शिक्षक वाले और शिक्षक विहीन स्कूल में अब तक पदस्थ किए जाते थे और इनको वेतन जिला खनिज न्यास निधि से दिया जाता था, पर अब इस वर्ष नए शिक्षा सत्र से इनकी भर्ती नहीं की जा रही है। हाई स्कूल और हायर सेकंडरी के अतिथि शिक्षकों की ही ज्वाइनिंग ली जा रही है प्राथमिक और मिडिल स्कूल के पोस्ट खत्म कर दिए गए हैं। दंतेवाड़ा में अतिथि शिक्षकों की बैठक हुई। शिक्षकों ने सांसद को पत्र लिखकर फिर से नौकरी पर रखने की मांग की।
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विषम परिस्थिति में शिक्षकों ने दी सेवा
अतिथि शिक्षकों ने कहा कि विषम परिस्थिति में दंतेवाड़ा के पहुंच विहीन स्कूलों में 2014 से हमारे द्वारा सेवा देकर बच्चों को स्कूल से जोड़कर रखा गया था, जिन स्कूलों में शिक्षा विभाग के अधिकारी और शिक्षक नहीं पहुंच पाते थे वहां हमने सेवा दी है, जिले के सभी स्कूलों में अतिथि शिक्षकों का बड़ा योगदान है हमारी मांगों पर सरकार ध्यान दे।
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कटेकल्याण में सबसे ज्यादा शिक्षक थे
जिले में पहुंचविहीन गांवों में अतिथि शिक्षक नियुक्त थे, सबसे ज्यादा कटेकल्याण ब्लाक में ये शिक्षक नियुक्त थे। शिक्षक मनकू जायसवाल, मनोज कश्यप ने कहा कटेकल्याण के गादम, गुड़से, नड़ेनार, जोगापारा, बुरगुम, नहाड़ी, निकलवाया जैसे पहुंचविहीन दुर्गम क्षेत्रों में अतिथि शिक्षकों द्वारा सेवा दी जाती रही है।
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बीजापुर जिले में शिक्षा दूत की छंटनी
बीजापुर जिले में 331 शिक्षा दूतों में अभी 26 को निकाला गया है। जिला शिक्षा अधिकारी लखनलाल धनेलिया ने कहा कि बीजापुर जिले के पामेड़ और दूसरे ब्लाकों में तेलुगु भाषा बोली जाती है। इसलिए इन क्षेत्रों में शिक्षा दूत रहेंगे। मैदानी क्षेत्र में पदस्थ शिक्षा दूतों को हटाया गया है। बीजापुर जिले में शिक्षा दूत की हत्या भी हो चुकी है।
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