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Bastar/Telangana. माओवाद के शीर्ष संगठन से जुड़े 37 सदस्यों ने तेलंगाना में एक साथ सामूहिक आत्मसमर्पण कर दिया है। छत्तीसगढ़ के दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी (Dandakaranya Special Zonal Committee) और खासकर बस्तर स्थित माओवादी गढ़ के लिए सबसे बड़ा झटका माना जा रहा है। सरेंडर करने वालों में दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के सदस्य मूचाकी सोमडा उर्फ एर्रा भी शामिल हैं, जो छत्तीसगढ़ के कुख्यात माओवादी कमांडर हिड़मा के सबसे भरोसेमंद साथियों में से एक था।
तेलंगाना डीजीपी शिवधर रेड्डी के सामने हुए इस आत्मसमर्पण ने बस्तर-तेलंगाना सीमा पर एक्टिव माओवादी संगठन के नेटवर्क को गंभीर रूप से कमजोर कर दिया है।
हिड़मा नेटवर्क में सेंध: एर्रा का आत्मसमर्पण
मूचाकी सोमडा उर्फ एर्रा दंडकारण्य क्षेत्र में माओवादी गतिविधियों का एक प्रमुख चेहरा था। सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि हिड़मा के नेटवर्क में सक्रिय इतने महत्वपूर्ण सदस्य का आत्मसमर्पण करना, छत्तीसगढ़ में संगठन के मनोबल और विश्वास पर गहरा असर डालेगा। आत्मसमर्पण करने वालों में 3 स्टेट कमेटी सदस्य, 3 डिवीजनल कमेटी सदस्य, 9 एरिया कमेटी मेंबर और 22 पार्टी कमेटी सदस्य शामिल हैं।
इन 37 में से 23 सदस्य दक्षिण बस्तर डिवीजन कमेटी से जुड़े थे, जो छत्तीसगढ़ के बीजापुर-सुकमा जिले से सटे हुए क्षेत्र में सक्रिय थी। यह सामूहिक आत्मसमर्पण साफ संकेत देता है कि सुरक्षा बलों के लगातार दबाव और आंतरिक अविश्वास के कारण दक्षिण बस्तर-तेलंगाना सीमा पर माओवादियों की पकड़ कमजोर हो रही है।
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1.40 करोड़ का इनाम और AK-47 सहित हथियार बरामद
आत्मसमर्पण करने वाले इन सभी 37 माओवादियों पर कुल ₹1,40,05,000 (एक करोड़ चालीस लाख पांच हजार) का इनाम घोषित था। यह बड़ी राशि इस बात का प्रमाण है कि ये सदस्य तेलंगाना और दक्षिण बस्तर बेल्ट में संगठन के प्रमुख रणनीतिकार और सक्रिय कार्यकर्ता थे। माओवादी अपने साथ भारी मात्रा में हथियार भी लेकर आए हैं, जिनमें प्रमुख रूप से एक AK-47, दो SLR और चार .303 रायफल शामिल हैं।
ऐसे समझें पूरा मामलापहली बार छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर सक्रिय माओवादी संगठन के शीर्ष नेतृत्व से जुड़े 37 सदस्यों ने एक साथ हथियार डाले हैं। सरेंडर करने वालों में मूचाकी सोमडा उर्फ एर्रा शामिल है, जो बस्तर में सक्रिय दुर्दांत माओवादी कमांडर हिड़मा का सबसे भरोसेमंद साथी माना जाता था। सरेंडर करने वालों में 3 स्टेट कमेटी सदस्य और 23 दक्षिण बस्तर डिवीजन कमेटी के सदस्य शामिल हैं, जिससे स्पष्ट है कि छत्तीसगढ़ से जुड़े नेटवर्क को गंभीर नुकसान हुआ है। इन सभी माओवादियों पर ₹1.40 करोड़ का इनाम घोषित था। वे अपने साथ AK-47 सहित अन्य महत्वपूर्ण हथियार भी लेकर आए हैं। |
मुख्यधारा में लौटने की इच्छा और पुनर्वास का लाभ
सरेंडर करने वाले माओवादियों में से एक प्रमुख नेता कोय्यादा सम्बैया उर्फ आजाद ने बताया कि वे लंबे समय से मुख्यधारा में लौटना चाहते थे और उन्होंने संगठन को सूचित करने के बाद ही यह कदम उठाया। छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की सुरक्षा एजेंसियां मान रही हैं कि संगठन के भीतर का अविश्वास और लगातार दंडात्मक कार्रवाई ही सामूहिक आत्मसमर्पण का कारण है। तेलंगाना पुलिस का दावा है कि भविष्य में दंडकारण्य क्षेत्र से और बड़े स्तर पर माओवादियों के आत्मसमर्पण करने की संभावना है।
राज्य सरकार ने सरेंडर करने वाले इन सभी माओवादियों को पुनर्वास योजनाओं का लाभ देने की घोषणा की है, जिससे यह संदेश अन्य सक्रिय माओवादियों तक पहुंचे कि मुख्यधारा में लौटने पर उन्हें सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर मिलेगा। 37 नक्सलियों का सरेंडर संगठन को बड़ा झटका है।
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