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छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के मोहड़गांव में बुधवार रात अवैध रेत खनन को लेकर ग्रामीणों और रेत माफिया के बीच हुए संघर्ष ने हिंसक रूप ले लिया। रेत चोरी रोकने पहुंचे ग्रामीणों पर माफियाओं ने कट्टे से 4-5 राउंड फायरिंग कर दी। इस फायरिंग में 2 युवक घायल हो गए, जिनमें से एक के सिर को गोली छूते हुए निकल गई। घायलों को तत्काल अस्पताल पहुंचाया गया, जहां उनका इलाज जारी है।
क्या है पूरा मामला?
मोहड़गांव में बीते चार दिनों से लगातार अवैध रेत खनन की शिकायतें सामने आ रही थीं। स्थानीय लोगों में इसको लेकर गहरी नाराजगी थी। बुधवार की रात ग्रामीणों का एक समूह रेत चोरी रोकने के इरादे से मौके पर पहुंचा। वहां पहले से मौजूद रेत माफियाओं से कहासुनी हुई, जो जल्दी ही झगड़े में बदल गई।
तनाव बढ़ते ही रेत माफियाओं के कुछ लोगों ने कट्टे से 4 से 5 राउंड फायरिंग कर दी। इस गोलीबारी में गांव का युवक रोशन मंडावी गंभीर रूप से घायल हुआ, वहीं दो अन्य को भी मामूली चोटें आईं। रोशन को गंभीर स्थिति में मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया है।
पुलिस को गांव में नहीं घुसने दिया
फायरिंग की सूचना मिलते ही बसंतपुर पुलिस मौके पर पहुंची, लेकिन ग्रामीणों में इतना आक्रोश था कि उन्होंने पुलिस को गांव में घुसने से रोक दिया। महिलाओं को आगे कर रास्ता रोक दिया गया। ग्रामीणों का आरोप है कि रेत माफिया को स्थानीय नेताओं, खनिज विभाग और पुलिस का संरक्षण प्राप्त है। वे रात के अंधेरे में बेखौफ रेत चोरी करते हैं।
गांव में भारी पुलिस बल तैनात
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए मौके पर एडिशनल एसपी राहुल देव शर्मा पहुंचे। उन्होंने घायलों को उपचार के लिए भेजा और ग्रामीणों को शांत कराया। फिलहाल मोहड़गांव में भारी पुलिस बल तैनात किया गया है ताकि कोई अप्रिय घटना न हो। एडिशनल एसपी ने कहा, "मामले की जांच की जा रही है, दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।"
रेत माफिया की गुंडागर्दी कोई नई बात नहीं
यह पहली बार नहीं है जब छत्तीसगढ़ में रेत माफिया की गुंडागर्दी सामने आई हो। तीन दिन पहले गरियाबंद जिले में पत्रकारों पर हमला हुआ था। वे अवैध रेत खनन की रिपोर्टिंग कर रहे थे, जब माफिया ने उन पर हमला किया। कैमरा और आईडी कार्ड छीने गए, और उन्हें दौड़ा-दौड़ाकर पीटा गया। वहाँ भी हवाई फायरिंग की गई थी।
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प्रशासन की चुप्पी सवालों के घेरे में
हालांकि घटना के बाद पुलिस बल और प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे, लेकिन खनिज विभाग की ओर से अब तक कोई स्पष्ट बयान या ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। इससे ग्रामीणों में गहरा असंतोष है। वे आरोप लगा रहे हैं कि माफिया को राजनीतिक संरक्षण मिला हुआ है और इसी वजह से वे खुलेआम फायरिंग करने से भी नहीं डरते।
छत्तीसगढ़ में लगातार सामने आ रही रेत माफिया की हिंसक घटनाएं राज्य के कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर रही हैं। ग्रामीणों की सुरक्षा, पत्रकारों की स्वतंत्रता और प्रशासनिक पारदर्शिता अब चर्चा के मुख्य विषय बनते जा रहे हैं। सवाल ये है कि क्या अब भी शासन इन माफियाओं के खिलाफ सख्त कदम उठाएगा, या फिर आम जनता को ऐसे ही उनके रहमो-करम पर छोड़ दिया जाएगा?
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