रेत माफिया के खिलाफ कलम चली, फिर SP ऑफिस में मारपीट, अब सुप्रीम कोर्ट पहुंचे पत्रकार

भिंड में रेत माफिया के खिलाफ रिपोर्टिंग करने वाले दो पत्रकारों ने SP ऑफिस में पिटाई के आरोप लगाए हैं। पीड़ित पत्रकार सुप्रीम कोर्ट पहुंचे और कहा कि उन्हें झूठे मामलों में फंसाकर जान से मारने का खतरा है।

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Rohit Sahu
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भिंड में दो पत्रकारों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। दोनों ने पुलिस पर पिटाई का आरोप लगाया है। याचिका में दावा किया गया है कि वे रेत माफिया के खिलाफ रिपोर्टिंग करने पर उन्हें जान का खतरा है। SP ऑफिस में पुलिस अधिकारियों ने उनके साथ मारपीट भी की। पत्रकारों ने कहा कि उन्हें झूठे मुकदमों में फंसाने और जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं। दलीलों के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर सुनवाई के लिए सहमति जताई। 

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- हाईकोर्ट क्यों नहीं गए?

सोमवार को जस्टिस संजय करोल और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने पत्रकारों की याचिका सुनवाई की। बेंच ने पूछा कि हाईकोर्ट क्यों नहीं गए। इस पर याचिकाकर्ताओं के वकील ने दलील दी कि उन्हें मध्यप्रदेश में अपनी जान का खतरा है, इसलिए वे सीधे सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं। वकीलों का कहना था कि पीड़ित पत्रकार अब दिल्ली में शरण लिए हुए हैं।

पत्रकार बोले- गिरफ्तारी होने और जानलेवा हमले का डर

पीड़ित पत्रकारों की तरफ से पेश हुए वकील ने कहा कि दोनों पत्रकारों को फर्जी केस दर्ज करने की धमकी दी गई है। उन्होंने कोर्ट को बताया कि दोनों पत्रकारों को एसपी ऑफिस में पीटा गया था और अब गिरफ्तारी का डर सता रहा है। यह मामला न केवल प्रेस की स्वतंत्रता बल्कि व्यक्तिगत सुरक्षा से भी जुड़ा है।

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प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने हमले की कड़ी निंदा की

याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट को बताया कि प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने इस कथित हमले की निंदा की है और संबंधित पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई है। उनका कहना था कि पत्रकारों के पास कानूनी लड़ाई के लिए संसाधन नहीं हैं, और उन्हें न्याय की जरूरत है।

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SC बेंच ने दिया स्पष्ट संकेत- सुनवाई की जाएगी

सुनवाई के दौरान जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा ने सवाल उठाया कि क्या देशभर में दर्ज अग्रिम जमानत मामलों को सिर्फ इसलिए सुना जाना चाहिए क्योंकि उसमें पत्रकार शामिल हैं? हालांकि पीठ ने पत्रकारों की दलीलों को सुनने के बाद मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने की सहमति दी और संकेत दिए कि पत्रकारों की सुरक्षा और स्वतंत्रता को लेकर कोर्ट गंभीर है।

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