हाईकोर्ट ने छत्तीसगढ़ में रेत माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई न होने पर जताई कड़ी नाराजगी

छत्तीसगढ़ में रेत माफियाओं के बढ़ते हौसलों और अवैध खनन पर लगाम न लगने से नाराज हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कठघरे में खड़ा किया है। कोर्ट ने प्रदेश के मुख्य सचिव और खनिज सचिव से सख्त सवाल पूछे हैं।

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Krishna Kumar Sikander
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The High Court expressed strong displeasure over the lack of action against sand mafia in Chhattisgarh the sootr
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छत्तीसगढ़ में रेत माफियाओं के बढ़ते हौसलों और अवैध खनन पर लगाम न लगने से नाराज हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कठघरे में खड़ा किया है। कोर्ट ने प्रदेश के मुख्य सचिव और खनिज सचिव से सख्त सवाल पूछे हैं कि जब अवैध रेत खनन रोकने के लिए पहले ही निर्देश जारी किए जा चुके हैं, तो फिर ऐसी घटनाएं क्यों बार-बार सामने आ रही हैं? हाईकोर्ट ने हालात को "बेहद चिंताजनक" बताते हुए कहा कि रेत माफियाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई जरूरी है ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों। कोर्ट ने बलरामपुर में एक पुलिस आरक्षक की हत्या और गरियाबंद में रेत माफियाओं द्वारा फायरिंग की घटनाओं का जिक्र करते हुए सरकार की निष्क्रियता पर सवाल उठाए।

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बलरामपुर में आरक्षक की हत्या

बलरामपुर जिले के सनावल थाना क्षेत्र में 11 मई 2025 की रात अवैध रेत खनन की सूचना पर पुलिस टीम लिबरा गांव पहुंची थी। रात करीब 11 बजे सनावल पुलिस की टीम ने अवैध खनन में शामिल एक ट्रैक्टर को रोकने की कोशिश की। इस दौरान ट्रैक्टर चालक ने भागने की कोशिश की और आरक्षक शिव बचन सिंह (43) को कुचल दिया। शिव बचन सिंह की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि आरोपी ट्रैक्टर चालक फरार हो गया। इस घटना ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी और रेत माफियाओं के बेखौफ रवैये को उजागर किया।

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हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी

हाईकोर्ट ने इस घटना को अत्यंत गंभीरता से लिया और इसे माफियाओं के बढ़ते दुस्साहस का प्रतीक बताया। कोर्ट ने राज्य के डीजीपी, खनिज सचिव और वन विभाग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा। सुनवाई के दौरान डीजीपी ने कोर्ट को बताया कि इस मामले में 9 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। उनके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की विभिन्न धाराओं के साथ-साथ वन अधिनियम और खान एवं खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है। इसके अलावा, सनावल थाने के थाना प्रभारी पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए उन्हें निलंबित कर दिया गया है। हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा कि जब अवैध खनन रोकने के लिए पहले ही आदेश दिए गए थे, तो ऐसी घटनाएं क्यों हो रही हैं? कोर्ट ने यह भी चेतावनी दी कि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए ठोस कदम उठाए जाएं।

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गरियाबंद में फायरिंग की घटना

बलरामपुर की घटना के बाद गरियाबंद जिले में भी रेत माफियाओं की गुंडागर्दी सामने आई। यहां माफियाओं ने अवैध खनन को रोकने की कोशिश कर रही पुलिस टीम पर फायरिंग की। इस घटना ने माफियाओं के बेलगाम रवैये को एक बार फिर उजागर किया। हाईकोर्ट ने इसे गंभीरता से लेते हुए कहा कि ऐसी घटनाएं कानून-व्यवस्था की स्थिति पर सवाल खड़े करती हैं।

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रेत माफियाओं का बढ़ता दुस्साहस

छत्तीसगढ़ में रेत का अवैध खनन लंबे समय से एक गंभीर समस्या रही है। नदियों और खनन क्षेत्रों से अवैध रेत निकालकर माफिया मोटा मुनाफा कमा रहे हैं, जिससे न केवल पर्यावरण को नुकसान हो रहा है, बल्कि कानून-व्यवस्था भी प्रभावित हो रही है। हाईकोर्ट ने इस बात पर चिंता जताई कि माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई में ढिलाई बरती जा रही है, जिसके चलते उनकी हिम्मत बढ़ रही है। कोर्ट ने सरकार से पूछा कि अवैध खनन पर रोक लगाने के लिए क्या ठोस कदम उठाए गए हैं और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या योजना है?

सरकार और प्रशासन पर दबाव

हाईकोर्ट के सख्त रवैये के बाद अब राज्य सरकार और प्रशासन पर माफियाओं के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई करने का दबाव बढ़ गया है। कोर्ट ने मुख्य सचिव और खनिज सचिव को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है, जिसमें अवैध खनन रोकने के लिए उठाए गए कदमों और भविष्य की योजनाओं का ब्योरा मांगा गया है। इसके साथ ही, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल 

छत्तीसगढ़ में रेत माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई में ढिलाई और पुलिसकर्मियों पर हमले की घटनाओं ने न केवल कानून-व्यवस्था की स्थिति को उजागर किया है, बल्कि प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए हैं। हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी और नोटिस के बाद अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि राज्य सरकार इस समस्या से निपटने के लिए क्या कदम उठाती है। माफियाओं के खिलाफ कठोर कार्रवाई और अवैध खनन पर प्रभावी रोकथाम ही इस समस्या का समाधान हो सकता है, ताकि भविष्य में ऐसी दुखद घटनाओं से बचा जा सके।

 

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