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छत्तीसगढ़ के बड़े और रसूखदार रामा बिल्डकॉन के रामा ग्रीन्स नामक प्रोजेक्ट एक्सप्रेस-वे लाया था। 46 एकड़ के इस प्रोजेक्ट में अब एक्सटेंशन का काम चल रहा। लेकिन, इसके निर्माण में राम ग्रुप ने नियमों को ताक पर रखकर दिया है। रामा बिल्डकॉन ने अपने इस प्रोजेक्ट का मेन गेट एक्सप्रेस-वे पर ही बना दिया है। अब इस कॉलोनी के लोग सीधे एक्सप्रेस-वे पर निकलेंगे, आवागमन बाधित होगा। इस मार्ग पर आवागमन करने वालों को परेशानी होगी और दुर्घटना का खतरा बढ़ जाएगा। खास बात यह है कि एक्सप्रेस-वे पर मकान और दरवाजे भी रसूखदारों के हैं। इसके कारण एक्सप्रेस-वे का उद्देश्य ही खत्म हो जाएगा।
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रसूख का उठाया फायदा
रायपुर के इस एक्सप्रेस-वे पर कॉलोनी और घर के दरवाजे खोलने से आने-जाने वाले यात्रियों को तो परेशानी होगी ही जाम भी लगेगा। विशेषज्ञ की माने तो दुर्घटनाएं भी होंगी। ऐसा करना नियमों में ही नहीं है। स्थानीय लोग बताते हैं कि ऐसा कर राम बिल्डकॉन ग्रुप इस कॉलोनी में जाने के लिए करीब डेढ़ किलोमीटर लंबा रास्ता तय करना पड़ता। इससे न केवल प्रोजेक्ट में बने बंगला-मकान की कीमत कम हो जाती, बल्कि लोग इसे कम पसंद करते हैं। इसी के डर से रामा ग्रुप ने अपने रसूख का फायदा उठाते हुए एक्सप्रेस-वे पर ही कॉलोनी का मेन गेट बना लिया।
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बीजेपी के पूर्व मंत्री की हिस्सेदारी
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार रामा बिल्डकॉन के डायरेक्टर राजेश अग्रवाल हैं। रामा बिल्डकॉन में बीजेपी के पूर्व मंत्री और वर्तमान विधायक की भी साझेदारी है। इसका फायदा रामा बिल्डकॉन ग्रुप को भरपूर मिलता है। रामा बिल्डकॉन का रायपुर और बिलासपुर में बड़े पैमाने पर व्यापार फैला हुआ है, जिसमें रामा वर्ल्ड, रामा ग्रीन्स, रामा हाई स्ट्रीट, स्वर्ण भूमि और रामा इको जैसे बड़े प्रोजेक्ट हैं।
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बीजेपी सरकार में मिलती है विशेष सुविधा
रामा बिल्डकॉन ग्रुप के रसूख और पहुंच का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि इस सरकार में पहले भी रायपुर के अमलीडीह की 9 एकड़ जमीन नियमविरूद्ध रामा बिल्डकॉन को दे दिया गया था। अमलीडीह की यह 9 एकड़ जमीन भूपेश सरकार ने स्कूल- कॉलेज के लिए आरक्षित किया था। जमीन की अनुमानित कीमत लगभग 150 करोड़ रुपए है। उसके बावजूद इस जमीन पर कॉलोनी कटने लगी। पता चला कि जमीन को बीजेपी विधायक के करीबी रामा बिल्डकॉन को सरकार ने दे दी।
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नगर निगम के एमआईसी मेंबर्स ने उठाया मुद्दा
इस मामले को रायपुर नगर निगम के एमआईसी मेंबर्स ने उठाया कि जब इस प्लॉट को स्कूल-कॉलेज के लिए आरक्षित किया गया था, तो रामा ग्रुप को कैसे दिया गया? बीजेपी विधायक इस पूरे मामले को सीएम के संज्ञान में लेकर आए। जिसके बाद मामले में रोक लगी। विशेषज्ञों ने बताया अमलीडीह का यह प्लॉट तभी रामा ग्रुप को दिया जा सकता है, जब इसका लैंड यूज चेंज किया जाए, क्योंकि यह जमीन शैक्षणिक प्रयोजन के लिए आरक्षित है इसलिए इसे आवासीय में डायवर्ट करना होगा। बिना इसके जमीन पर कॉलोनी नहीं बनाई जा सकती, विरोध के बाद रामा ग्रुप को जमीन अलॉटमेंट की प्रक्रिया रोक दी गई।
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