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छत्तीसगढ़ का बस्तर, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता, घने जंगल और पहाड़ों के लिए जाना जाता है, इन दिनों मूसलाधार बारिश और बाढ़ जैसे हालात से जूझ रहा है। बीते सोमवार रात से लगातार हो रही भारी बारिश ने 94 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है, और क्षेत्र में जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है।
मौसम विभाग के अनुसार, 24 घंटे में 217 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई, जो 1931 के बाद सबसे अधिक है। नदी-नाले उफान पर हैं, कई गांवों का संपर्क टूट गया है, और जगदलपुर शहर के कई हिस्सों में पानी घुस गया है।
इस आपदा में एक दुखद हादसे में एक ही परिवार के चार लोगों की मौत हो गई, जबकि वायुसेना और SDRF की टीमें राहत और बचाव कार्य में जुटी हैं। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने विदेश दौरे के बीच भी स्थिति की निगरानी की और तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए।
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94 साल का रिकॉर्ड टूटा, अभूतपूर्व बारिश
मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार, बस्तर में 25 अगस्त 2025 तक 1039.4 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई थी, लेकिन सोमवार रात से मंगलवार सुबह तक 217 मिलीमीटर बारिश ने 1931 के रिकॉर्ड को तोड़ दिया। यह बारिश न केवल बस्तर जिले, बल्कि सुकमा, दंतेवाड़ा, बीजापुर, कोंडागांव, कांकेर और नारायणपुर जैसे संभाग के अन्य जिलों में भी कहर बरपा रही है। बस्तर संभाग के लिए यह बारिश अभूतपूर्व है, क्योंकि इससे पहले इतनी तीव्र बारिश का रिकॉर्ड 94 साल पहले दर्ज किया गया था।
बाढ़ ने मचाई तबाही, गांव कटे, शहर डूबा
लगातार बारिश के कारण बस्तर की नदियां और नाले उफान पर हैं। इंद्रावती नदी की सहायक गोरिया बाहर नाला और अन्य जलस्रोतों का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया है। जगदलपुर शहर के आधा दर्जन वार्ड जलमग्न हो गए हैं, और कई घरों में पानी घुस गया है।
सांसद निवास कलचा सहित दर्जनों गांवों का संपर्क शहर से टूट गया है। नेशनल हाइवे 30 पर बाढ़ का पानी चढ़ने से यातायात पूरी तरह ठप हो गया है। लोहंडीगुड़ा के मांदर गांव में स्थिति सबसे गंभीर है, जहां बाढ़ के कारण 85 परिवारों को विस्थापित होना पड़ा। सुकमा, दंतेवाड़ा और बीजापुर में भी बाढ़ जैसे हालात हैं, जहां कई गांव टापू बन गए हैं।
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जान जोखिम में डाल रहे लोग
गोरिया बाहर नाले में तीजा पर्व के लिए पूजा सामग्री के विसर्जन के लिए पहुंच रहे लोग अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं। जलस्तर कभी भी बढ़ सकता है, लेकिन नाले के किनारे कोई सुरक्षा व्यवस्था नहीं है। महिलाएं, पुरुष और बच्चे बिना किसी सुरक्षा उपाय के विसर्जन के लिए नाले में उतर रहे हैं, जिससे हादसों की आशंका बढ़ गई है। प्रशासन ने लोगों से सतर्क रहने की अपील की है, लेकिन स्थानीय लोग परंपराओं को निभाने के लिए जोखिम उठा रहे हैं।
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एक परिवार के चार लोगों की मौत
बस्तर के कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र में एनएच 30 पर दरभा के पास एक दिल दहला देने वाला हादसा हुआ। तमिलनाडु से बस्तर घूमने आया एक परिवार बाढ़ के पानी में बह गया। स्विफ्ट डिजायर कार में सवार पति-पत्नी और उनके दो बच्चों की मौत हो गई, जबकि ड्राइवर तैरकर अपनी जान बचाने में सफल रहा। एडिशनल एसपी महेश्वर नाग ने इस घटना की पुष्टि की और बताया कि तेज बहाव के कारण कार नियंत्रण खो बैठी और पानी में बह गई। यह हादसा बस्तर में बाढ़ की गंभीरता को दर्शाता है।
वायुसेना और SDRF का बचाव अभियान
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत और बचाव कार्य जोरों पर हैं। वायुसेना के पांच हेलीकॉप्टरों ने अब तक पांच लोगों को सुरक्षित निकाला है, जबकि SDRF की टीमें जमीन पर सक्रिय हैं और 15 लोगों को बाढ़ग्रस्त इलाकों से बचाया गया है। प्रभावित गांवों में सूखा राशन, पानी और आवश्यक सामग्री पहुंचाई जा रही है।
प्रशासन ने अस्थायी राहत शिविर स्थापित किए हैं, जहां विस्थापित परिवारों को भोजन और आश्रय प्रदान किया जा रहा है। मुख्यमंत्री साय ने विदेश से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अधिकारियों को तत्काल राहत कार्य तेज करने और प्रभावित लोगों तक हरसंभव मदद पहुंचाने के निर्देश दिए हैं।
प्रशासनिक चुनौतियां और जनजीवन पर असर
बस्तर में बाढ़ ने न केवल जनजीवन को प्रभावित किया है, बल्कि प्रशासन के लिए भी कई चुनौतियां खड़ी की हैं। सड़कों और पुलों के जलमग्न होने से राहत सामग्री पहुंचाने में दिक्कत हो रही है। कई गांवों में बिजली और संचार सेवाएं बाधित हैं। स्कूल बंद हैं, और बाजारों में सन्नाटा पसरा है।
किसानों को खरीफ फसलों के नुकसान की चिंता सता रही है, क्योंकि खेतों में पानी भर गया है। स्वास्थ्य विभाग ने जलजनित बीमारियों जैसे डायरिया और त्वचा रोगों के खतरे को देखते हुए अलर्ट जारी किया है, लेकिन कई कटे हुए इलाकों तक मेडिकल टीमें पहुंचने में असमर्थ हैं।
मौसम विभाग की चेतावनी
मौसम विभाग ने बस्तर संभाग में अगले 48 घंटों तक भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। बादल फटने और अचानक बाढ़ की आशंका को देखते हुए प्रशासन को हाई अलर्ट पर रखा गया है। लोगों से नदी-नालों और निचले इलाकों से दूर रहने की अपील की गई है। बस्तर में बारिश का यह सिलसिला जलवायु परिवर्तन के व्यापक प्रभावों की ओर भी इशारा करता है, क्योंकि हाल के वर्षों में असामान्य बारिश की घटनाएं बढ़ी हैं।
नागरिकों की मांग और भविष्य की जरूरत
बस्तर के निवासियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने प्रशासन से बाढ़ प्रबंधन के लिए दीर्घकालिक उपाय करने की मांग की है। उनका कहना है कि नदी-नालों की नियमित सफाई, बांधों की मरम्मत और बेहतर जल निकासी व्यवस्था से ऐसी आपदाओं को रोका जा सकता है। साथ ही, बाढ़ प्रभावित इलाकों में मुआवजे और पुनर्वास की मांग भी जोर पकड़ रही है। किसानों ने फसल नुकसान के लिए तत्काल राहत पैकेज की मांग की है।
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