नर्सिंग कॉलेज के फर्जीवाड़े के खिलाफ द सूत्र की मुहिम जारी है। इस फर्जीवाड़े में रोज नए-नए खुलासे हो रहे हैं। आईएनसी की मान्यता के बिना चल रहे ये नर्सिंग कॉलेज वो योग्यताएं भी पूरी नहीं कर रहे हैं जो कॉलेज खोलने के लिए जरुरी हैं। दो कॉलेज तो ऐसे हैँ जो एक ही पते पर चल रहे हैं और दोनों कॉलेजों को सीटें आवंटित की गई हैं। इस पूरे फर्जीवाड़े पर द सूत्र ने इन कॉलेजों को मान्यता देने वाले आयुष विश्वविद्यालय प्रबंधन से बात की तो वे बैकफुट पर आ गए। यूनिवर्सिटी के कुलपति ने कहा कि उन्होंने आईएनसी को सूची भेजी है। प्रदेश में वे कॉलेज नहीं चलेंगे जो नियम कायदों को पूरा नहीं करेंगे।
नर्सिंग कॉलेजों का फर्जीवाड़ा
छत्तीसगढ़ में नर्सिंग कॉलेजों में बड़ा फर्जीवाड़ा हो रहा है। 150 में से 78 कॉलेज ऐसे हैं जिनके पास आईएनसी की मान्यता नहीं है। इनमें अधिकांश कॉलेज वे भी हैं सीटें आवंटन के लिए अनिवार्य हॉस्पिटल नहीं है। वहीं दो कॉलेज तो एक ही कैंपस में संचालित हो रहे हैं। इनमें सीएम नर्सिंग इंस्टीट्यूट नेहरु नगर भिलाई में संचालित है जिसके पास 152 सीटें हैं। वहीं इसी पते पर एक और सीएम नर्सिंग कॉलेज है जिसके पास 60 सीटें हैं। इन पर पांच लाख जुर्माना भी लगा लेकिन वो भी सरकार ने नहीं वसूला।
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इसी तरह प्रवेश परीक्षा में बैठने के लिए न्यूनतम अंक की एलीजिबिलिटी भी पूरी नहीं की जा रही। नर्सिंग कॉलेजों के फर्जीवाड़े के खिलाफ चल रही द सूत्र मुहिम का असर हुआ है। प्रदेश में मेडिकल प्रबंधन करने,डिग्री और मान्यता देने की जिम्मेदारी संभाल रहे पंडित दीनदयाल उपाध्याय मेडिकल साइंस और आयुष विश्वविद्यालय प्रबंधन के कान खड़े हो गए हैं। विश्व विद्यालय के वीसी प्रोफेसर पीके पात्रा ने द सूत्र से कहा कि इस बारे में यूनिवर्सिटी ने संज्ञान लिया है। प्रदेश में बिना नॉर्म्स के नर्सिंग कॉलेज संचालित नहीं होंगे।
- प्रो प्रदीप पात्रा, कुलपति,पंडित दीनदयाल उपाध्याय मेडिकल साइंस और आयुष विश्वविद्यालय
नर्सिंग के बाद फिजियोथैरपी में भी यही फर्जीवाड़ा
नर्सिंग के अलावा फिजियोथैरपी इंस्टीट्यूट के भी यही हाल हैं। प्रदेश में करीब तीन दर्जन ऐसे फिजियोथैरपी इंस्टीट्यूट चल रहे हैं जिनके पास मान्यता नहीं है। यानी बिना मान्यता के ही फिजियोथैरपी की डिग्री बांटी जा रही है। इसकी मान्यता भी आयुष विश्वविद्यालय देता है। आयुष यूनवर्सिटी ने सिर्फ दो कॉलेजों को मान्यता दी है बाकी के कॉलेज बिना मान्यता के ही चल रहे हैं। यदि सरकार और विश्व विद्यालय ने जल्द ही इस पर कदम नहीं उठाया तो इसके परिणाम गंभीर हो सकते हैं क्योंकि यह सीधे लोगों की सेहत से जुड़ा मामला है।
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