RAIPUR. अब तक तो ऐसा विदेशों में ही सुनते थे कि पुलिस अगर किसी को बेवजह गिरफ्तार करती थी, तो मानहानि केस में उसे जुर्माना भरना पड़ता था। लेकिन ये पहली बार है, जब निर्दोष मां-बेटी को पकड़ने पर अब मानहानि के 3 लाख चुकाने होंगे। ये मामला छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले का है।
मां-बेटी को अवैध तरीके से 30 घंटे जेल में रखा
जानकारी के मुताबिक मंगला में रहने वाली रिटायर्ड टीचर अंजू लाल और उनकी इंजीनियर बेटी दीक्षा लाल ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। याचिका में बताया गया था कि उनके पड़ोसी सड़क की जमीन पर बाउंड्री वॉल बना रहे थे। इसकी शिकायत करने के लिए वह सिविल लाइन पुलिस थाने पहुंची थी। मामले की कार्रवाई करने गई पुलिस ने अवैध तरीके से उन्हें और उनकी बेटी को ही गिरफ्तार कर लिया। दोनों को 30 घंटे तक पुलिस कस्टडी में रखा गया। यहां पर पुलिस ने दोनों के साथ दुव्यर्वहार भी किया।
अब सरकार देगी 3 लाख मुआवजा
मां- बेटी ने संबंधित पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर याचिका लगाई थी। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रवींद्र कुमार अग्रवाल की बेंच ने पुलिस को संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन का जिम्मेदार ठहराते हुए मां को एक लाख रुपए और बेटी को दो लाख रुपए जुर्माना देने के आदेश राज्य सरकार को जारी किए हैं। राज्य सरकार के 30 दिनों के अंदर ये राशि मां-बेटी को देनी होगी। इसके साथ ही पुलिस को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। (Right to Freedom )
पुलिस ने जबाव में ये कहा
वहीं पुलिस ने बताया कि मां-बेटी की शिकायत के बाद वह घटनास्थल पर कार्रवाई करने पहुंचे थे। यहां कार्रवाई करने पर पता चला कि पड़ोसी सीमांकन रिपोर्ट के आधार पर अपनी जमीन पर वैध तरीके से बाउंड्री वॉल बना रहे थे। इसके बाद पुलिस ने दोनों को समझाया तो वह उन्हीं से विवाद करने लग गई। समझाइश के बाद भी रवैया नहीं बदलने पर दोनों को गिरफ्तार कर पुलिस थाने लेकर आई। हालांकि पुलिस ने ना उन्हें वारंट दिखाया और ना ही गिरफ्तारी का कारण बताया। पुलिस ने दोनों को 30 घंटे तक पुलिस कस्टडी में रखा।
बता दें, अंजू लाल ने अंग्रेजी और सोशियोलॉजी में एमए किया है और वह रिटायर्ड टीचर हैं। जबकि दीक्षा लाल ने बीई सिविल के बाद बीएड किया है। फिलहाल वह प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही हैं।