रायपुर की एटीएस और रेंज साइबर थाने ने एक बड़ी कार्रवाई में गांजा तस्करी से जुड़े गिरोह का पर्दाफाश करते हुए दो तस्करों और GRP (रेलवे पुलिस) के चार कांस्टेबलों को गिरफ्तार किया है। इनमें से दो कांस्टेबलों और तस्करों को रिमांड पर लेकर पूछताछ की जा रही है, जबकि दो अन्य कांस्टेबलों को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया है।
गांजा तस्करी पर नियंत्रण के लिए GRP द्वारा बनाई गई एंटी-क्राइम टीम पर ही तस्करों के साथ सांठगांठ और अवैध कारोबार में शामिल होने के गंभीर आरोप लगे हैं। यह टीम, जिसे चोरी और मादक पदार्थों की तस्करी रोकने के लिए गठित किया गया था, खुद गांजे की तस्करी में सक्रिय पाई गई। पुलिस के बड़े अफसरों पर भी इन गतिविधियों में संरक्षण देने का आरोप है।
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IG को मिली शिकायत, जांच के आदेश
बिलासपुर रेंज के आईजी को GRP के कांस्टेबलों के संदिग्ध गतिविधियों की शिकायत मिली थी। आरोप था कि टीम के कुछ सदस्य जब्त गांजे का अवैध कारोबार कर रहे थे और वसूली कर रहे थे। हालांकि, मामले की गंभीरता के बावजूद तत्काल कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसके बाद IG ने मामला पुलिस मुख्यालय भेजा, और रायपुर ATS को जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई।
6 महीने से जारी थी निगरानी, 24 अक्टूबर को गिरफ्तारी
एटीएस की टीम पिछले छह महीनों से इन कांस्टेबलों की गतिविधियों पर नजर रख रही थी। 24 अक्टूबर को GRP ने 10-10 किलो गांजा के साथ दो तस्करों—योगेश सौंधिया (जबलपुर) और रोहित द्विवेदी (बांदा, यूपी)—को पकड़ा। इनसे पूछताछ में GRP के चार कांस्टेबलों के नाम सामने आए—संतोष राठौर, लक्ष्मण गाइन, मन्नू प्रजापति और सौरभ नागवंशी।
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कार्रवाई और आगे की जांच
अभी आरक्षक संतोष राठौर और लक्ष्मण गाइन से रिमांड पर पूछताछ चल रही है। अधिकारियों के संरक्षण की भी जांच की जा रही है। वहीं, मन्नू प्रजापति और सौरभ नागवंशी को जेल भेज दिया गया है। पुलिस अब तस्करों और कांस्टेबलों के बीच गहरे नेटवर्क का पता लगाने के प्रयास में जुटी है।
इस कार्रवाई ने पुलिस तंत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार और तस्करों के साथ गठजोड़ की गंभीर समस्या को उजागर किया है। मामले में जुड़े बड़े अधिकारियों की भूमिका भी जांच के दायरे में है।