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रायपुर : एक शराब कंपनी के सामने छत्तीसगढ़ सरकार लाचार है। ये वो शराब कंपनी है जो छत्तीसगढ़ के कुख्यात शराब घोटाले में शामिल रही है। इसके खिलाफ एफआईआर भी हो चुकी है। वेलकम डिस्टलरी पर 90 करोड़ का टैक्स बकाया है। इस कंपनी ने छत्तीसगढ़ सरकार की बिना इजाजत के अपनी डिस्टलरी प्लांट में जमीन से पानी निकाला और उसका उपयोग किया। पिछले 25 साल से इस कंपनी ने सरकार को टैक्स के रुप में एक धेला भी नहीं दिया है। 90 करोड़ का टैक्स वसूलने में सरकार के अफसरों को पसीना आ रहा है।
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90 करोड़ का बिल,एक भी बूँद का भुगतान नहीं
छत्तीसगढ़ में शराब माफिया के सामने सरकार बेबस नजर आती है। शराब कारोबारी यहां पर मेरी मर्जी की धौंस पर काम कर रहे हैं। इनमें से एक है वेलकम डिस्टलरी। छत्तीसगढ़ में हुए 2200 करोड़ के शराब घोटाले में वेलकम डिस्टलरी भी शामिल रही है। इस घोटाले की जांच कर रही ईडी ने इस कंपनी के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की है।
इसके बाद भी वेलकम की मनमानी जारी है। बिलासपुर के ग्राम छेरकांबांधा में वेलकम डिस्टिलरी का शराब प्लांट है। डिस्टलरी ने केंद्र सरकार से पानी निकालने की एनओसी तो ले ली लेकिन इसके लिए जरुरी छत्तीसगढ़ सरकार से अनुमति नहीं ली। वेलकम डिस्टलरी पिछले 25 सालों से जमीन से बेतहाशा पानी निकाल रही है और सरकार को टैक्स के रुप में एक धेला भी नहीं दे रही।
90 करोड़ का बकाया बिल
वेलकम डिस्टलरी पर 27 सालों का 90 करोड़ का वॉटर टैक्स बकाया है। इस दौरान चार सरकारें बदल गईं लेकिन वेलकम से टैक्स नहीं ले पाईं। इनमें दो सरकारें कांग्रेस की तो 2 सरकारें बीजेपी की हैं। वेलकम से सबने यारी निभाई और टैक्स वसूलने में बेबस नजर आईं। जल संसाधन विभाग की अनुमति और अनुबंध के बिना भू-जल का दोहन किया जा रहा है।
बिना अनुबंध के जल दोहन करने पर सरकार द्वारा निर्धारित दर से तीन गुना राशि के देयक जारी किए जाते हैं। वेलकम डिस्टिलरी पर जून 2025 तक जलकर की राशि 90 करोड़ रुपए बकाया है। जिसका भुगतान अब तक नहीं किया गया है। यह बकाया साल 1998 से आज तक का है।
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शराब माफिया के सामने लाचार सरकार
जल संसाधन विभाग ने जानकारी दी है कि संस्था द्वारा भुगतान न करने के कारण हर महीने नियमानुसार जलकर देयक भेजा जाता रहा है। जिले के प्रशासनिक अधिकारी कलेक्टर से लेकर तहसीलदार तक सब डिस्टलरी का वेलकम कर रहे हैं लेकिन टैक्स की वसूली नहीं कर पा रहे। टैक्स की वसूली के लिए लगातार प्रशासनिक अधिकारियों को पत्र लिखे गये हैं।
20 जून 2025 को रतनपुर तहसीलदार को जलकर वसूली के लिए अधिकृत किया गया है। 2019 में भी अधीक्षण यंत्री, जल संसाधन संभाग कोटा द्वारा वसूली के लिए RRC (Revenue Recovery Certificate) की कार्यवाही शुरू की गई थी। इसकी सूचना कलेक्टर समेत अन्य उच्चाधिकारियों को दी गई है। लेकिन यह सारा मामला लेटर लिखने तक सीमित रहा है।
अधिकारियों ने पत्र पर पत्र लिखे लेकिन वेलकर डिस्टरी ने एक भी पत्र पर ध्यान नहीं दिया। अधिकारी पत्र-पत्र खेलने के अलावा कोई कार्यवाही नहीं कर पाए। जल संसाधन विभाग ने एक फिर अधिकारियों को टैक्स वसूलने के लिए पत्र लिखा है।
पिछले पांच सालों की बकाया राशि
2021-22 - 14 करोड़
2022-23 - 16 करोड़
2023-24 - 16 करोड़
2024-25 - 16 करोड़
2025-26 - 41 करोड़
27 सालों का कुल बकाया 90 करोड़
यह मामला केवल वित्तीय वसूली का नहीं, बल्कि न्यायिक व्यवस्था, संसाधनों के संरक्षण और प्रशासनिक उत्तरदायित्व का है। यह दिखाता है कि कैसे लंबे समय से निजी संस्थान सार्वजनिक संसाधनों का दोहन कर रहे हैं और प्रशासनिक लापरवाही के कारण उन्हें रोका नहीं जा सका। गौर करने वाली बात यह भी है कि आम आदमी के कुछ महीने का टैक्स न चुकाने पर उसके पानी का कनेक्शन काट दिया जाता है और यहां 90 करोड़ का टैक्स सरकार नहीं ले पा रही।
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