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छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है। पति के अवैध संबंधों से मानसिक रूप से टूट चुकी एक महिला ने अपने दो वर्षीय मासूम बेटे के साथ ज़हर खाकर आत्महत्या कर ली। यह हृदयविदारक घटना कोड़ेकुरसे थाना क्षेत्र के ग्राम उइकेटोला में हुई, जिसने पूरे क्षेत्र को सदमे में डाल दिया है।
यह है पूरी घटना
मृतका की पहचान जयंती कुंजाम, निवासी दुर्गूकोंदल, के रूप में हुई है। पुलिस सूत्रों के अनुसार जयंती लंबे समय से अपने पति गणेश कुंजाम के कथित अवैध संबंधों को लेकर मानसिक तनाव में थी। यह संबंध सार्वजनिक रूप से सामने आ चुके थे, जिससे जयंती सामाजिक और पारिवारिक रूप से खुद को अपमानित महसूस कर रही थी।
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घटना वाले दिन जयंती अपने साथ दो वर्षीय बेटे को लेकर दुर्गूकोंदल से करीब 30 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम उइकेटोला पहुंची, जो कि उसके पति की प्रेमिका का गांव बताया जा रहा है। वहीं, प्रेमिका के खेत में जाकर जयंती ने पहले खुद और फिर अपने दूधमुंहे बच्चे को ज़हर खिला दिया। दंपत्ति ने इस बच्चे को गोद लिया था।
मौके पर हुई दोनों की मौत
ज़हर खाने के बाद दोनों की हालत बिगड़ गई। खेत के आसपास मौजूद लोगों ने उन्हें गिरते हुए देखा और तत्काल पुलिस को सूचना दी, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। मां-बेटे दोनों की घटनास्थल पर ही मौत हो गई।
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पुलिस जांच जारी, मामला दर्ज
कोड़ेकुरसे थाना पुलिस ने शवों को बरामद कर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है और मर्ग कायम कर जांच शुरू कर दी है। महिला के परिजनों के बयान दर्ज किए जा रहे हैं। पुलिस का कहना है कि आत्महत्या से पहले महिला ने कोई सुसाइड नोट नहीं छोड़ा है, लेकिन घटनास्थल, परिवार वालों के बयान और परिस्थितियों के आधार पर पति गणेश कुंजाम की भूमिका की भी जांच की जा रही है।
ग्रामीणों में आक्रोश और शोक
इस घटना से गांव में मातम पसरा हुआ है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि समय रहते परिवार के विवादों को सुलझाया गया होता, तो शायद यह दुखद अंत टल सकता था। लोग घटना को लेकर बेहद आहत हैं, खासतौर पर एक मासूम बच्चे की मौत ने हर किसी को झकझोर दिया है।
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महिलाओं की सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य पर सवाल
यह घटना एक बार फिर दर्शाती है कि वैवाहिक कलह और अवैध संबंधों से उपजा मानसिक तनाव कितना घातक हो सकता है। यह महिलाओं की मानसिक स्थिति, पारिवारिक उपेक्षा और सामाजिक दबाव की गंभीरता को उजागर करता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की स्थितियों में परिवार, समाज और प्रशासन को सक्रिय भूमिका निभाने की ज़रूरत है। आत्महत्या कोई समाधान नहीं है, लेकिन यदि मानसिक रूप से पीड़ित व्यक्ति को समय पर मदद मिले, तो ऐसी त्रासदी को रोका जा सकता है। यह घटना न केवल कानून के लिए, बल्कि समाज के लिए भी एक चेतावनी है कि पारिवारिक समस्याओं को हल्के में न लिया जाए।
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