ACB की टीम पहुंची तो कुर्सी छोड़कर भागा थानेदार

छत्तीसगढ़ के मोहला मानपुर अंबागढ़ चौकी जिले में थाने में ACB ने अचानक छापा मारा तो थानेदार मौके से भाग निकला। थानेदार और प्रधान आरक्षक को भ्रष्टाचार के आरोपों में निलंबित कर दिया गया है। दोनों अधिकारियों पर कर्तव्य में लापरवाही जैसे गंभीर आरोप हैं।

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When the ACB team arrived, the SHO left his chair and ran away the sootr
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छत्तीसगढ़ के नवगठित मोहला मानपुर अंबागढ़ चौकी जिले में एक थाने में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने अचानक छापा मारा तो थाने में पदस्थ थानेदार रविशंकर डहरिया मौके से भाग निकला। थानेदार डहरिया और प्रधान आरक्षक को भ्रष्टाचार के आरोपों में निलंबित कर दिया गया है। इन दोनों अधिकारियों पर घूस लेने और कर्तव्य में लापरवाही जैसे गंभीर आरोप लगे हैं।

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भ्रष्टाचार का खुलासा, लेकिन थानेदार को बचाने की कोशिश

सूत्रों के अनुसार, थानेदार रविशंकर डहरिया का भ्रष्टाचार अब धीरे-धीरे उजागर होने लगा है। कई शिकायतें सामने आई हैं जिनमें आरोप है कि वह आम लोगों से अवैध रूप से पैसे वसूलता था। इस घटनाक्रम ने पूरे प्रशासन पर सवाल खड़े कर दिए हैं। हैरानी की बात यह है कि अब पुलिस प्रशासन स्वयं थानेदार को बचाने के प्रयास में लग गया है। पत्रकारों द्वारा जब इस मामले की रिपोर्टिंग की गई, तो उन पर दबाव बनाया गया, जिससे मीडिया की स्वतंत्रता और निष्पक्षता पर भी प्रश्न उठने लगे हैं।

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पत्रकारों पर दबाव, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर खतरा

स्थानीय पत्रकारों का कहना है कि थानेदार के खिलाफ खबर चलाने पर उन्हें धमकाया जा रहा है और प्रशासनिक स्तर पर दबाव डाला जा रहा है कि इस विषय पर अधिक रिपोर्टिंग न की जाए। यह स्थिति प्रेस की स्वतंत्रता और पारदर्शिता के लिए गंभीर चुनौती बन गई है।

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अब तक की कार्रवाई

थानेदार रविशंकर डहरिया और प्रधान आरक्षक को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है। ACB द्वारा प्रारंभिक जांच जारी है और मामले की विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जा रही है।

प्रशासनिक अधिकारियों से पत्रकारों पर दबाव की शिकायतें भी सामने आई हैं, जिस पर फिलहाल कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। यह मामला न केवल पुलिस विभाग के अंदर फैले भ्रष्टाचार को उजागर करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि जवाबदेही तय करने में प्रशासनिक इच्छाशक्ति की कमी है। यदि दोषियों को उचित सजा नहीं दी गई और प्रेस की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाया गया, तो इससे लोकतांत्रिक मूल्यों को गहरा आघात पहुंचेगा।

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