मातृत्व अवकाश छूट नहीं अधिकार, मां में भेदभाव गलत

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने कहा कि महिला के जीवन में मां बनना स्वाभाविक घटना है। ऐसे में मातृत्व अवकाश छूट नहीं, बल्कि अधिकार है। अवकाश स्वीकृत करते समय जैविक, सरोगेसी और गोद लेने वाली मां में भेदभाव नहीं किया जा सकता है।

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Krishna Kumar Sikander
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Maternity leave is not a concession but a right discrimination against mothers is wrong the sootr
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छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने कहा कि महिला के जीवन में मां बनना स्वाभाविक घटना है। ऐसे में मातृत्व अवकाश छूट नहीं, बल्कि अधिकार है। अवकाश स्वीकृत करते समय जैविक, सरोगेसी और गोद लेने वाली मां में भेदभाव नहीं किया जा सकता है। नवजात को मां की देखभाल की जरूरत होती है। उसे पालन-पोषण की जरूरत होती है और यही वह सबसे महत्वपूर्ण अवधि होती है, जिसमें बच्चे को मां की जरूरत होती है। इस टिप्पणी के साथ न्यायाधीश विभू दत्त गुरु की सिंगल बेंच ने अपना निर्णय सुनाया। 

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मात्र 84 दिन की ही दी गई थी छुट्टी 

न्यायाधीश विभू दत्त गुरु ने दो दिन की नवजात को गोद लेने वाली महिला अधिकारी को 180 दिन की चाइल्ड एडॉप्शन लीव देने के आदेश दिए हैं। इसके साथ ही उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें मात्र 84 दिन की ही छुट्टी दी गई थी। कोर्ट ने यह निर्णय रायपुर के आईआईएम में काम करने वाली महिला अधिकारी ने याचिका की सुनवाई के बाद दिया। 

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हाईकोर्ट में दायर की याचिका

याचिका में बताया गया था कि उनकी नियुक्ति साल 2013 में आईआईएम रायपुर में हुई थी। इस समय वह सहायक प्रशासनिक अधिकारी के पद पर हैं। उनका विवाह 2006 में हुआ था, लेकिन बच्चे नहीं हुए। गत 20 नवंबर 2023 को उन्होंने दो दिन की नवजात बच्ची को गोद लिया तो 180 दिन की छुट्टी के लिए आवेदन किया। मगर संस्थान ने यह कहते हुए मना कर दिया कि ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। मात्र 60 दिनों की परिवर्तित छुट्टी दी जा सकती है। 

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180 दिन की छुट्टी की है हकदार 

सुनवाई के दौरान महिला अधिकारी द्वारा बताया गया कि संस्थान की नीति में स्पष्ट है कि जहां नियम मौन हों, वहां केंद्र सरकार के नियम लागू होंगे। केंद्रीय सिविल सेवा (छुट्टी) नियम 1972 के नियम 43-बी और 43-सी के तहत वह 180 दिन की छुट्टी मिलनी चाहिए। वह इस नियम के तहत 180 दिन की छुट्टी हकदार हैं। उन्होंने कई बार उच्च अधिकारियों से अनुरोध किया, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। इसके बाद राज्य महिला आयोग से शिकायत की। संस्थान ने आयोग की सिफारिश को भी नहीं माना और मात्र 84 दिन की छुट्टी दी। 

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स्नेह का बंधन भी होता है विकसित 

सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने कहा कि महिला अधिकारी को पहले ही 84 दिन की छुट्टी दी जा चुकी है, इसलिए शेष 96 दिन की छुट्टी भी दी जाए। मां का साथ मिलने से बच्चे के जीवन के पहले वर्ष में उसे सीखने को मिलता है। इससे मां और बच्चे के बीच स्नेह का बंधन विकसित होता है। नवजात बच्चे को उसे दूसरों की दया पर नहीं छोड़ा जा सकता, इसलिए एक मां को मातृत्व अवकाश से वंचित करना मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।

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