छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, अनुकंपा नियुक्ति पर नए दिशा-निर्देश
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अनुकंपा नियुक्ति को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जिसमें कहा गया है कि अनुकंपा नियुक्ति आवेदक का अधिकार नहीं है, बल्कि आश्रित सदस्य को दी गई एक रियायत है।
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अनुकंपा नियुक्ति को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जिसमें कहा गया है कि अनुकंपा नियुक्ति आवेदक का अधिकार नहीं है, बल्कि आश्रित सदस्य को दी गई एक रियायत है। हाईकोर्ट ने यह फैसला अनुकंपा नियुक्ति को लेकर अभिनय दास मानिकपुरी बनाम शासन मामले में सुनाया है।
अनुकंपा नियुक्ति तत्काल वित्तीय संकट को कम करने के लिए दी जाती है। - यह नियमित रोजगार का तरीका नहीं माना जा सकता, यह अपवादिक व्यवस्था है। - पदों की उपलब्धता और आवश्यकता के आधार पर अनुकंपा नियुक्ति दी जा सकती है। - अनुकंपा नियुक्ति मिलने के बाद पद में परिवर्तन की मांग स्वीकार नहीं की जा सकती।
सामान्य प्रशासन विभाग ने इस फैसले के आधार पर एक पत्र जारी किया है, जिसमें प्रदेश के सभी विभागों, निगम-मंडल, संभागायुक्त और कलेक्टर्स को निर्देश दिए गए हैं कि वे इन नए दिशा-निर्देशों का पालन करें। इस फैसले से अनुकंपा नियुक्ति की प्रक्रिया में पारदर्शिता और नियमों का पालन सुनिश्चित होगा।
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अनुकंपा नियुक्ति को किस रूप में परिभाषित किया है?
हाईकोर्ट ने कहा कि अनुकंपा नियुक्ति कोई अधिकार नहीं है, बल्कि यह आश्रित सदस्य को दी गई एक रियायत है, जो परिवार के तत्काल आर्थिक संकट को कम करने के लिए दी जाती है।
हाईकोर्ट के फैसले के अनुसार अनुकंपा नियुक्ति को लेकर कौन-कौन से नए दिशा-निर्देश दिए गए हैं?
अनुकंपा नियुक्ति तत्काल वित्तीय संकट से राहत देने के लिए होती है। यह नियमित रोजगार का तरीका नहीं मानी जाती। पद की उपलब्धता और आवश्यकता के आधार पर नियुक्ति होगी। नियुक्ति के बाद पद परिवर्तन की मांग स्वीकार नहीं की जाएगी।
इस फैसले के बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने क्या कदम उठाया?
सामान्य प्रशासन विभाग ने प्रदेश के सभी विभागों, निगम-मंडलों, संभागायुक्तों और कलेक्टरों को पत्र जारी कर इन दिशा-निर्देशों का पालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं, जिससे अनुकंपा नियुक्तियों में पारदर्शिता और नियमों का पालन हो सके।