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रायपुर : सरकार के अलग अलग महकमों में 170 फर्जी अधिकारी काम कर रहे हैं। कुछ ने जाति प्रमाणपत्र फर्जी दिया है तो कुछ दिव्यांग बनकर सरकार की नौकरी का सुख भोग रहे हैं। सीएम को मिलीं इन शिकायतों की पड़ताल की गई तो यह सच सामने आया। अब इन सबकी जांच कराई जा रही है। फर्जी जाति प्रमाणपत्र लगाकर ये लोग अनुसूचित जाति, आदिवासी और अन्य पिछड़ा वर्ग के हकों पर कुंडली मारकर बैठे हैं। इतना ही नहीं 70 से ज्यादा ऐसे कृषि अधिकारी हैं जिन्होंने दिव्यांगों को भी नहीं छोड़ा। फर्जी दिव्यांग बनकर इन्होंने सरकारी नौकरी हासिल कर ली और असली दिव्यांग नौकरी के लिए सड़कों पर धक्के खा रहे हैं।
फर्जी प्रमाणपत्र से असली नौकरी
जिलों से लेकर रायपुर तक कई सरकारी महकमों में फर्जी अफसर तैनात हैं। सरकार के पास 170 लोगों की शिकायत आई है जो फर्जी जाति प्रमाण पत्र या फर्जी दिव्यांग प्रमाणपत्र के आधार पर सरकारी नौकरी में पदस्थ हैं। एससी,एसटी,ओबीसी विभाग की उच्च स्तरीय छानबीन समिति की अनुशंसा पर 98 फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर नियुक्ति की जांच चल रही है। इन लोगों ने फर्जी जाति बताकर आरक्षण का फायदा उठाया और सरकारी नौकरी हासिल कर ली। इनमें से 72 लोग ऐसे हैं जो कृषि विभाग में पदस्थ हैं। इन अधिकारियों ने दिव्यांगता का फर्जी सर्टिफिकेट बनवाकर नौकरी प्राप्त कर ली।
सरकार ने जब इनकी जांच कराई तो एक के बाद एक फर्जी दिव्यांग अधिकारी सामने आने लगे। इनमें से तीन अधिकारियों को नौकरी से टर्मिनेट कर दिया। जैसे ही कार्यवाही शुरु हुई बाकी लोग हाईकोर्ट चले गए। हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया है कि अगली सुनवाई तक इस मामले में कोई कार्यवाही न की जाए। फर्जी दिव्यांग बने कुल 72 अधिकारियों में से कृषि संचालनालय के 13 और उद्यानिकी संचालनालय के 9 अधिकारी हैं।
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इन जिलों में दिव्यांग बने इतने अधिकारियों पर चल रही जांच
कबीरधाम - 19
मुंगेली - 13
बलौदाबाजार - 9
बिलासपुर - 5
जांजगीर - 5
सक्ती - 4
कोंडागांव - 2
गरियाबंद - 2
जीपीएम - 2
रायपुर - 1
महासमुंद - 1
रायगढ़ - 1
सारंगढ़ - 1
कोरबा - 1
सूरजपुर - 1
एमसीबी - 1
जशपुर - 1
दंतेवाड़ा - 1
कांकेर - 1
जगदलपुर - 1
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इनको किया गया बर्खास्त
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महासमुंद - रिचा दुबे सहायक संचालक कृषि - 2022 में नियुक्ति - शिकायत के आधार पर संभागीय मेडिकल बोर्ड, संयुक्त संचालक और भीमराव स्मृति हास्पिटल के अधीक्षक से फिर से जांच कराई गई। जिसमें पाया गया कि संबंधित अधिकारी दिव्यांगता की श्रेणी में नहीं आती और दिव्यांगता के प्रमाणपत्र के लिए पात्र नहीं है। इस आधार पर रिचा दुबे को सेवा से बर्खास्त किया गया।
कबीरधाम - वीरेंद्र कुमार वर्मा ग्राम कृषि विस्तार अधिकारी - 2018 में नियुक्ति - शिकायत के आधार पर संभागीय मेडिकल बोर्ड, संयुक्त संचालक और भीमराव स्मृति हास्पिटल के अधीक्षक से फिर से जांच कराई गई। जिसमें पाया गया कि संबंधित अधिकारी की दिव्यांगता 40 फीसदी से कम है। इनको शासकीय सेवा से डिसमिस कर दिया गया।
कबीरधाम - कमलेश कुमार सेन ग्राम कृषि विस्तार अधिकारी - 2016 में नियुक्ति - शिकायत के आधार पर संभागीय मेडिकल बोर्ड, संयुक्त संचालक और भीमराव स्मृति हास्पिटल के अधीक्षक से फिर से जांच कराई गई। जिसमें पाया गया कि संबंधित अधिकारी की दिव्यांगता 40 फीसदी से कम है। इनको शासकीय सेवा से डिसमिस कर दिया गया। लेकिन ये हाईकोर्ट चले गए और हाईकोर्ट के आदेश के बाद इनको फिर से बहाल कर दिया गया।
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सरकार कहती है कि जल्द ही ये जांच पूरी कर ली जाएगी और जो दिव्यांगों, अनुसूचित जाति, आदिवासी और ओबीसी का हक मार रहे हैं ऐसे लोगों को न सिर्फ सेवा से बर्खास्त किया जाएगा बल्कि अन्य कानूनी कार्यवाही भी की जाएगी।
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