भगवान की पूजा करना, प्रसाद खाना पाप... ऐसे हो रहा धर्मांतरण
Missionary Conversions Increased In Chhattisgarh : मिशनरी धर्मांतरण कराने के लिए स्लम एरिया की महिलाओं को टारगेट कर रहे हैं। यहां गरीब व बीमार लोग निशाने पर होते हैं।
Missionary Conversions Increased In Chhattisgarh : छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण का मामला अब तेजी से बढ़ने लगा है। धर्मांतरण करने वाले ज्यादातर लोग छोटे इलाके यानि स्लम एरिया से हैं। धर्मांतरण कराने वाले लोग ऐसे लोगों को अपना निशाना बना रहे हैं, जाे गरीबी और नशे की लत से परेशान हैं।
मिशनरी धर्मांतरण कराने के लिए स्लम एरिया की महिलाओं को टारगेट कर रहे हैं। यहां गरीब व बीमार लोग निशाने पर होते हैं। स्लम एरिया की महिलाओं को पति की शराब की लत छुड़ाने के लिए प्रार्थना से जोड़ते हैं। इसके बाद धीरे-धीरे दूसरी महिलाओं को भी साथ ले जाते हैं। उनके साथ पिकनिक मनाते हैं। चिकन-मटन खिलाते हैं। जब भरोसा जीत लेते हैं, तब बपतिस्मा दिलाते हैं यानी धर्म बदलवाते हैं।
बच्चों के भविष्य संवारने का झांसा दे रहे...
इससे पहले बच्चों की पढ़ाई से लेकर नौकरी दिलाने का झांसा देते हैं। धर्मांतरण की वजह से कई परिवार बिखर गए तो कुछ को समाज के लोगों ने अलग कर दिया है। घर की महिलाओं के प्रभाव में होने के कारण बच्चे और दूसरे सदस्य प्रभावित हो रहे हैं।
मिशनरी के प्रभाव में आने वाले परिवारों को घर पर रखी भगवान की मूर्तियों और तस्वीरों से लेकर घर की दीवार पर भगवान की तस्वीर वाली टाइल्स उखाड़ने के लिए दबाव डाला जा रहा है। पीड़ित परिवार के एक सदस्य ने बताया कि पास्टर पूजा-अनुष्ठान या फिर मंदिरों से बांटे जाने वाले प्रसाद खाने वालों को शैतान बताते हैं।
मिशनरी धर्मांतरण के लिए किन लोगों को निशाना बना रहे हैं?
मिशनरी धर्मांतरण के लिए स्लम एरिया के गरीब और नशे की लत से परेशान लोगों को निशाना बना रहे हैं, खासकर महिलाओं को।
मिशनरी किस तरह से लोगों को धर्म परिवर्तन के लिए प्रेरित कर रहे हैं?
वे पहले महिलाओं को पति की शराब की लत छुड़ाने के लिए प्रार्थना से जोड़ते हैं, फिर धीरे-धीरे विश्वास जीतकर पिकनिक, भोजन आदि के माध्यम से अन्य लोगों को भी प्रभावित करते हैं और अंततः बपतिस्मा दिलाकर धर्म परिवर्तन करवाते हैं।
मिशनरी धर्म परिवर्तन के बाद प्रभावित परिवारों से क्या करने के लिए कहते हैं?
वे प्रभावित परिवारों को घर की भगवान की मूर्तियाँ, तस्वीरें और भगवान की तस्वीर वाली टाइल्स हटाने के लिए दबाव डालते हैं और पूजा-अनुष्ठान व प्रसाद ग्रहण करने को शैतानी गतिविधि बताते हैं।