इंदौर में आदिवासी समाज को आत्मरक्षा के लिए बंदूक लाइसेंस देने की उठी मांग, कांग्रेस के साथ ही भीम आर्मी, जयस का प्रदर्शन

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Jitendra Shrivastava
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इंदौर में आदिवासी समाज को आत्मरक्षा के लिए बंदूक लाइसेंस देने की उठी मांग, कांग्रेस के साथ ही भीम आर्मी, जयस का प्रदर्शन

संजय गुप्ता, INDORE. सीधी के पेशाब कांड, इंदौर के राउ में आदिवासी युवकों को पीटने जैसे कांड सामने आने के बाद अब इंदौर में आदिवासी समाज के लोगों को आत्मरक्षा के लिए शस्त्र (बंदूक) लाइसेंस देने की मांग उठी है। इस मांग के साथ जहां कांग्रेस ने पुलिस कमिशनर मकरंद देउस्कर को ज्ञापन दिया, तो वहीं जयस और भीम आर्मी ने प्रदर्शन करते हुए जमकर नारेबाजी की। 





आदिवासी एकता के नारे के साथ एक हुए जयस, भीम आर्मी





वहीं आदिवासी एकता के नारों के साथ जयस और भीम आर्मी के कार्यकर्ता भी कमिशनर ऑफिस पहुंचे। इन्होंने आदिवासियों पर अत्याचार रोकने की मांग के साथ एक तीर एक कमान, सभी आदिवासी एक समान की बात उठाई। जय भीम से लेकर कई तरह के नारे लगाए गए। इन्होंने कहा कि आदिवासियों पर अत्याचार बंद किए जाएं। हर जगह से खबरें आ रही है कि आदिवासियों के खिलाफ गलत हरकतें की जा रही है। सभी ने मिलकर एक होने का नारा बुलंद किया। इसके पहले जयस ने सोमवार को कलेक्टोरेट के बाहर भी प्रदर्शन किया था और नारेबाजी करते हुए ज्ञापन दिया था। 





कांग्रेस ने पुलिस कमिश्नर से यह रखी मांग





पूर्व शहर कांग्रेसाध्यक्ष विनय बाकलीवाल के साथ तेजप्रकाश राण, शैलेश गर्ग, पप्पू मालवीय, फूल सिंह कुवाल, गणपत जारवाल सहित अन्य ने पुलिस कमिशनर को ज्ञापन दिया। ज्ञापन में कहा गया कि मप्र में दलित समाज एवं आदिवासी समाज के साथ दुर्व्यवहार, छुआछूत अत्याचार, महिलाओं के साथ गैंगरेप, सरकारी नौकरी, शिक्षा एवं उच्च शिक्षा के क्षेत्र में जातिवाद, दलित और आदिवासियों की जमीन पर रंगदारी कर कब्जा मारपीट करना इन विषय से पीड़ित होकर आत्मदाह करना आदि घटनाएं लगातार हो रही है! इन्हें तत्काल रोका जाए। आदिवासियों द्वारा शिकायत करने पर तत्काल कार्रवाई करने की बजाए पुलिस प्रशासन उनकी शिकायत जांच की आड़ लेकर ठंडे बस्ते पर डाल देता है।





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दो साल से ज्यादा एक जगह नहीं रहे अधिकारी





कांग्रेस ने यह भी मांग रखी कि ग्रामीण क्षेत्र देहात में पुलिस प्रशासन के अधिकारी और कर्मचारियों को 2 वर्ष से ज्यादा एक स्थान पर नहीं रहने दिया जाए। ग्रामीण क्षेत्र में भी हरिजन थाना, महिला थाना, स्थापित किए जाए जिससे देहात (ग्रामीण) क्षेत्र के लोगों को उनके क्षेत्र में कार्रवाई करने में सक्षम हो। हरिजन थाना व महिला थानों में निष्पक्ष अधिकारी कर्मचारियों की नियुक्तियां हो। अनुसूचित जाति जनजाति के पीड़ित परिवार को सुरक्षा के लिए आसान प्रक्रियाओं के आधार पर शस्त्र लाइसेंस प्रदान किए जाएं।



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