‘उत्कर्ष-उन्मेष’ उत्सव में द्रौपदी मुर्मू बोलीं- मप्र में भारत की सबसे ज्यादा जनजाति आबादी, 140 करोड़ देशवासियों का मेरा परिवार

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Jitendra Shrivastava
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‘उत्कर्ष-उन्मेष’ उत्सव में द्रौपदी मुर्मू बोलीं- मप्र में भारत की सबसे ज्यादा जनजाति आबादी, 140 करोड़ देशवासियों का मेरा परिवार

BHOPAL. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज भोपाल दौरे पर रवीन्द्र भवन के हंसध्वनि सभागार में “उत्कर्ष” और “उन्मेष” उत्सव का शुभारंभ किया। संस्कृति विभाग मध्यप्रदेश शासन के सहयोग से भोपाल में पहली बार 3 से 5 अगस्त तक भारत की लोक और जनजाति अभिव्यक्तियों के राष्ट्रीय उत्सव “उत्कर्ष” और “उन्मेष” का आयोजन हो रहा है। इस कार्यक्रम में देशभर के 500 कलाकार नृत्य प्रस्तुति देंगे। इस कार्यक्रम में राज्यपाल मंगू भाई पटेल और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत कई नेता मौजूद रहे।





यहां आकर मैं गौरवान्वित महसूस कर रही हूंः मुर्मू





राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संबोधन में कहा कि इस महासंगम में मुझे प्रसन्नता हो रही है। राष्ट्रपति बनने के बाद मेरी एमपी में सबसे ज्यादा यात्रा हुई है। संयोग से आज मेरी 5वीं यात्रा है। मध्य प्रदेश सरकार ने कार्यक्रम को सपोर्ट किया मैं उनकी प्रशंसा करती हूं। नारद मुनि ने कहा था कि तुम जो अपने काव्यों में कहोगे वही सत्य है। साहित्य मानवता को आइना दिखाता है। साहित्य और कला के इस महासंगम में उपस्थित होकर मैं बेहद गौरवान्वित महसूस कर रही हूं।





भारत भूमि का एक-एक पत्थर सालिग्राम की तरह पूजनीय है





उत्कर्ष-उन्मेष कार्यक्रम में सक्रिय भागीदारी के लिए मैं मध्यप्रदेश सरकार की तारीफ करती हूं। मेरी दृष्टि से भारत भूमि का एक-एक पत्थर सालिग्राम की तरह है पूजनीय है। भारत की सबसे बड़ी जनजाति आबादी मध्यप्रदेश में रहती है। इसलिए यह आयोजन मध्यप्रदेश में करना तर्क संगत भी है और भाव संगत भी है। राष्ट्रपति ने कहा कि हमारी परंपरा में यत्र विश्वम् भवति एक नीडम् की भावना प्राचीनकाल से है। राष्ट्रप्रेम और विश्व बंधुत्व के आदर्श का संगम हमारे देश में दिखता है। ‘साहित्य और कला ने मानवता को बचाए रखा है। साहित्य जुड़ता भी है और लोगों को जोड़ता भी है। आज 140 करोड़ देशवासियों का मेरा परिवार है और सभी भाषाएं और बोलियां मेरी अपनी हैं।





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वासुदेव कुटुंबकम भारत की संस्कृति हैः सीएम शिवराज





मुख्यमंत्री शिवराज ने कहा कि देश का साहित्य जगत को देखकर मेरा दिल गदगद है। मध्यप्रदेश सौभाग्यशाली है इसका आयोजन यहां हुआ है। वासुदेव कुटुंबकम् भारत की संस्कृति है। शरीर के सुख के साथ मन बुद्धि और आत्मा का सुख सिर्फ साहित्य, संगीत और कला देती है। जब पीएम मोदी काशी और महाकाल में साक्षात दण्डवत प्रणाम करते है। एमपी साहित्यकारों और कलाकारों की संस्कृति रही है। कालिदास से लेकर कई रत्न हुए हैं। लता मंगेशकर, किशोर कुमार जैसे कलाकारों को एमपी ने जन्म दिया। हरिशंकर परसाई, माखनलाल चतुर्वेदी जैसे साहित्यकार इस माटी से निकले। मध्यप्रदेश अटल बिहारी वाजपेयी जैसे राजनेता की कर्मभूमि है।



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